भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद (आईआईएम-ए) अपने घट रहे कोष की की पूर्ति करने में लगा हुआ है। संस्थान को इसमें काफी हद तक सफलता भी हासिल हो रही है।
आईआईएम-ए ने दिसंबर, 2011 तक 250 करोड़ रुपये जुटाए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया है जिसमें से 2.3 करोड़ रुपये की रकम इस प्रतिष्ठित बिजनेस स्कूल के 1989 बैच के छात्रों ने दिए जाने का वादा किया है। इसके साथ ही किसी प्रबंधन संस्थान के लिए किसी बैच द्वारा दिया जाने वाला यह सबसे बड़ा एकमुश्त अनुदान है।
आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि अपनी स्थापना के बाद के सभी वर्षों में संस्थान को सिर्फ 2 करोड़ रुपये का वित्तीय अनुदान मिला है। आईआईएम-ए के अध्यक्ष (एल्युमनी रिलेशंस ऐंड रिसोर्स जेनरेशन) अरविंद सहाय ने कहा, ‘हमने महसूस किया है कि हम घाटे से उबर जाएंगे। अगर हम अन्य वैश्विक बिजनेस-स्कूलों, जिनमें हार्वर्ड भी शामिल है, की तरफ देखें तो इन संस्थानों के पास अरबों डॉलर की रकम है।
अगर आईआईएम-ए को वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनानी है तो इसे न सिर्फ शैक्षिक गुणवत्ता के संदर्भ में, बल्कि बड़े कोष के संदर्भ में भी आत्म-निर्भर बनना होगा। इसे ध्यान में रखते हुए हमने दिसंबर 2011 तक सिर्फ पूर्व छात्रों के योगदान के जरिये 250 करोड़ रुपये जुटाए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।’
यह इसकी कोशिशों का ही परिणाम है कि संस्थान ने हाल ही में तीन एलुमनी बैचों 1984, 1989 और 1998 से अनुदान की प्रतिबद्धता प्राप्त की है। इनमें से जहां 1989 बैच ने 2.3 करोड रुपये के सर्वाधिक योगदान का वादा किया है, वहीं 1984 के बैच ने एक करोड़ रुपये का अनुदान और 1998 के बैच ने 65 लाख रुपये का अनुदान देने की प्रतिबद्धता जताई है।
वर्ष 1989 के बैच में एडलवाइस के चेयरमैन राजेश शाह, नौकरी डॉट कॉम के संस्थापक संजीव बिकचंदानी, इंडिया इन्फोलाइन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी निर्मल जैन, बियरिंग प्राइवेट इक्विटी के मैनेजिंग पार्टनर राहुल भसीन जैसे कई नाम शामिल हैं।
सहाय ने बताया कि एल्युमनी के अलावा संस्थान ने प्रबंधन मेलों, रीयूनियन आदि जैसी कोष गतिविधियों के लिए कॉरपोरेट क्षेत्र में भी संभावनाएं तलाशने की योजना बनाई है। सहाय ने कहा, ‘हमने संस्थान-छात्र विचार विमर्श को बढ़ावा देने के लिए आगामी वर्षों में कई बैचों के लिए 25 साल, 30 साल और 40 साल के रीयूनियन की योजना तैयार की है।’