बुनियादी ढांचा क्षेत्र की दिग्गज कंपनी लार्सन ऐंड टुब्रो (एलऐंडटी) ने बुनियादी ढांचा क्षेत्र में देश की सबसे बड़ी निविदाओं में से एक हासिल की है। कंपनी ने यह ठेका मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल कॉरिडोर की कुल लंबाई के 47 फीसदी के निर्माण कार्य के डिजाइन और निर्माण के लिए सबसे कम बोली लगाकर हासिल किया है।
प्रतिस्पर्धी बोली में बुनियादी ढांचा की सात बड़ी कंपनियों को शामिल करते हुए कुल तीन बोलीदाताओं ने हिस्सा लिया था। एलऐंडटी के अलावा अफकॉन्स इन्फ्रास्ट्रक्चर, इरकॉन इंटरनैशनल और जेएमसी प्रोजेक्ट्स इंडिया कंसोर्टियम तथा एनसीसी, टाटा प्रोजेक्ट्स, जे कुमार इन्फ्रा प्रोजेक्ट्स और एचएसआर के कंसोर्टियम ने बोली लगाई थी। इस मामले के जानकार एक सूत्र ने कहा कि इस कॉरिडोर के 237 किलोमीटर के खंड के लिए एलऐंडटी ने 24,985 करोड़ रुपये की बोली लगाई। टाटा प्रोजेक्ट्स की अगुआई वाले कंसोर्टियम ने 28,228 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी। यदि एलऐंडटी को यह ठेका मिलता है तो यह उसके द्वारा हासिल की गई अब तक की सबसे बड़ी परियोजना होगी। इसके पहले उसकी सबसे बड़ी परियोजनाओं में से एक 8,000 करोड़ रुपये की मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक (एमटीएचएल) परियोजना रही थी।
नैशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन के बयान में कहा गया है, ‘508 किलोमीटर लंबी मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर के मार्ग के 237 किलोमीटर लंबे खंड के डिजाइन और निर्माण के लिए वित्त बोली को सोमवार को खोला गया और लार्सन ऐंड टुब्रो ने इसमें सबसे कम बोली लगाई है।’
इस निविदा के लिए तकनीकी बोली को 23 सितंबर को खोला गया था और उसके एक महीने के भीतर वित्त बोली को भी खोल दिया गया है। इससे पहले तकनीकी बोली का सख्त मूल्यांकन किया गया। इस निविदा में 508 किलोमीटर की कुल लंबाई का 47 फीसदी हिस्सा कवर किया गया है जो गुजरात में वापी (महाराष्ट्र-गुजरात सीमा पर जरोली गांव) और वडोदरा के बीच है।
इस खंड में वापी, बिलिमोरा, सुरत और भरूच, सूरत डिपो कुल चार स्टेशन हैं। यह पूरा खंड गुजरात में है जहां परियोजना के लिए 83 फीसदी से अधिक जमीन का अधिग्रहण किया जा चुका है। मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड परियोजना के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी नैशनल हाई-स्पीड रेल कॉर्पोरेशन (एनएचएसआरसीएल) के कंधों पर है। एनएचएसआरसीएल के मुताबिक केवल इसी परियोजना से निर्माण चरण के दौरान 90,000 से अधिक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार का सृजन होगा। इससे न केवल रोजगार बाजार बल्कि उत्पादन और निर्माण बाजार को भी लाभ होने की उम्मीद जताई जा रही है। अनुमान लगाया जा रहा है कि निर्माण में 75 लाख टन सीमेंट, 21 लाख टन इस्पात और 1,40,000 टन ढांचागत स्टील का इस्तेमाल होगा और सभी का उत्पादन भारत में किया जाएगा। इसके अलावा परियोजना से बड़ी निर्माण मशीन बाजार को भी काफी लाभ होगा।
मौजूदा हाई स्पीड पटरी का 155.76 किलोमीटर महाराष्ट्र (7.04 किलोमीटर मुंबई के अद्र्घ शहरी क्षेत्र में, 39.66 किलोमीटर ठाणे जिले में और 109.06 किलोमीटर पालघर जिले में) में, 4.3 किलोमीटर केंद्र शासित प्रदेश दादरा और नगर हवेली तथा 348.04 किलोमीटर गुजरात में है। यह निविदा ऐसे समय पर खोली गई है जब एनएचएसआरसीएल सात नई परियोजनाओं पर काम कर रहा रहा है जिसमें दिल्ली-वाराणसी, मुंबई-नागपुर, दिल्ली-अहमदाबाद, चेन्नई-मैसूर, दिल्ली-अमृतसर, मुंबई-हैदराबाद और वाराणसी-हावड़ा शामिल है। इनकी अनुमानित लागत 10 लाख करोड़ रुपये है। इन परियोजनाओं को सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल पर पूरा करने के लिए भारतीय रेलवे निजी कंपनियों को शामिल करने जा रही है।