बीसीसीआई की लीग ने सभी को फायदा पहुंचाया है। इसके जरिये खिलाड़ियों और बोर्ड की आमदनी में तो इजाफा हुआ ही, दर्शकों ने भी इसको एकदम हाथों-हाथ लिया।
अब जब दर्शकों का दिल किसी चीज पर आ जाए तो कंपनियां भी अपनी सेहत सुधारने में लग जाती हैं। आखिर कंपनियां आईपीएल के मैचों में अपने विज्ञापन दिखाने में क्यों पीछे रहती। आईपीएल के जरिये जिन कंपनियों ने भी अपने विज्ञापन दिखाए, उनके पैसों की पूरी वसूली हुई है।
हाल ही में खत्म हुई डीएलएफ इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) को बड़ी संख्या में दर्शकों ने देखा है। बताया जा रहा है कि लीग के सेमीफाइनल और फाइनल को तकरीबन 6.4 करोड़ लोगों ने देखा। इसका मतलब यही हुआ कि देश भर में केबल और इंडिविजुअल कनेक्शन वाले लोगों में से तकरीबन 50 फीसदी लोगों ने इन मैचों का आनंद उठाया है। अब जब इतने लोगों ने मैचों देखा, तो कंपनियों के विज्ञापनों को भी देखा ही होगा।
ऐसे में आईपीएल के दौरान जिन कंपनियों ने भी अपने विज्ञापन दिखाए हैं, उनके लिए यह मुनाफे का ही सौदा रहा है। इनको यदि विज्ञापन दिखाने से फायदा पहुंचा है, तो आईपीएल के अधिकृत प्रसारक सेट मैक्स के भी कम वारे-न्यारे नहीं हुए हैं।
जिन कंपनियों ने ‘राजस्थान रॉयल्स’ और ‘चेन्नई सुपर किंग्स’ के बीच फाइनल मैच में विज्ञापन दिखाए, उनके लिए तो यह मैच पूरा ‘पैसा वसूल’ साबित हुआ। गौरतलब है कि आईपीएल के पूरे 45 मैचों में फाइनल मैच को सबसे ज्यादा लोगों ने देखा। सेट मैक्स पर दिखाए गए इस मैच की रेटिंग टेलिविजन व्यूअरशिप मॉनिटरिंग एजेंसी एमैप के अनुसार 10 रही।
एमैप के मुताबिक आईपीएल के आखिरी तीन मैचों को लगभग 6.4 करोड़ लोगों ने देखा और केवल फाइनल को ही 2.4 करोड़ लोगों ने देखा। विज्ञापन जगत के विशेषज्ञों का मानना है कि अभी हाल में जितने भी क्रिकेट टूर्नामेंट हुए हैं, उनमें आईपीएल ही सबसे ज्यादा देखा गया है।
एक बड़ी विज्ञापन एजेंसी के वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि पिछले साल द. अफ्रीका में भारत और पाकिस्तान के बीच खेले गए टी 20 विश्व कप के फाइनल मैच को भी बहुत ज्यादा लोगों ने देखा था, इसके बावजूद भी उसकी रेटिंग 6 से 7 तक ही पहुंच पाई थी।
एजेंसी द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार आईपीएल के सेमीफाइनल मैचों की रेटिंग 4.5 फीसदी रही जबकि फाइनल की रेटिंग कही बढ़कर 7.7 पहुंच गई। इसके अलावा कई लीग मैच ऐसे रहे जिनकी रेटिंग बहुत ज्यादा रही। इनमें राजस्थान बनाम दिल्ली की रेटिंग 7.1, चेन्नई बनाम मोहाली की 6.6, राजस्थान बनाम चेन्नई की रेटिंग 10.2 रही।
शुरुआती मैचों के मुकाबले सेमीफाइनल और फाइनल को देखने के लिए लोगों ने लगभग दोगुना औसतन समय दिया। आंकडों के मुताबिक दर्शक जहां शुरुआती मैचों को देखने के लिए औसतन 40 मिनट खर्च करते थे, वहीं फाइनल मैच में दर्शकों द्वारा मैच देखने के लिए औसतन 89 मिनट दिए गए।
गौरतलब है कि आईपीएल के मैचों के प्रसारण अधिकार सेट मैक्स के पास थे। देश में केबल और सेटेलाइट के जरिये चैनल की पहुंच 20 फीसदी तक है। इसका मतलब यही हुआ कि लगभग 1.6 करोड़ घरों में जहां केबल कनेक्शन है, उन्होंने रविवार को खेला गया फाइनल मुकाबला देखा।
एमैप के प्रवक्ता का कहना है कि जिन 11.71 करोड़ घरों में केबल और सेटेलाइट के जरिये चैनल देखे जाते हैं, उनमें से तकरीबन 2.4 करोड़ ने फाइनल मैच को देखा। विज्ञापन जगत का अनुमान है कि आईपीएल के आखिरी तीन मैचों के लिए चैनल ने 10 सेकंड का विज्ञापन दिखाने के बदले में 8 से 10 लाख रुपये वसूले।
इसके बावजूद भी कोका कोला, हुंडई के अलावा कई और कंपनियों के लिए आईपीएल मुनाफे का ही सौदा रहा, प्रति 10 सेकंड विज्ञापन दिखाने के लिए उनका औसतन खर्च 2 से 2.5 लाख रुपये के बीच ही रहा और जिस संख्या में मैच को दर्शक मिले, उसके लिहाज से यह कीमत कुछ ज्यादा नहीं है। कुछ भी हो सबसे ज्यादा फायदे में तो सेट मैक्स ही रहा। उसने विज्ञापनों के जरिये तकरीबन 350 करोड़ रुपये जो कमाए हैं।