दो प्रमुख विदेशी तेल कंपनियों ने सरकार के साथ चर्चा के दौरान भारत की विंडफॉल टैक्स (Windfall Tax) व्यवस्था को तेल खोज एवं उत्पादन क्षेत्र में निवेश की अपनी योजनाओं की राह में चुनौती बताया है।
उद्योग के दिग्गजों और सरकारी अधिकारियों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि कराधान दरों में अनुबंध-बाद बदलावों से विदेशी तेल उत्पादक कंपनियों की चिंता बढ़ी है, क्योंकि उन्होंने भारत के भरोसेमंद समझे जाने वाले बाजार में प्रवेश करने की योजनाएं बना रखी हैं।
विदेशी तेल कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘विंडफॉल कर घरेलू तौर पर उत्पादित कच्चे तेल और डीजल तथा विमानन ईंधन (एटीएफ) पर लगाया जाता है, और इसमें सभी तेल व्यवसायों को शामिल किया गया है। इस कर पर दर की समीक्षा हरेक पखवाड़े की जाती है और कई बार इसमें बड़ा बदलाव होता है। इससे किसी भी व्यवसाय के लिए वित्तीय नियोजन की प्रक्रिया चुनौतीपूर्ण बन जाती है।’
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि पिछले साल से इस मुद्दे को विदेशी तेल कंपनियों तथा सरकार के बीच कई बैठकों में उठाया गया। उन्होंने कहा कि तीन दिवसीय इंडिया एनर्जी वीक 2023 समिट के अवसर पर हुईं बैठकों में भी इस मुद्दे पर चर्चा की गई। प्रतिभागियों ने इस क्षेत्र के लिए एक मजबूत नीति और कर ढांचे की जरूरत पर जोर दिया है।
विंडफॉल कर का विरोध 2023 में अपस्ट्रीम तेल क्षेत्र में सरकार द्वारा 58 अरब डॉलर निवेश आकर्षित करने की योजनाओं की राह में समस्या पैदा कर सकता है। अमेरिकी ऊर्जा कंपनियों एक्सनमोबिल और शेवरॉन, फ्रांस की टोटाल एनर्जीज, और लंदन की बीपी जैसी कंपनियों ने भारत में निवेश को लेकर दिलचस्पी दिखाई है।
निवेश की जरूरत
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा आयातक और उपभोक्ता है तथा अपनी करीब 85 प्रतिशत तेल जरूरतें विदेशों से पूरी करता है।
पिछले दो साल में सरकार ने घरेलू कच्चा तेल उत्पादन बढ़ाने की योजनाएं बनाई हैं। सरकार देश की कच्चे तेल की कुल रिफाइनिंग क्षमता मौजूदा 25 करोड़ टन से बढ़ाकर 45 करोड़ टन सालाना करने की दिशा में भी तेजी से काम कर रही है।
वैश्विक तेल मांग में भारत की भागीदारी 5 प्रतिशत है, यह बढ़ाकर 11 प्रतिशत किए जाने की संभावना है।
करों में बदलाव नहीं
हालांकि अधिकारियों का कहना है कि विंडफॉल कर बरकरार रहेगा। पेट्रोलियम मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘ऐसी कोई अंतर-मंत्रालयी बैठक नहीं हुई है जिसमें किसी सरकारी अधिकारी ने यह कहा हो कि विंडफॉल कर समाप्त किया जाना चाहिए। यह कर बरकरार रहेगा।’
पिछले साल कच्चे तेल की कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव दर्ज किया गया, जिसकी वजह से पेट्रोल पंपों पर उपभोक्ताओं को ज्यादा रकम खर्च करने के लिए बाध्य होना पड़ा, भले ही तेल उत्पादकों के राजस्व में इजाफा हुआ।
कई देशों ने उपभोक्ताओं पर विपरीत प्रभाव घटाने के विभिन्न प्रयासों पर ध्यान केंद्रित किया है। सरकार का यह मानना है कि विंडफॉल कर उन उपायों में से एक है जिनसे विपरीत हालात से निपटने में मदद मिल रही है।