इस महीने के शुरू में स्विस बैंकर क्रेडिट सुइस (सीएस) ने दुनियाभर में परिवार के स्वामित्व वाली कंपनियों के वित्तीय प्रदर्शन पर रिपोर्ट पेश की। सीएस के अनुसार, पारिवारिक स्वामित्व वाली कंपनियां गैर-पारिवारिक प्रतिस्पर्धियों (भारत समेत एशिया प्रशांत क्षेत्र शामिल) को लगातार मात दे रही हैं।
बीएसई-500 सूचकांक के आंकड़े से हालांकि यह पता चलता है कि हिंदुस्तान यूनिलीवर (एचयूएल), मारुति सुजूकी, नेस्ले और कोलगेट पामोलिव जैसी वैश्विक बहुराष्ट्रीय कंपनियों (एमएनसी) की सूचीबद्घ सहायक इकाइयां लीमन संकट अवधि के बाद से भारत में इक्विटी निवेशकों की पसंदीदा रही हैं। एमएनसी ने वर्ष 2009 से शेयर बाजारों पर अपने प्रतिस्पर्धियों को मात दी। बिजनेस स्टैंडर्ड के नमूने में शामिल 50 सूचीबद्घ एमएनसी का संयुक्त बाजार पूंजीकरण जनवरी 2009 से आठ गुना से ज्यादा या 715 प्रतिशत बढ़ा है, जबकि परिवार के स्वामित्व वाली कंपनियों के बाजार पूंजीकरण में 706 प्रतिशत और नमूने में शामिल सभी 362 कंपनियों के संयुक्त बाजार पूंजीकरण में 430 प्रतिशत की वृद्घि हुई है।
तुलनात्मक तौर पर, किसी खास प्रवर्तकों के बगैर कंपनियां या स्वतंत्र कंपनियों का बाजार पूंजीकरण इस अवधि के दौरान 544 प्रतिशत तक बढ़ा है। बीएस सैम्पल में कुछ स्वतंत्र कंपनियों में लार्सन ऐंड टुब्रो, आईटीसी, ऐक्सिस बैंक, हाउसिंग डेवलपमेंट ऐंड फाइनैंस कंपनी (एचडीएफसी), एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक मुख्य रूप से शामिल हैं।
स्वतंत्र कंपनियां हालांकि इस साल जनवरी तक शीर्ष पर थीं, लेकिन उनकी शेयर कीमतें कोविड-19 महामारी से काफी प्रभावित हुई हैं। ये कंपनियां खासकर रिटेल उधारी से जुड़ी हुई हैं जिसे आर्थिक मंदी समेत महामारी से बड़े संभावित नुकसान का सामना करना पड़ा है।
सरकार के स्वामित्व वाली कंपनियां सबसे पीछे रही हैं, क्योंकि उनका बाजार पूंजीकरण जनवरी 2009 से महज 29 प्रतिशत तक बढ़ा है। इसके परिणामस्वरूप, सरकार-स्वामित्व वाली 49 कंपनियां अब बाजार पूंजीकरण के संदर्भ में सूचीबद्घ क्षेत्र में सबसे छोटा घटक हैं। इसके विपरीत, 2009 कैलेंडर वर्ष के शुरू में परिवार के स्वामित्व वाली कंपनियों के बाद पीएसयू दूसरी सबसे बड़ी घटक थीं।
शेयर बाजारों परएमएनसी का बेहतर प्रदर्शन पिछले दशक में उनके श्रेष्ठ वित्तीय प्रदर्शन के मुकाबले कमजोर पड़ा है। बिजनेस स्टैंडर्ड सैम्पल में शामिल सूचीबद्घ एमएनसी का संयुक्त शुद्घ लाभ वित्त वर्ष 2009 से दोगुना से ज्यादा हो गया है और यह 7.6 प्रतिशत की सालाना दर से बढ़ा है। तुलनात्मक तौर पर परिवार के स्वामित्व वाली कंपनियों का लाभ इस अवधि के दौरान आधा रह गया, जबकि सरकारी कंपनियों की संयुक्त आय इस अवधि के दौरान करीब 10 प्रतिशत रही।
विश्लेषक इसके लिए अंतर्निहित लाभ को जिम्मेदार मान रहे हैं जिसे लेकर एमएनसी अपनी प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले बेहतर स्थिति में हैं। इक्विनोमिक्स रिसर्च ऐंड एडवायजरी सर्विसेज के संस्थापक एवं प्रबंध निदेशक जी चोकालिंगम का कहना है, ‘एमएनसी मजबूत ब्रांड, प्रौद्योगिकी, वैश्विक अनुभव और सस्ती लागत में वैश्विक पूंजी तक पहुंच में सक्षम हैं। इससे उन्हें मुनाफे के साथ कोई समझौता किए बिना दूसरों से बाजार भागीदारी हासिल करने में मदद मिलती है।’
एमएनसी अपनी घरेलू प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले वृहद आर्थिक झटकों को सहन करने के लिहाज से भी बेहतर स्थिति में हैं।
एचीएफसी, एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक जैसी रिटेल ऋणदाताओं और तंबाकू दिग्गज आईटीसी द्वारा दर्ज तेज वृद्घि की वजह से स्वतंत्र या गैर-प्रवर्तक कंपनियां हालांकि लीमन अवधि के बाद मुनाफे के चार्ट पर शीर्ष पर रही हैं।
स्वतंत्र कंपनियों का संयुक्त शुद्घ लाभ वित्त वर्ष 2009 से वित्त वर्ष 2020 के बीच की अवधि में साढ़े तीन प्रतिशत तक बढ़ा। यह शुद्घ लाभ इस अवधि के दौरान 14.9 प्रतिशत की सालाना दर से बढ़ा है।
