केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने दिसंबर की शुरुआत में सभी राज्यों के श्रम मंत्रियों के साथ बैठक की योजना बनाई है। इसका मकसद 4 नई श्रम संहिताओं को लागू करने की तैयारियों और श्रम कल्याण नीतियों पर चर्चा करना है। यह चिंतन शिविर सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को एक साथ लाने की कवायद है, क्योंकि सरकार नई श्रम संहिता लागू करने की योजना बना रही है, जो लंबे समय से लंबित सुधार एजेंडे का हिस्सा है।
सूत्रों ने कहा, ‘बैठक की तैयारियों के हिस्से के रूप में सभी राज्यों से कहा गया है कि वे मसौदा नियमों और केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए मॉडल नियमों का अध्ययन करें। इससे खामियों को चिह्नित करने और उन्हें तत्काल दूर करने में मदद मिलेगी।’ पिछले साल सरकारी एजेंसी वीवी गिरि नैशनल लेबर इंस्टीट्यूट द्वारा जारी एक अध्ययन में कहा गया था कि नई श्रम संहिता के तहत विभिन्न राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा बनाए गए कानून और केंद्र के कानून में बहुत अंतर है।
इसमें यह भी कहा गया है कि सिर्फ 24 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों ने सभी 4 संहिताओं के तहत कानून बनाए हैं, जबकि पश्चिम बंगाल, मेघालय, नगालैंड, लक्षद्वीप और दादर और नागर हवेली को अभी कानून बनाना बाकी है। देश के विभिन्न भागों में हाल ही में आयोजित 6 क्षेत्रीय सम्मेलनों के बाद यह कदम उठाया गया है, जिनमें केंद्र और विभिन्न राज्यों के श्रम अधिकारियों ने भाग लिया था, जिसमें श्रम सुधार, ई-श्रम पोर्टल, गुणवत्तापूर्ण रोजगार सृजन और भवन एवं अन्य निर्माण श्रमिकों आदि पर चर्चा की गई थी।
सूत्र ने कहा, ‘सहकारी संघवाद की भावना से इस सम्मेलन का आयोजन होगा। इसमें श्रम संहिता सहित श्रम से संबंधित विभिन्न मसलों पर चर्चा होगी। इससे केंद्र व राज्य की सरकारों के बीच तालमेल बिछाने और बेहतर नीतियां बनाने में मदद मिलेगी और श्रमिकों के कल्याण की योजनाओं को प्रभावी तरीके लागू किया जाना सुनिश्चित हो सकेगा।’
इसके पहले अगस्त 2022 में इसी तरह की बैठक तिरुपति में आयोजित की गई थी, जहां 19 राज्यों के श्रम मंत्रियों ने हिस्सा लिया था और ‘विजन श्रमेव जयते @ 2047’ प्रस्तुत किया था। यह महिला श्रम बल भागीदारी में सुधार, लैंगिक समानता सुनिश्चित करने, दूरस्थ कार्य और गिग वर्कर्स जैसे काम के नए रूपों का लाभ उठाने और रोजगार के ज्यादा अवसर सृजित करने के मकसद से तैयार किया गया था।