ब्रिटेन की कंपनी केयर्न एनर्जी की इकाई केयर्न इंडिया को गुजरात की अम्बे फील्ड ब्लॉक से पीछे हटना पड़ सकता है ।
क्योंकि कंपनी हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय (डीजीएच) को निर्धारित समयावधि में ब्लॉक में होने वाली विकासात्मक कार्यक्रमों का ब्योरा नहीं सौंप पाई है। अम्बे फील्ड में केयर्न इंडिया की 40 फीसदी, ऑयल ऐंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) की 50 फीसदी और टाटा पेट्राडाइन की 10 फीसदी हिस्सेदारी है।
केयर्न इंडिया ने 2001 में कैम्बे बेसिन में तेल और गैस की खोज की थी। कंपनी को मार्च 2008 तक डीजीएच के सामने विकास योजना की रपट सौंपनी थी, लेकिन कंपनी निर्धारित अवधि में ऐसा नहीं कर पाई।
डीजीएच के महानिदेशक वी. के. सिब्बल ने कहा, ‘अम्बे फील्ड की विकास योजना सौंपने का समय बीत गया है। अब कंपनी को ब्लॉक में खोज का काम छोड़ना होगा।’ इस देरी के बाद डीजीएच ने केयर्न-ओएनजीसी कंसोर्टियम से कहा है कि या तो ब्लॉक में तेल और गैस की खोज का काम छोड़ दें या लिक्विडेटेड चार्ज अदा करें और बैंक गारंटी भरें। हालांकि केयर्न के अधिकारियों ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
ओएनजीसी के एक अधिकारी ने बताया, ‘अम्बे नेल्प से पहले का ब्लॉक है और जब उत्पादन साझेदारी की बात चल रही थी, तो बैंक गारंटी या लिक्विडेशन चार्ज की बात नहीं कही गई थी। हम इस मामले में डीजीएस से बात कर रहे हैं।’
ओएनजीसी के एक दूसरे अधिकारी ने कहा कि अगर इस ब्लॉक से तेल और गैस की खोज शुरू हो जाती, तो शायद ब्लॉक छोड़ने की बात नहीं उठती। उन्होंने कहा, ‘ब्लॉक छोड़ने की बात तब की जाती है, जब कंपनी ने या तो निर्धारित समय में काम पूरा नहीं किया या वे तेल या गैस की खोज नहीं कर पाई।’
