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एचडीटीवी यानी जबर्दस्त पिक्चर, धांसू आवाज

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 05, 2022 | 10:01 PM IST

जरा सोचिए क्या हो, जब आपको अपने टीवी स्क्रीन पर ही 35 एमएम की फिल्म जैसी पिक्चर क्वालिटी का लुत्फ उठाने का मौका मिले?


और तो और, आपके टीवी की आवाज भी सीडी क्वालिटी की हो? जी नहीं, हम आपको सपने नहीं दिखा रहे। आपकी इन ख्वाहिशों को पूरा करने के लिए आने वाला है एचडीटीवी। डिश टीवी और रिलायंस कम्युनिकेशन जैसी कई डीटीएच ऑपरेटर अब अपने मुल्क में एचडीटीवी उतारने की सोच रहे हैं।


एचडीटीवी का मतलब होता है, हाई डेफिनेशन टेलीविजन। भाई साहब यह कोई टीवी सेट नहीं, बल्कि एक फॉर्मेट है। इसकी वजह से आपको मिलेगा पुराने टीवी सेटों की तुलना में कहीं बेहतर रिज्योल्यूशन और जबरदस्त आवाज। यह जादू है इसके डिजिटल ब्रॉडकास्टिंग का। हालांकि इस जादू की अपनी कुछ सीमाएं हैं।


वैसे, इसकी शुरुआत तो हो गई थी 1958 से ही, जब भूतपूर्व सोवियत संघ ने अपना हाई डेफिनेशन टीवी सिस्टम ‘ट्रांसफॉर्मर’ बनाया था। यह सिस्टम 1125 लाइंस के रिज्योल्यूशन की मदद से तस्वीर बना सकता था। उस दौर में आम टीवी केवल 525 या 625 ही बना पाता था। ध्यान रहे कि टीवी पर तस्वीरें लाइंस और उनके डॉट्स की मदद से ही बन पाती हैं। लाइंस को बनाने का काम होता है, पिक्चर टयूब का।


हालांकि, ‘ट्रांसफॉर्मर’ को सोवियत सेना के लिए किया गया था, इसलिए बाजार में उतारा नहीं गया। पहले एचडीटीवी सिस्टम को बाजार में आने में पूरे 40 साल लग गए। इसे 1998 में अमेरिकी बाजार में उतारा था अमेरिकी टीवी कंपनियों के समूह ग्रैंड अलायंस और मैसाच्युसेट्स इंस्टीटयूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) ने। फिर तो लोग-बाग इसके दीवाने हो गए। और हो भी क्यों न? आखिर इसके जरिये अब वे फुटबॉल, फिल्मों और गानों का जी भर के लुत्फ जो उठा पाते थे।


आप कैसे मजा उठा पाएंगे इसका? इसके लिए आपको जरूरत होगी एक एचडीटीवी रेडी टीवी, नए सैटेलाइट टयूनर (सेट टॉप बॉक्स) और नए सैटेलाइट डिश की। तो कैसे काम करता है यह एचडीटीवी? इस बारे में एरिक्सन इंडिया के जनरल मैनेजर विनय जायसवाल का कहना है कि, ‘ इसके लिए तो सबसे पहले एचडीटीवी कंटेंट टीवी चैनलों को रिले करना होगा।


फिर आपका सैटेलाइट डिश उस कंटेंट को कैच करेगा। इसके बाद आपका एचडीटीवी सैट टॉप बॉक्स उसको डिकोड करेगा, फिर आपके एचडीटीवी रेडी टीवी सेट पर भेज देगा। फिर मजा लीजिए जबरदस्त पिक्चर क्वालिटी का।’ अब तो ऐसे टीवी सेट भी आ गए हैं जिसमें पहले से ही यह सेट टॉप बॉक्स फिट होते हैं। लेकिन ऐसे टीवी सेट फिलहाल विदेशों में ही उपलब्ध हैं। 


चलिए अब आपको बताते हैं इसकी खासियतों के बारे में। वीडियोकॉन के निदेशक सुनील मेहता का कहना है कि, ‘इसकी सबसे बड़ी खासियत तो वही है, जिसके बारे में हम सभी ने सुन चुका है। वह चीज है, इसकी जबरदस्त पिक्चर क्वालिटी। इसकी चमक, कलर कॉन्ट्रस्ट और रिज्योल्यूशन के तो क्या कहने। आम टीवी सेट्स में तो इस क्वालिटी की कल्पना भी नहीं की जा सकती।’


यह कमाल तो है, एचडीटीवी में मौजूद ज्यादा रिज्योल्यूशंस लाइंस का। इसी वजह से इसकी पिक्चर क्वालिटी आम टीवी सेटों के मुकाबले दो से पांच गुना ज्यादा अच्छी होती है। साथ ही, अब आप टीवी पर फिल्मों को सिनेमा हॉल के अंदाज में वाइड स्क्रीन पर देख पाएंगे। मतलब, अब आपको टीवी पर फिल्म देखते वक्त स्क्रीन के ऊपर नीचे काले बार नजर नहीं आएंगे।


इसकी दूसरी सबसे बड़ी खूबी है इसकी जबरदस्त आवाज। इसके जरिये आप मजा ले पाएंगे सीडी क्वालिटी साउंड का और वह भी 5.1 डॉल्बी डिजिटल सराउंड साउंड फॉर्मेट में। विशेषज्ञों के मुताबिक इसकी एक और खासियत है और वह है इसका कम बैंडविथ इस्तेमाल करना।


इसकी इतनी तारीफ हुई है तो यह मत समझ बैठिए कि एचडीटीवी में सिर्फ अच्छाइयां ही अच्छाइयां हैं। इसमें कुछ खामियां भी हैं। विश्लेषकों के मुताबिक सबसे बड़ी खामी तो यही है कि इसके सेट टॉप बॉक्स और टीवी सेट्स काफी महंगे आते हैं। एक एचडीटीवी रेडी टीवी की कीमत 35 से 88 हजार रुपये के बीच होती है। वहीं, फुली एचडीटीवी की कीमत 90 हजार से चार लाख रुपये के बीच है।


दूसरी तरफ, जी ग्रुप की डीटीएच कंपनी डिश टीवी, एचडीटीवी सेट टॉप बॉक्स की कीमत 85 से 100 डॉलर (3,315 से 3,900 रुपये) के बीच रखने की सोच रही है। गौरतलब है कि साधारण सेट टॉप बॉक्स की कीमत इससे आधी होती है। वैसे, इसमें एक और दिक्कत यह है कि अभी तक दुनिया भर में सबसे अच्छी एचडी क्वालिटी हासिल नहीं की जा सकी है।


विश्लेषकों की मानें तो इसके लिए दुनिया भर के ऑपरेटर जिम्मेदार हैं। वो ज्यादा चैनल दिखाने के चक्कर में रिज्योल्यूशंस कम कर देते हैं। इसलिए सबसे अच्छी क्वॉलिटी लोगों तक नहीं पहुंच पाती। इसके साथ एक और बड़ी दिक्कत यह है कि एचडीटीवी में स्क्रीन के बाईं और दाईं तरफ के हिस्से में जगह खाली रह जाती है। वैसे, हमारे देश में तो इस वक्त एचडीटीवी का जादू सिर चढ़कर बोल रहा है।


देश में पिछले एक साल में बिके टीवी सेटों में से करीब 16 फीसदी (25 लाख टीवी सेट) एचडीटीवी रेडी हैं। मेहता ने बताया कि इस वक्त वीडियोकॉन हर महीने 3000 से 3500 एचडीटीवी बेच पा रही है। वहीं एलजी ने इस साल के लिए करीब दो लाख एचडीटीवी सेट्स का लक्ष्य रखा है। ब्रॉडकास्टर भी एचडीटीवी के लिए अभी से तैयार हैं।
पीटर मुखर्जी का आईएनएक्स मीडिया और स्टार टीवी, एचडीटीवी तकनीक पर आधारित कार्यक्रम बना रहे हैं।


यह तकनीक तो क्षेत्रीय ब्रॉडकास्टरों को भी काफी लुभा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि चैनलों की इस तरफ खींचे चलने की सबसे बड़ी वजह सरकार का 2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स का प्रसारण एचडीटीवी तकनीक पर करने का फैसला है। इसी वजह से तो दूरदर्शन आज कल इस तकनीक को अपनाने की तैयारी में जुटी हुई है।


उम्मीद है कि वह जल्द ही एचडीटीवी को प्रयोग के आधार पर लॉन्च करेगी। साथ ही, उसने घोषणा भी कर रखी है कि कॉमनवेल्थ गेम्स पर कार्यक्रमों को एचडीटीवी फॉर्मेट में ही तैयार किया जाएगा। 

First Published : April 18, 2008 | 12:41 AM IST