दूरसंचार कंपनियों के लिए झटका देते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) बकाया की पुन: गणना की मांग से संबंधित सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया। विश्लेषकों का मानना है कि यदि वोडाफोन आइडिया नया महत्वपूर्ण निवेशक तलाशने या दर वृद्घि में विफल रहती है तो इस निर्णय में भारती एयरटेल और रिलायंस जियो के साथ दो कंपनियों वाले उद्योग में बदलने की क्षमता है।
आईडीबीआई कैपिटल के शोध प्रमुख ए के प्रभाकर का कहना है, ‘बाजार में कम एजीआर भुगतान का असर नहीं दिखा है। उद्योग दो कंपनियों वाले मॉडल की दिशा में बढ़ रहा है, क्योंकि वोडाफोन आइडिया या बीएसएनएल और एमटीएनएल जैसी गैर-सूचीबद्घ कंपनियों को भी कम मूल्य निर्धारण मॉडल की वजह से गंभीर नकदी किल्लत का सामना करना पड़ रहा है।’ दूसरी तरफ बाजार ने इस घटनाक्रम पर निराशा जताई है और वोडाफोन आइडिया तथा भारती एयरटेल में दिन के कारोबार में 15 प्रतिशत और 2.5 प्रतिशत की कमजोरी दर्ज की गई।
हालांकि विश्लेषक इस सेक्टर पर सतर्क बने हुए हैं, लेकिन वे भारती एयरटेल पर अभी भी आशान्वित हैं, क्योंकि कंपनी ने दरें बढ़ानी शुरू की हैं और वह और ज्यादा कीमत वृद्घि करने की भी क्षमता रखती है। हालांकि वोडाफोन की नाजुक स्थिति को देखते हुए विश्लेषकों ने निवेशकों को इस शेयर से दूर बने रहने की सलाह दी है।
एक घरेलू ब्रोकरेज के विश्लेषक ने कहा, ‘चूंकि वोडाफोन आइडिया पर एजीआर को लेकर गतिरोध बना हुआ है, इसलिए ज्यादा जोखिम सहन करने वाले निवेशकों को ही इस शेयर से जुड़े रहना चाहिए या गिरावट पर खरीदारी करनी चाहिए। अन्यथा, उन्हें इसमें निवेश नहीं करना चाहिए। जहां तक भारती एयरटेल का सवाल है, तो निवेशक दीर्घावधि परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए इस शेयर को बनाए रख सकते हैं।’
ऐक्सिस सिक्योरिटीज के वरिष्ठ शोध विश्लेषक ओमकार टंकसले ने कहा, ‘पर्याप्त परिसंपत्तियों और मजबूत वित्तीय स्थिति के साथ भारती एयरटेल दूरसंचार विभाग का बकाया निपटा सकती है। वह 43,980 करोड़ रुपये में से करीब 18,004 करोड़ रुपये का भुगतान पहले ही कर चुकी है। भारती एयरटेल लगातार बाजार भागीदारी बढ़ा रही है और मजबूत बैलेंस शीट के साथ बेहतर सेवा मिश्रण में सक्षम है। एजीआर बकाया से भारती एयरटेल की राजस्व वृद्घि रफ्तार, पूंजीगत खर्च योजनाओं आदि पर प्रभाव नहीं पड़ेगा।’