वैश्विक वित्तीय दिगग्गज ब्लैकस्टोन ग्रुप पीएलसी ने फ्यूचर लाइफस्टाइल और उसकी होल्डिंग कंपनी में पिछले साल किए गए 1,750 करोड़ रुपये के निवेश पर फ्यूचर समूह से सफाई मांगी है। ब्लैकस्टोन के निवेश में अमेरिकी प्राइवेट इक्विटी की तरफ से फ्यूचर लाइफस्टाइल की 6 फीसदी हिस्सेदारी खरीद पर 545 करोड़ रुपये निवेश और फ्यूचर लाइफस्टाइल की होल्डिंग कंपनी राइका कॉमर्शियल वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड की ऋण प्रतिभूतियों में 1,200 करोड़ रुपये का निवेश शामिल है।
फ्यूचर समूह ने ब्लैकस्टोन समेत अपने सभी निवेशकों से बातचीत करने के लिए जेएम फाइनैंशियल को नियुक्त किया है और कहा है कि रिलायंस रिटेल के साथ हुआ उसका सौदा सभी हितधारकोंं के लिए बेहतर है। अगस्त के आखिर में फ्यूचर समूह ने रिलायंस रिटेल के साथ सौदे का ऐलान किया था, जिसके तहत वह अपनी सभी परिसंपत्तियां रिलायंस रिटेल को हस्तांतरित करने पर सहमत हुआ था। योजना के मुताबिक, फ्यूचर समूह की सूचीबद्ध इकाइयों का फ्यूचर एंटरप्राइजेज में विलय होगा। जब विलय की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी तो थोक व लॉजिस्टिक्स कारोबार समेत पूरा खुदरा कारोबार रिलायंस को 24,700 करोड़ रुपये में बेच दिया जाएगा। सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरधारकों को विलय के बाद बनने वाली नई इकाई के शेयर जारी किए जाएंगे।
ब्लैकस्टोन के प्रवक्ता ने इस मसले पर टिप्पणी करने से मना कर दिया, लेकिन आंतरिक सूत्र बताते हैं कि अमेरिकी फर्म निवेश के शुरुआती कुछ महीनों में ही अपने निवेश पर लगी अच्छी खासी चपत से खुश नहीं है।
वैश्विक खुदरा दिग्गज एमेजॉन की तरफ से आरआईएल सौदे पर एतराज जताने के कुछ दिन बाद ही ब्लैकस्टोन का एतराज सामने आया है। फ्यूचर रिलेट की होल्डिंग कंपनी फ्यूचर कूपन्स लिमिटेड में एमेजॉन का निवेश है और उसका भविष्य अनिश्चित है, साथ ही निवेश कीमत काफी हद तक कम हुई है। इस मसले पर एमेजॉन सिंगापुर के आर्बिट्रेशन अदालत का रुख करने की योजना बना रही है और उसका कहना है कि आरआईएल सौदे से पहले फ्यूचर ने उससे मंजूरी नहीं मांगी।
बैंकरों ने कहा कि ब्लैकस्टोन ने भी एमेजॉन की तरह निवेश किया है और किशोर बियाणी की होल्डिंग कंपनी में निवेश के मामले में एक ही मॉडल अपनाया है और इसी के जरिए सूचीबद्ध इकाइयों में उसकी हिस्सेदारी है। दोनों कंपनियों से जुटाई गई रकम का इस्तेमाल बियाणी ने समूह के कर्ज का कुछ हिस्सा चुकाने में किया। एक बैंकर ने कहा, न सिर्फ ब्लैकस्टोन फ्चूयर में अपने निवेश पर भारी मार्क-टु-मार्केट नुकसान पर बैठी है बल्कि उसे ऋण प्रतिभूतियों पर भी भारी कटौती झेलनी पड़ सकती है।
एक बैंकर ने कहा, विदेशी निवेशकों को ड्यू डिलिजेंस पर सवाल उठाना चाहिए था, जो उन्होंने फ्यूचर में निवेश से पहले किया था। अगर फ्यूचर समूह की कंपनियोंं को अब एनसीएलटी भेजा जाता है तो इन निवेशकों को कोई रिटर्न नहीं मिलेगा और सालों तक मुकदमेबाजी में इंतजार करना होगा। आरआईएल का सौदा सभी के लिए बेहतर है और भारतीय लेनदार फ्यूचर सौदे का समर्थन कर रहे हैं।
फ्यूचर समूह ने सुस्त अर्थव्यवस्था और कोरोना महामारी को जिम्मेदार ठहराया है, जिसके कारण कंपनी के स्टोर देश भर में बंद हो गए। बिग बाजार, नीलगिरी और फूड बाजार आदि का परिचालन करने वाले समूह को आपात स्थिति में रिलायंस के साथ सौदा करना पड़ा जब इस साल मार्च से समूह ने कर्ज के भुगतान में चूक करने लगी।
योजना के मुताबिक, फ्यूचर समूह की कंपनियों मसलन फ्यूचर रिटेल लिमिटेड, फ्यूचर कंज्यूमर लिमिटेड, फ्यूचर सप्लाई चेन सॉल्युशंस लिमिटेड, फ्यूचर लाइफस्टाइल फैशन लिमिटेड, फ्यूचर ब्रांड लिमिटेड और फ्यूचर मार्केट नेटवर्क लिमिटेड का फ्यूचर एंटरप्राइजेज में पहले विल होगा।
आरआईएल के साथ सौदे के बाद फ्यूचर एंटरप्राइजेज के पास जनराली के साथ बीमा उद्यम और एनटीसी मिल्स के साथ संयुकक्त उद्यम के अलावा कुछ विनिर्माण व एफएमसीजी वस्तुओं का वितरण का काम रहेगा।