भारत मेंं सूचना प्रौद्योगिकी खर्च साल 2020 में कोविड के कारण 8.1 फीसदी घटेगा, जो पांच साल में ऐसा पहला मौका होगा। यह अनुमान रिसर्च फर्म गार्टनर का है। साल 2016 में भारत में आईटी खर्च 1.6 फीसदी घटा था और तब कुल खर्च 67.74 अरब डॉलर रहा था।
इस मद मेंं कुल खर्च 83.5 अरब डॉलर रहने की संभावना है। गार्टनर के वरिष्ठ शोध निदेशक नवीन मिश्रा ने कहा, कोविड-19 महामारी के कारण वैश्विक आर्थिक मंदी का डर भारत में मुख्य सूचना अधिकारियों को इस साल अपने आईटी खर्च को लेकर सतर्क रहने के लिए बाध्य कर रहा है। अपने मुख्य वित्तीय अधिकारी के साथ साझेदारी में मुख्य सूचना अधिकारी भारत में अपने आईटी बजट की प्राथमिकता फिर से तय कर रहे हैं।
सोशल डिस्टेंसिंग वाली सरकारी पाबंदी को मानते हुए भारत में मुख्य सूचना अधिकारियों को अपना कारोबार जारी रखने, दूरदराज से काम कराने और कामगारों के बीच संयोजन पर ज्यादा खर्च करना होगा। यह तकनीक पर होने वाला खर्च है मसलन डेस्कटॉप एज ए सर्विस (डीएएएस), इन्फ्रा एज ए सर्विस (आईएएएस), वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन) और सिक्योरिटी। गार्टनर ने एक बयान में यह जानकारी दी।
इस खर्च के परिणामस्वरूप भारत में क्लाउट को अपनाए जाने के मामले बढ़े हैं।
गार्टनर को उम्मीद है कि भारत में उपकरणों और डेटा सेंटर की व्यवस्था पर खर्च साल 2020 में काफी ज्यादा घटेगा और यह क्रमश: 15.1 फीसदी और 13.2 फीसदी कम होगा। भारत में मुख्य सूचना अधिकारी अपनी मौजूदा उपकरण परिसंपत्तियों का जीवन चक्र बढ़ाने पर विचार करेंगे, जिससे उन्हें नई खरीद टालने में सहायता मिलेगी।
हालांकि टेलीहेल्थ, स्मार्ट-चैटबोट्स, मोबाइल ऐप्लिकेशन से सक्षम डिलिवरी और डिस्टेंस लर्निंग एजुकेशन सॉफ्टवेयर पर साल 2020 में खर्च में बढ़ोतरी हो सकती है। इसके परिणामस्वरूप एंटरप्राइज सॉफ्टवेयर पर खर्च साल के दौरान 2.6 फीसदी घट सकता है।
मिश्रा ने कहा, लॉकडाउन जैसे कदम से शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और पब्लिक यूटिलिटीज को तेज रफ्तार से डिजिटलीकरण के लिए बाध्य किया है। इसके अतिरिक्त खुदरा, बीमा और बैंंकिंग जैसे क्षेत्र पहले ही डिजिटलीकरण कर चुके हैं और उन्हें साल 2020 में अपना-अपना आईटी कर्च कम करना होगा। इन क्षेत्रों को लक्षित डिजिटल पहल मसलन कृत्रिम बौद्धिकता, मशीन लर्निंग और वर्चुअल सेल्स असिस्टेंट्स पर खर्च जारी रखना होगा।