भारत में बिना भौतिक उपस्थिति वाली डिजिटल कंपनियों मसलन गूगल, फेसबुक, नेटफ्लिक्स से वसूले जा रहे इक्वलाइजेशन लेवी (ईएल) की व्यवस्था को वापस लेने पर पहल करने के लिए वैश्विक कर समझौता का अंतिम परिणाम सामने आने तक इंतजार करेगा। यह जानकारी इस मामले से अवगत दो अधिकारियों ने दी है।
पिछले हफ्ते 136 देशों के समर्थन से ओईसीडी समझौता हुआ था जिस पर अब बुधवार को जी20 देशों के वित्त मंत्री चर्चा करेंगे। इसमें सुझाव दिया गया है कि 2023 से बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर न्यूनतम 15 फीसदी कर लगाया जाएगा।
यह चर्चा इस रूप में महत्त्वपूर्ण होने वाली है कि इसी बैठक में समझौते के तौर तरीकों पर निर्णय लिया जाएगा जिसे जी20 के नेताओं शिखर बैठक में रखा जाएगा। इस महीने के अंत में होने जा रहे शिखर बैठक में सरकारों के प्रमुख हिस्सा लेंगे। उक्त अधिकारियों में से एक अधिकारी ने कहा, ‘हमने वैश्विक फोरम पर प्रस्तावित समाधान के लिए अपना समझौता पेश कर दिया है। लेकिन जटिलताओं को ध्यान में रखते हुए गूगल कर को समाप्त करने पर अंतिम निर्णय कर समझौता के प्रभावी होने पर लिया जाएगा।’
सूत्र बताते हैं कि इक्वलाइजेश लेवी की वापसी के लिए आयकर अधिनियम में संशोधन किया जाएगा। पिछले कुछ वर्षों में राजकोष में इक्वलाइजेशन लेवी का योगदान अच्छा खासा बढ़ा है। इक्वलाइजेशन लेवी को 2016 में लागू किया गया था। भले ही अनिवासी सेवा प्रदाता द्वारा भारतीय निवासी से डिजिटल विज्ञापन आदि के संबंध में लिए जाने वाले भुगतान पर केवल छह फीसदी इक्वलाइजेशन लेवी लगता है लेकिन सरकार ने चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में इससे 1,600 करोड़ रुपये से अधिक संग्रह किया है जो कि पिछले वर्ष के संग्रह से दोगुना है।
शुक्रवार को ओईसीडी ने अंतिम रूप से दो स्तंभीय समधान पर पहुंचकर कई सारे खुले सिरों को कस दिया और एक प्रारूप भी तैयार कर दिया। कहा गया है कि इस समझौते से अतिरिक्त कर राजस्वों में सालाना करीब 150 अरब डॉलर तक की वृद्घि होने की उम्मीद है।
यह प्रस्ताव दो स्तंभ पर काम करता है। स्तंभ एक में बाजार क्षेत्राधिकार को उचित लाभ आवंटन किया जाएगा और इसमें कंपनी की भौतिक उपस्थिति उस बाजार में होने को लेकर कोई लेना देना नहीं है। इसके लिए 2023 से एक बहुपक्षीय समझौता को लागू किया जा सकता है। वहीं स्तंभ दो में 15 फीसदी का वैश्विक न्यूनतम कर लागू किया गया है।
इसमें कहा गया है कि देश 2022 में एक बहुपक्षीय समझौता पर हस्ताक्षर करने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं जिसका 2023 से प्रभावी क्रियान्वयन किया जाएगा। यह समझौता स्तंभ एक के तहत कर अधिकार पर बनी नई सहमति को लागू करने के साथ साथ डिजिटल सेवा कर जैसे एकपक्षीय उपायों के संबंध में प्रावधानों को हटाने में सहायक होगा।
ओईसीडी ने शुक्रवार को कहा, ‘8 अक्टूबर, 2021 से और 31 दिसंबर, 2023 तक या बहुपक्षीय समझौते के अस्तित्व में आने तक किसी भी कंपनी पर किसी तरह का नया लागू किया गया डिजिटल सेवा कर या इसी तरह के अन्य उपायों को नहीं लगाया जाएगा। मौजूदा डिजिटल सेवा करों और अन्य इसी प्रकार के प्रासंगिक उपायों को हटाने के तौर तरीकों पर उचित प्रकार से समन्वय बनाने की जरूरत है।’ ओईसीडी के मुताबिक वैश्विक कर समझौते में 20 अरब यूरो राजस्व वाले और 10 फीसदी से अधिक लाभ मार्जिन वाली कंपनियों को शामिल किया जाएगा। इस प्रावधान से मोटे तौर पर शीर्ष 100 कंपनियां इसके दायरे में आ जाएंगी।