इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने सोमवार को सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश एवं डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 या आईटी नियम, 2021 के तहत मध्यवर्ती संस्थानों के लिए दिशानिर्देशों के संबंध में अक्सर पूछे जाने वाले सवालों (एफएक्यू) के स्पष्टीकरण से जुड़े दस्तावेज जारी किए जिससे सभी तरह की आशंकाओं का जवाब देने की कोशिश की गई है। मंत्रालय से सूचना प्रौद्योगिकी मध्यस्थता (इंटरमीडियरी) नियमों को लेकर कई सवाल मिले जिसके बाद एफएक्यू तैयार किया गया है।
एफएक्यू इन नियमों के दूसरे भाग तक सीमित है जो इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत आता है जबकि तीसरा भाग सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत आता है। इस एफएक्यू में 28 सवाल है जिसका मकसद सामान्य उपयोगकर्ताओं और मध्यस्थों के लिए नए नियमों के लक्ष्यों और प्रावधानों और इससे जुड़े सवालों की बेहतर समझ बनाई जा सके। एफएक्यू जारी करते हुए इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री चंद्रशेखर ने कहा कि भारत दुनिया के उन शीर्ष देशों में से एक है जो प्रौद्योगिकी की ताकत का इस्तेमाल मुख्य रूप से तीन मकसद से कर रहे हैं, मसलन लोगों की जिंदगी में बदलाव लाने, डिजिटल अर्थव्यवस्था में विस्तार के जरिये आर्थिक मौके तैयार करने और उसमें विस्तार करने, रणनीतिक क्षेत्रों में क्षमता तैयार करने के लिए इसका इस्तेमाल होगा।
मेसेजिंग प्लेटफॉर्म पर संदेश देने वाले पहले व्यक्ति की पहचान के लिए एंड-टू-एंड इन्क्रिप्शन के साथ समझौते से जुड़े सवाल पर इलेक्ट्रॉनिकी मंत्रालय ने कहा कि इन्क्रिप्शन को तोडऩे या कमजोर करने का इरादा नहीं है। इसमें कहा गया, ‘यह सबसे पहले संदेश देने वाले भारतीय का पंजीकरण ब्योरा हासिल करने से जुड़ा है। कानून के मुताबिक ही आग्रह करने वाली एजेंसी के साथ संदेश (टेक्स्ट, फोटो या वीडियो) का इलेक्ट्रॉनिक प्रारूप साझा किया जाएगा। पहचान अनइन्क्रिप्टेड संदेश के हैश वैल्यू पर आधारित है जबकि समान संदेश एक सामान्य हैश में बदलेगा चाहे मेसेजिंग मंच ने किसी भी तरह के इन्क्रिप्शन का इस्तेमाल किया हो। हैश कैसे तैयार होगा या उसे स्टोर किया जाएगा इसका फैसला एसएसएमआई (सोशल मीडिया इंटरमीडियरी) द्वारा किया जाएगा और एसएसएमआई इस नियम पर अमल करने के लिए वैकल्पिक समाधान देने के लिए स्वतंत्र है।
आईटी नियम के मुताबिक ऐसे इंटरमीडियरी जिनकी भारत में उपयोगकर्ताओं की संख्या 50 लाख से अधिक है उन्हें एसएसएमआई माना जाएगा। इस नियम की अधिसूचना फरवरी में दी गई थी और मई में इस पर अमल करना शुरू हुआ।
भारत ने इस साल की शुरुआत में नए आईटी मध्यस्थ नियम लागू किए। इसका उद्देश्य ट्विटर और फेसबुक सहित बड़ी तकनीकी कंपनियों को अधिक जवाबदेह बनाना है। नियमों के अनुसार, सोशल मीडिया मंचों को किसी सामग्री को लेकर आपत्ति जताए जाने के बाद 36 घंटे के भीतर हटाना होगा। देश में अधिकारी की तैनाती के साथ एक मजबूत शिकायत निवारण प्रणाली स्थापित करने की आवश्यकता है। सोशल मीडिया कंपनियों को शिकायत मिलने के 24 घंटे के भीतर अश्लीलता या छेड़छाड़ कर लगाए गए फोटो वाले पोस्ट को हटाने की जरूरत होती है।