31 मार्च को खत्म होने वाली वित्तीय वर्ष 2008-09 की चौथी तिमाही के नतीजों से साफ हो जाता है कि चार बड़ी आईटी कंपनियों के लिए कम से कम मंदी की लू बहुत जबरदस्त है।
अगर पूरे साल के परिणाम पर नजर डालें, तो पिछली दो तिमाही से आईटी कंपनियों की हालत आर्थिक मंदी की वजह से पस्त हो गई है। अक्टूबर- दिसंबर 200-09 की तिमाही में सिर्फ एचसीएल टेक्नोलॉजिज ने अपनी आमदनी में 16 फीसदी की छलांग लगाई थी। हालांकि यह छलांग कंपनी की एक्सॉन के साथ गठजोड़ की वजह से भी लगी।
विप्रो को इस दौरान 3 फीसदी का घाटा हुआ, जबकि इन्फोसिस ने 2.6 फीसदी का गोता लगाया। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) का मुनाफा भी 1.5 फीसदी गिर गया। मूल्य को संशोधित करने, धीमा निर्णय लेने और आईटी खर्च में कटौती की वजह से निम् टॉपलाइन ग्रोथ बरकरार रही। इसके अलावा ऑफशोर की आमदनी विकास पर भी बुरा असर पड़ा।
तिमाही आधार पर टीसीएस को ऑफशोर परिचालन में 2.39 फीसदी का नुकसान झेलना पड़ा। लाभ तो आईटी कंपनियों के लिए दूज का चांद साबित हो गया। हालांकि विप्रो लिमिटेड ने इस दौरान मामूली 0.5 फीसदी का शुद्ध मुनाफा दर्ज किया। 200 करोड़ रुपये अधिक के विदेशी सौदे के घाटे से एचसीएल टेक की हालत पतली हो गई।
