ताजा आर्थिक संकट ने दुनिया के हर कोने को अपनी गिरफ्त में ले लिया है और 2009 का साल दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं के लिए बेहद खराब साबित होने जा रहा है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के प्रबंध निदेशक डोमिनिक स्ट्रॉस कान ने कहा कि निश्चित रूप से 2009 भयावह साल साबित होने जा रहा है। हमें लगता है कि वैश्विक विकास की रफ्तार इस साल नकारात्मक हो जाएगी।
उन्होंने कहा कि इस संकट की शुरूआत विकसित देशों से हुई और यह आग की तरह फैली। अब यह पूरी तरह से वैश्विक संकट बन चुका है और कोई भी इससे बच नहीं सका है। कान ने कहा कि उभरती अर्थव्यवस्थाओं पर इस संकट की दोहरी मार पड़ी है।
एक तरफ उनकी निर्यात मांग घटी है और वहीं दूसरी ओर उनके यहां पूंजी प्रवाह बंद हो गया है। इन देशों ने पिछले कुछ दशकों में आर्थिक वृध्दि की जो तीव्र दर हासिल की थी, वह घटने लगा है। आईएमएफ ने कहा कि इससे बड़ी चिंता की बात यह है कि अब संकट कम आय वाले देशों में प्रवेश कर चुका है और लाखों की संख्या में लोग एक बार फिर गरीबी की चपेट में आ जाएंगे।
कान ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में जो गिरावट आई है, उसमें 2010 से सुधार होना शुरू होगा। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि हम आज ही से सही नीतियां अपनाएं। उन्होंने कहा कि समस्या का समाधान हर देश के हिसाब से अलग-अलग होगा। लेकिन यह तय है कि इसके लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मिलकर काम करना होगा।
वैश्विक आर्थिक पैकेजों की उनकी मांग को मिले जवाब पर प्रसन्नता जताते हुए कान ने कहा वह कई देशों के अंतरराष्ट्रीय सहयोग से काफी प्रभावित हैं। लेकिन हमें इन प्रयासों को 2010 में भी जारी रखना होगा, क्योंकि अभी हम संकट से बाहर नहीं आ पाए हैं।
जी-20 देशों की हाल में संपन्न लंदन बैठक में लिए गए फैसलों की सराहना करते हुए कान ने इस बैठक को एक बड़ी सफलता बताया। उन्होंने कहा कि यह बैठक संकट के इस दौर में टर्निंग प्वाइंट साबित हो सकती है। उन्होंने कहा अपने देश के बैंकों के संरक्षण के लिए जो किया उसके क्या नतीजे सामने आए।
