दबाव से जूझ रही वैश्विक परिसंपत्ति निवेशक ओकट्री के साथ पिछले तीन महीने के अंदर दूसरे सौदे (1500 करोड़ रुपये की उगाही) को लेकर इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनैंस की बातचीत अंतिम चरण में है।
पिछले सौदे की तरह, इंडियाबुल्स कुछ खास डेवलपर ऋण को ओकट्री के पास गिरवी रखकर कोष जुटाएगी। अमेरिका स्थित परिसंपत्ति निवेशक इसमें वरिष्ठ ऋणदाता के तौर पर आगे आएगी। सूत्रों का कहना है कि ओकट्री के पास परियोजना के नकदी प्रवाह पर पहला अधिकार होगा। जून में इंडियाबुल्स ने ओकट्री से 2,200 करोड़ रुपये जुटाए हैं। इस सौदे में, इंडियाबुल्स ने ओकट्री के साथ अपने रियल एस्टेट सौदों को गैर परिवर्तनीय डिबेंचर्स के जरिये पुनर्वित्त किया है।
ओकट्री ने इस बारे में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। वहीं इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनैंस को भेजे गए ईमेल संदेश का भी कोई जवाब नहीं आया है। अन्य एनबीएफसी और आवास वित्त कंपनियों की तरह इंडियाबुल्स भी पूंजी जुटाने और डेवलपर ऋणों की भागीदारी घटाने के लिए अपने ऋणों को पुनर्वित्त कर रही है।
इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनैंस के वाइस चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक गगन बंगा ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘इससे नकदी जुटाने और अपने बहीााते को पुन: संतुलित करने में मदद मिलेगी। एक साल में हम रिटेल ऋणों को अपनी ऋण बुक के 90 प्रतिशत पर पहुंचाना चाहते हैं।’
बंगा ने कहा, ‘हम अन्य दो-तीन सौदों पर भी काम कर रहे हैं।’ मार्च 2020 तक इंडियाबुल्स की ऋण बुक 69,676 करोड़ रुपये पर थी और इसमें करीब 25,000 करोड़ रुपये के डेवलपर ऋण शामिल थे।
लॉस एंजिल्स स्थित ओकट्री की परिसंपत्तियां जून 2020 तक 122 अरब डॉलर की थीं। कंपनी ऋण, रियल एस्टेट, निजी इक्विटी आदि के कारोबार से जुड़ी हुई है। उसने पिछले कुछ वर्षों में देश में आवास वित्त कंपनियों से डेवलपर ऋण खरीदे हैं।
अगस्त 2018 में आईएलऐंडएफएस संकट के बाद एनबीएफसी और एचएफसी को चुनौतियों से जूझना पड़ा है और उन्होंने पूंजी जुटाने के लिए अपने ऋण बेचने शुरू किए हैं।
