प्रमुख आईटी कंपनी विप्रो ने आर्थिक मंदी के बावजूद चौथी तिमाही में अपने लक्ष्य को पाने में सफलता पाई है।
हालांकि कंपनी को अभी कई रणनीतियों पर काम करना है। विप्रो आईटी कारोबार के संयुक्त सीईओ गिरीश परांजपे से विभु रंजन मिश्र ने कंपनी की भावी योजनाओं पर विस्तार से बातचीत की। प्रस्तुत है, प्रमुख अंश :
आपने कहा था कि मूल्य दबाव की परवाह किए बिना ग्राहकों को ज्यादा अहमियत देंगे। लेकिन आपकी प्राइसिंग में 2 फीसदी की गिरावट हो गई?
हां यह सही है। लेकिन यह गिरावट मामूली है। हमलोग अभी भी अपना मार्जिन बढ़ा ही रहे हैं।
ग्राहकों ने तो अपना बजट स्पष्ट कर दिया है। आपलोगों को ग्राहकों से किस तरह का संदेश मिल रहा है?
अभी तक खर्च का ब्योरा पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हुआ है। मौजूदा अनिश्चित आर्थिक माहौल में लोग में विश्वास की कमी है, इसलिए वे पहले की तरह कोई निर्णय इतनी जल्दी नहीं ले पाते।
हालांकि हमलोगों ने बहुत सारे ग्राहकों से संपर्क स्थापित किए हैं और कुछ से संपर्क बनाने की कोशिश में लगे हुए हैं। हमने पाया है कि हर आने वाला महीना पिछले महीने से अच्छा लग रहा है। आशा करता हूं कि हमलोग स्थायित्व की ओर अग्रसर हैं, जो हमारे उद्योग के लिए एक अच्छा संकेत है।
बहुत सारे लोग कह रहे हैं कि ग्राहकों ने अपने बजट में 5 से 10 फीसदी की कटौती कर दी है?
हमलोगों ने पहले भी ऐसा देखा है। लेकिन जब कोई ग्राहक आईटी खर्च में कमी करता है, तब वह खर्च के तौर तरीके को लेकर सजग हो जाता है। इस स्थिति में वे विप्रो जैसी कंपनियों से बात करना ज्यादा उपयुक्त समझते हैं।
ग्राहक किस तरह की मांग कर रहे हैं?
ग्राहक हमलोगों से ज्यादा जिम्मेदारी की उम्मीद करते हैं। वे चाहते हैं कि जब करार की रूपरेखा तय हो, तो हम रचनात्मकता और पहल पर ज्यादा ध्यान दें। वे चाहते हैं कि हम उनके बजट के मुताबिक उन्हें सेवा प्रदान करें।
इसका मतलब यह हुआ कि वे कम खर्च में ज्यादा सेवा चाहते हैं। तो इससे आप पर एक तरह का दबाव बन रहा है?
हां, यह सही है। इसलिए हमें उनके साथ ज्यादा उत्पादकता कायम रखनी होगी।
इससे यूटिलाइजेशन दर बढ़ाने में मदद मिलेगी?
ग्राहक यह सोचने लगे हैं कि भारत का बाजार अप्रतिस्पर्द्धी होता जा रहा है। लेकिन अब उन्होंने यह कहना शुरू कर दिया है कि भारत में मंदी को झेलने की पूरी क्षमता है।
