सरकार ने अत्यधिक दबावग्रस्त दूरसंचार क्षेत्र को राहत उपायों पर परामर्श की प्रक्रिया शुरू करने का निर्णय लिया है। वित्तीय संकट से उबरने के लिए वोडाफोन आइडिया और उसके लेनदारों द्वारा सरकार से गुहार लगाए जाने के बाद यह पहल की जा रही है। हालांकि सर्वोच्च न्यायालय में सकल समायोजित राजस्व (एजीआर) के मामले में 19 जुलाई से सुनवाई शुरू होगी जिससे उद्योग पर बकाये की मात्रा अधिक स्पष्ट होने की उम्मीद है। दूरसंचार विभाग ऐसे कुछ शुल्कों में राहत देने पर विचार कर सकता है जो कंपनियां सरकार को भुगतान करती हैं।
सर्वोच्च न्यायालय ने पिछले सितंबर में दूरसंचार कंपनियों को एजीआर बकाये का भुगतान 10 साल के दौरान किस्तों में करने की अनुमति दी थी। लेकिन इस साल के आरंभ में भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ने कुल एजीआर बकाये की गणना में खामियों को उजागर करते हुए सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया था। भारती एयरटेल पर एजीआर बकाये की रकम 43,000 करोड़ रुपये है जबकि वोडाफोन आइडिया पर 58,000 करोड़ रुपये का एजीआर बकाया है।
दूरसंचार विभाग के एक अधिकारी ने चर्चा के लिए तैयार की जा रही राहत की प्रकृति का संकेत देते हुए कहा कि विभाग ऐसे कुछ शुल्कों के भुगतान की समय-सीमा में मोहलत देने पर विचार कर सकता है जो कंपनियां सरकार को भुगतान करती हैं। लाइसेंस शुल्क का भुगतान चार तिमाही किस्तों में किया जाता है। विभाग इसका सालाना भुगतान करने के लिए कंपनियों को अनुमति दे सकता है। इससे ऋण बोझ तले दबी कंपनियों को आगामी तिमाहियों में कुल राहत मिल सकती है। दूरसंचार कंपनियों द्वारा भुगतान किए जाने वाले स्पेक्ट्रम संबंधी किस्तों को भी टालने पर विचार किया जा सकता है।
इस मामले के करीबी एक अन्य अधिकारी ने कहा कि ऐसे उपाय करने की कोशिश की जाएगी जिससे दूरसंचार क्षेत्र को उबरने में मदद मिले। उन्होंने कहा कि नकदी संकट से जूझ रही कंपनी वोडाफोन आइडिया के लिए किसी विशेष उपाय पर विचार नहीं किया जा रहा है लेकिन पूरे दूरसंचार क्षेत्र में महज दो कंपनियों के वर्चस्व को रोकने के लिए विचार-विमर्श किया जा रहा है। अधिकारी ने कहा, ‘इन उपायों का उद्देश्य सभी दूरसंचार ऑपरेटरों को लाभ पहुंचाना होगा न कि किसी एक को।’
कुछ साल पहले तक भारतीय दूरसंचार उद्योग में कई कंपनियां मौजूद थीं और यह क्षेत्र तमाम प्रमुख अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को आकर्षित करता था। 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले के बाद कई दूरसंचार कंपनियों के कारोबार से बाहर होना पड़ा जिससे उनकी संख्या में भारी गिरावट आई। फिलहाल भारतीय दूरसंचार क्षेत्र में निजी क्षेत्र के महज तीन ऑपरेटर- रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया- मौजूद हैं।
एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘उद्योग के लिए कोई भी राहत तैयार करते समय उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखा जाएगा। इस निर्णय से अंतिम उपभोक्ता को कोई नुकसान नहीं होना चाहिए।’ एजीआर बकाये के मामले में दूरसंचार विभाग कानून मंत्रालय और वित्त मंत्रालय से बातचीत कर सकता है। इससे पहले वोडाफोन आइडिया के लेनदारों ने इस संकट से उबारने के लिए वित्त मंत्रालय से संपर्क किया था।
पिछले महीने वोडाफोन आइडिया ने सरकार से आग्रह किया था कि स्पेक्ट्रम किस्त के भुगतान में एक साल की मोहलत दी जाए और उसे टाल दिया जाए। कंपनी ने भारी एजीआर भुगतान के कारण किस्त के भुगतान में असमर्थता का हवाला देते हुए दूरसंचार विभाग से मदद मांगी थी। उसने दूरसंचार विभाग इस किस्त के भुगतान के लिए अप्रैल 2023 तक की मोहलत मांगी थी।