सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग (बीपीओ) कंपनियां जो पहले ही अमेरिकी आर्थिक मंदी और मुद्रा में उतार-चढ़ाव से अपनी रफ्तार धीमी पा रही हैं, अब वे तेजी से बढ़ती महंगाई दर से दो-दो हाथ करने के लिए अपनी योजनाओं में फेर-बदल कर रही हैं।
और इसका असर कंपनी के आम एवं प्रशासनिक खर्च (एसजीऐंडए) और यात्रा के खर्च के साथ ही वेतन पर भी पड़ने वाला है- जो हो सकता है कि आगे भी कंपनी के मुनाफे पर असर डालें।
विश्लेषकों का मानना है कि महंगाई दर का तुरंत असर वेतनों में वृध्दि पर देखा जा सकता है। थॉलंस इंवेस्टमेंट एडवाइजरी रिसर्च के अविनाश वैशिष्ठ का कहना है, ‘कंपनियों ने जो फैसला किया था, अब वेतन उससे अधिक बढ़ेगा। पिछले वर्ष वेतन में लगभग 15 प्रतिशत का इजाफा हुआ था, जबकि इस साल 8 से 9 प्रतिशत वृध्दि की उम्मीद है।’
हालांकि भारत की आईटी सेवाएं मुहैया कराने वाली बड़ी कंपनियां जैसे टाटा कंसलटेंसी सर्विसेज (टीसीएस), इंफोसिस, सत्यम ने वित्त वर्ष की पहली तिमाही की शुरुआत 1 अप्रैल के साथ वार्षिक वेतन वृध्दि को लागू कर दिया है। अन्य कंपनियां जैसे विप्रो साल के दौरान इसे लागू करेगी। इसका असर और भी बढ़ सकता है अगर सालभर महंगाई दर की यही रफ्तार रही, जिसका मतलब है कि कंपनियों को वित्त वर्ष के मध्य या फिर अगले वर्ष में वेतन में अच्छी वृध्दि करनी होगी।
जेनसर के डिप्टी चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक, गणेश नटराजन का कहना है, ‘महंगाई दर का कम समय के लिए कोई खास असर नहीं होगा। लेकिन लंबे समय में हमें अपने कारोबार की योजनाओं को पुनर्व्यवस्थित करना होगा। हमें अपने कामों, वेतन, निवेशों की लागत की दोबारा गणना करनी होगी, अगर महंगाई की यही दर लंबे समय के लिए बनी रहती है।’
वेतन के बाद यात्रा का खर्च कंपनियों की फेहरिस्त में ऊपर आता है, क्योंकि परिवहन संगठन अपने किराए बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं। महाराष्ट्र के ड्राइवरों और मालिकों का संगठन (एमसीसीडीओए) ने अपना भत्ता बढ़ाए जाने की मांग की है। एमसीसीडीओए के अध्यक्ष नाना क्षीरसागर का कहना है, ‘सभी बीपीओ इकाइयां हमें प्रति किलोमीटर यात्रा के लिए 6 रुपये देती हैं। पेट्रोल और डीजल की कीमतों में इजाफे को देखते हुए हम प्रति किलोमीटर 10 रुपये चार्ज करना चाहते हैं।
बीपीओ कंपनियों को ईंधन अधिभार में हुई वृध्दि के लिए ड्राइवरों को मुआवजा देना ही चाहिए।’ नैसकॉम के अध्यक्ष सोम मित्तल का कहना है, ‘कीमतों में इजाफे का दौर पिछले साल रुपये की मजबूती के साथ ही शुरू हो गया था और तभी से उद्योग इस मुसीबत से निपटने के लिए प्रयास कर रहा है। इसका मांग पर कोई असर नहीं पड़ने वाला, लेकिन इसका असर परिवहन और ईंधन की कीमतों पर जरूर पड़ रहा है और इसके लिए हम राज्य सरकारों से बातचीत कर रहे हैं।’
इस मामले में कुछ प्रयास किए जा रहे हैं, जैसे कि जेनसर की योजना ईंधन की तेजी से बढ़ती कीमतों को देखते हुए अपने कर्मियों को परिवहन लागत पर दी जा रही सब्सिडी को हटाने की है। फिलहाल कंपनी अपने कर्मचारियों को दफ्तर पहुंचने के लिए यात्रा में 50 प्रतिशत सब्सिडी मुहैया करा रही थी। जेनसर टेक्नोलॅजीस के प्रशासन प्रमुख अजित सने का कहना है, ‘हमें यात्रा लागत को संभालने के लिए एक मजबूत कदम उठाना होगा।
हम अपने कर्मचारियों पर ईंधन की बढ़ती कीमतों का असर नहीं डालना, हमनें इस सब्सिडी को खत्म कर दिया है।’ डब्ल्यूएनएस ग्लोबल सर्विसेस के समूह मुख्य कार्यकारी नीरज भार्गव का कहना है, ‘बीपीओ उद्योग में लागत में कटौती इन दिनों आम बात हो गई है। हम लागत पर लगाम लगाने के लिए लागतार कम समय और लंबे समय के समाधानों पर विचार कर रहे हैं।’
भारत में 7 से 8 प्रतिशत यात्रा और बिजली पर खर्च के साथ कंपनी अपनी लागत को जमीन पर लाने के लिए कई प्रयास कर रही है। भार्गव का कहना है कि हम अपने कर्मचारियों को टैक्सी या कार की जगह बसों का इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। साथ ही परिवहन की सेवाएं देने वाली कंपनियों को कह रहे हैं कि वे सीएनजी वाहनों का इस्तेमाल अधिक करे। यात्रा की लागत में कटौती भी कंपनियों के लिए एक विकल्प है।
मुंबई की सिनटेल का पूरा ध्यान बेफालतू में किए जा रही यात्राओं पर है। कंपनी यात्रा की बजाय विडियो कॉन्फ्रेंसिंग को तव्वजो दे रही है। सिनटेल के अध्यक्ष एवं मुख्य परिचालन अधिकारी केशव मुरुगेश का कहना है, ‘बेशक महंगाई दर का असर विभिन्न तरह की लागतों पर पड़ रहा है और सिनटेल और उद्योग के लिए जरूरी है कि वह यात्रा खर्च पर काबू रखे जो बढ़ा रहा है। हमें लगता है कि महंगाई दर कुछ समय के लिए है और इससे लंबे समय में वेतन के स्तर या फिर प्रोसेसिंग कारोबार में लोगों को रखने पर असर नहीं पड़े वाला।’
कहां-कहां पड़ सकता है असर
वेतन इस वित्त वर्ष के मध्य या फिर अगले वित्त वर्ष में बढ़ेंगे
कंपनियों ने यात्रा पर सब्सिडी वापस ली गई
यात्रा के स्थान पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग को तरजीह