निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी भारतीय कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) के बहीखाते से अच्छी खबर नहीं है।
तमाम कंपनियों को जहां मंदी ने परेशान किया, वहीं आरआईएल को चौथे तिमाही में मंदी के साथ सस्ते तेल की वजह से भी मुनाफे में कमी झेलनी पड़ी है।
कंपनी को पिछले वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही के दौरान 3,874 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ है, जो उससे पूर्व के वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही के मुकाबले 0.97 फीसदी कम है।
कंपनी को 2007-08 की अंतिम तिमाही में कंपनी ने 3,912 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ कमाया था। कंपनी के राजस्व पर तो तेल की कीमत कम होने का जबरदस्त असर पड़ा। उसे अंतिम तिमाही में 28,362 करोड़ रुपये का राजस्व हासिल हुआ, जो 2007-08 की आखिरी तिमाही के आंकड़े 37,286 करोड़ रुपये के मुकाबले 23.93 फीसदी कम रहा।
दरअसल तेल रिफाइनिंग की यह दिग्गज अपने 70 फीसदी उत्पादों का निर्यात करती है। मंदी के कारण दुनिया भर में तेल उत्पादों की मांग काफी कम हुई है, ऐसे में आरआईएल को नुकसान होना लाजिमी था। मंदी और सस्ते तेल की जुगलबंदी ने कंपनी का बहीखाता बिगाड़ दिया।
कंपनी के सकल रिफाइनिंग मार्जिन में भी कमी आई। इस बार यह आंकड़ा 9.9 डॉलर प्रति बैरल रहा, जबकि पिछली बार यह 12.2 डॉलर था। अन्य स्रोतों से होने वाली कमाई में बढ़ोतरी होने की वजह से शुद्ध लाभ फिर भी सुधरा रहा।
पिछले वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही के 289 करोड़ रुपये के मुकाबले इस बार यह आंकड़ा 993 करोड़ रुपये रहा। कंपनी के पेट्रोकेमिकल राजस्व में भी इस दौरान 31 फीसदी की कमी आई। कंपनी के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक मुकेश अंबानी ने रिलायंस पेट्रोलियम रिफाइनरी की शुरुआत और गैस विकास परियोजनाओं के पूरा होने की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘रिलायंस के लिए बेहद अहम वर्ष रहा।’
कंपनी ने कहा कि केजी डी 6 ब्लॉक से गैस का उत्पादन इसी महीने के अंतिम हफ्ते से शुरू होने की उम्मीद है। मरम्मत के लिए यह ब्लॉक दिसंबर से ही बंद है। नतीजों से पहले ही आरआईएल के शेयर बंबई स्टॉक एक्सचेंज पर 2.7 फीसदी चढ़कर 1,762.35 रुपये पर बंद हुए। सेंसेक्स आज 2.9 फीसदी सुधर गया।
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड
शुद्ध लाभ कुल राजस्व
चौथी तिमाही चौथी तिमाही
2007-08 3,912 37,286
2008-09 3,874 28,362
सभी आंकड़े करोड़ रुपये में
