सत्यम के सीईओ के चयन को लेकर काफी ऊहापोह के बाद आखिरकार वह नाम मिल ही गया, जो कंपनी का खेवनहार बनेगा।
सत्यम के नए सीईओ के तौर पर ए. एस. मूर्ति के चयन के बाद कॉरपोरेट जगत के लोग अब यह उम्मीद लगा रहे हैं कि उनके नेतृत्व में कंपनी फिर से अपनी छवि सुधार पाएगी। ए. एस. नारायणमूर्ति ने नैशनल इंस्टीटयूट ऑफ टेक्नोलॉजी, वारंगल से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक किया है। उन्होंने कंप्यूटर साइंस में इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ साइंस, बेंगलुरु से पोस्ट ग्रेजुएशन
किया है। 1981 में अपनी मास्टर डिग्री पूरा करने के बाद वे ए. एस. मूर्ति के बदले एएसएम के नाम से मशहूर हो गए। उन्होंने इसी अवधि में टीसीएस ज्वाइन की और कई महत्वपूर्ण भूमिका में रहे। मूर्ति ने 1994 में आपूर्ति प्रमुख के तौर पर सत्यम ज्वाइन की।
इसके बाद 1999 में उन्हें एचआर की जिम्मेदारी भी दी गई। उन्होंने सत्यम के लीडरशिप डेवलपमेंट ग्रुप के प्रमुख का पद भी संभाला। मूर्ति रणनीति और प्रोग्राम बनाने में माहिर हैं। उनके साथ काम करने वाले उनकी कर्मठता और लगन से काफी प्रभावित रहा करते हैं। मूर्ति सत्यम की सर्वोच्च इकाई स्टीयरिंग काउंसिल के भी सदस्य रह चुके हैं।
नए सीईओ नियुक्त होने से पहले वे सत्यम के प्रमुख इन्फॉरमेशन सिक्योरिटी ऑफिसर के पद पर थे। इस पद पर रहते हुए उन्होंने इन्फॉरमेशन सिक्योरिटी के हरेक पहलुओं को बारीकी से नियंत्रित किया है। वे सत्यम के बिजनेस कंटीन्यूटी ऐंड इन्फॉरमेशन सिक्योरिटी मैनेजमेंट फोरम के अध्यक्ष भी हैं।
वे पिछले 12 साल से सत्यम में विभिन्न पदों पर काम कर चुके हैं। बतौर सीईओ उनकी सबसे बड़ी जिम्मेदारी कंपनी को मौजूदा त्रासदी से उबारना है। मूर्ति सत्यम के साथ उस समय से हैं, जब कंपनी में 100 कर्मचारी हुआ करते थे।
सत्यम के सीईओ के तौर पर जैसे ही उनके नाम की घोषणा हुई, उन्होंने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘यह मेरे लिए एक अनूठा अवसर है। कंपनी को एक नई दिशा देना हमारी पहली प्राथमिकता होगी। सत्यम की मौजूदा स्थितियों को लेकर मेरे मन में किसी प्रकार का तनाव नहीं है।
मैं बोर्ड, अपने सलाहकारों और सत्यम के कर्मचारियों के बीच एक बेहतर तालमेल स्थापित कर कंपनी की खोई हुई गरिमा को लौटाने का पूरा प्रयास करुंगा। हमारी पहली प्राथमिकता 30 दिन, 60 दिन और 90 दिन की योजनाओं को क्रियान्वित करना है, जिसके आधार पर हिस्सेदारों की रुचियों को बरकरार रखने की पूरी कोशिश की जाएगी।’
उनकी नियुक्ति पर प्रतिक्रिया देते हुए एचडीएफसी के अध्यक्ष और सत्यम के नए बोर्ड के सदस्य दीपक पारेख ने कहा, ‘मूर्ति पिछले 15 साल से सत्यम से जुड़े हुए हैं। उन्हें सत्यम की बतौर संगठन अच्छी समझ है और वे कारोबार इकाई को नेतृत्व देने में माहिर हैं।
अंतरराष्ट्रीय आपूर्ति, ग्राहकों से संबंध स्थापना और मानव संसाधन के जरिये एक मजबूत कार्यशील टीम गठन करने में मूर्ति को लंबा अनुभव प्राप्त है। वे टीम वर्क में यकीन रखते हैं। उनका मानना है कि टीम द्वारा आपसी सहमति से बेहतर नतीजे प्राप्त किए जा सकते हैं।
