डीएलएफ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के अपने आवास बाजार पर ध्यान देने के बाद दोबारा से मुंबई, चेन्नई जैसी विभिन्न आवासीय परिसंपत्ति बाजारों में उतर सकती है। डीएलएफ देश की सबसे बड़ी सूचीबद्ध डेवलपर है।
डेवलपर कंपनी अपने ऋण में कमी लाने के लिए 2012 में मुंबई जैसे शहरों में अपनी कुछ जमीन बेचने के बाद एनसीआर पर ध्यान दे रही थी। डीएलएफ के पूर्णकालिक निदेशक अशोक त्यागी ने कहा, ‘हमने सफलतापूर्वक देश में चेन्नई, बेंगलूरु, कोलकाता, कोच्चि, इंदौर, लखनऊ और चंडीगढ़ ट्राइसिटी में अपनी परियोजनाएं पूरी की और इन्हें समर्पित किया। अब हम इनमें से कुछ शहरों में बची हुई जमीनों पर सर्वोत्तम आवास योजनाओं के मूल्यांकन की प्रक्रिया में हैं और उसी के मुताबिक परियोजनाएं लाने की योजना बनाएंगे। यह कवायद बची हुई इन्वेंट्री को बेचने के लिए प्रयास करने के अलावा होगी।’
डीएलएफ ने 2012 में करीब 2,700 करोड़ रुपये में लोढ़ा डेवलपर्स को मुंबई की 17 एकड़ जमीन बेची थी। कंपनी ने सात साल पहले 2005 में जिस दर से जमीन खरीदी थी उससे करीब चार गुनी कीमत पर यह जमीन बेची थी।
कंपनी के पास मुंबई में एक और स्थान पर जमीन है।
उन्होंने कहा, ‘रियल एस्टेट क्षेत्र पिछले कुछ वर्षों में काफी मुश्किल समय से गुजरा है और हमने देश में अपने परिचालन वाले सभी हिस्सों में आगे बढऩे के लिए अपने आंतरिक संगठन और प्रक्रियाओं को मजबूत किया है। हमने अपने बही खाते को भी दुरुस्त किया है और अब हम मानते हैं कि हम निर्माण के अगले चक्र में प्रवेश करने जा रहे हैं।’
मांग में सुस्ती और पिछले आठ वर्ष में कीमतों में ठहराव आने के अलावा इस क्षेत्र को नोटबंदी, जीएसटी, रेरा जैसी नीतिगत चुनौतियों से जूझना पड़ा जिसके कारण उनके लिए अनुपालन और लागत बढ़ गई।
एक हालिया वेबिनार में त्यागी ने कहा कि कंपनी पहले से ही वाणिज्यिक संपत्तियों में राष्ट्रीय स्तर की प्रतिस्पर्धी है।
त्यागी ने कहा, ‘हमारे पास चेन्नई में 1.5 करोड़ वर्गफुट जमीन है और हैदराबाद में अच्छा खासा क्षेत्र है। हम कुछ समय बाद बेंगलूरु में उतरेंगे।’
डीएलएफ ने अपनी वाणिज्यि इकाई डीएलएफ साइबर सिटी डेवलपर्स के लिए सिंगापुर की फंड कंपनी जीआईसी के साथ संयुक्त उद्यम बना रखा है।
त्यागी ने कहा भले ही एनसीआर जैसे शहरों में समेकन के बहुत से अवसर बन रहे हैं लेकिन कंपनी ने उस ओर कदम नहीं बढ़ाया। उन्होंने कहा, ‘बहुत मुश्किल से हमने अपने ऋण को घटाया। अन्यथा, जब तक हम समझ पाते, हम दोबारा से इसकी चपेट में होते।’
उन्होंने कहा कि अधकांश दबावग्रस्त परियोजनाएं अपने साथ ग्राहकों की शिकायतें, मुकदमेबाजी आदि बातों को लेकर आती है।
ल्यूमोस अल्टरनेट इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स के प्रबंध निदेशक अनुरंजन मोहनोट ने कहा, ‘यह बहुत महत्त्वपूर्ण बात है। यह दर्शाता है कि कारोबार की सुगमता के कुछ प्रयास होने लगे हैं और उभरते कारोबारी बाजार के समेकन से उपजे अवसरों को अपने हाथ में लेने के लिए अब तैयार हैं। महत्त्वपूर्ण शहरों में पहले से काफी अधिक संख्या में बड़ी कंपनियों के होने से निमार्णाधीन संपत्ति खरीदते वक्त रियल एस्टेट खरीदारों का भी विश्वास जगेगा जिसकी बहुत अधिक आवश्यकता है।’
विभिन्न शहरों में विकसित हो रहे जमीन को लेकर विभिन्न डेवलपरों ने अलग अलग नजरिया अपनाया है।
एशिया पैसिफिक रियल एस्टेट एसोसिएशन और नैशनल रियल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल की ओर से आयोजित उसी वेबिनॉर में शापूरजी पलोनजी रियल एस्टेट के मुख्य कार्याधिकारी वेंकटेश गोपालकृष्णन ने कहा कंपनी शहरों और कस्बों में जाने से पहले शीर्ष के छह शहरों पर ध्यान देगी।
गोदरेज प्रोपर्टीज भी मैंगलोर जैसे शहर में उतरने के बाद मुंबई, पुणे, एनसीआर और बेंगलूरु जैसे प्रमुख बाजारों पर ध्यान दे रही है।
