डॉ. रेड्डीज, रैनबैक्सी और दूसरी नामी दवा कंपनियों ने सरकार से मांग की है कि उनके नाम भी गरीबों को गैर-ब्रांडेड सस्ती दवाओं की बिक्री वाले प्रस्ताव में शामिल किए जाएं।
एक सरकारी अधिकारी के मुताबिक, फार्मास्यूटिकल्स डिपार्टमेंट अगले हफ्ते उन दवा निर्माताओं और गैर-सरकारी संस्थाओं की सूची जारी करेगा, जो ‘जनऔषधि’ को दवाओं की आपूर्ति करेंगे।
गौरतलब है कि जनऔषधि केंद्र सरकार द्वारा स्थापित की जा रही दुकानों की श्रृंखला है, जहां सस्ती दर पर गैर-ब्रांडेड दवाओं का वितरण होगा।
सरकार के मुताबिक, करीब 76 दवा कंपनियों ने इस योजना में रुचि दिखाई है। गैर-सरकारी एजेंसियों की बात करें तो केवल रेडक्रॉस ने ही योजना में रुचि जाहिर की है। जन औषधि सस्ती दवाओं का भंडार होगा, जहां मौजूदा थोक मूल्य से भी कम कीमत पर दवाएं उपलब्ध रहेंगी।
अधिकारी ने बताया, ”हमने 400 आवश्यक दवाओं की एक फेहरिश्त तैयार की है, जिसकी आपूर्ति जन औषधि से की जाएगी। ये सारी दवाएं बाजार से 50 फीसदी सस्ती दर पर मिलेंगी।”
अधिकारी के अनुसार, केवल उन्हीं कंपनियों को दवाएं बेचने की अनुमति मिलेगी जो सरकारी पैमाने पर खरी उतरेंगी। सरकार की योजना है कि देश भर के सभी जिलों में जन औषधि की स्थापना की जाए।
यहां चौबीस घंटे दवाएं मिला करेंगी। पहले ही पंजाब और दिल्ली में दो दुकानें खोली जा चुकी हैं, जबकि उत्तर भारत में और दुकानें खोलने की प्रकिया चल रही है।
अधिकारी के मुताबिक, ”हम गुड़गांव सिविल अस्पताल में 20 फरवरी को एक दवा दुकान खोलेंगे। इसके तीन दिन बाद दो और स्टोर पंचकुला और मोहाली में खुलेंगे। मार्च तक कम से कम 40 दुकानें शुरू हो जाएंगी।”
समझा जा रहा है कि दिल्ली के ज्यादातर दवा दुकानों का नियंत्रण केंद्रीय भंडार के जिम्मे होगा। अन्य राज्यों में इन दुकानों के संचालन के लिए एनजीओ की पहचान अगले हफ्ते तक कर ली जाएगी।
इस बीच, आंध्र प्रदेश की राज्य सरकार की योजना है कि मोबाइल जन औषधि केंद्र स्थापित किए जाएं। ये मोबाइल दुकान पहले से तय कार्यक्रम के अनुसार गांवों में जाएंगे।
सरकार का मानना है कि ये मोबाइल दवा दुकान उन मरीजो के लिए लाभप्रद होंगे, जो मधुमेह, रक्तचाप जैसी बीमारियों से लंबे समय से ग्रस्त हैं। इस पहले से ये सस्ती दवाओं का लाभ ले पाएंगे।