अर्न्स्ट ऐंड यंग (ईवाई) की बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2024 में भारतीय कंपनियों के कर्मचारियों की औसतन 9.6 फीसदी वेतन वृद्धि की उम्मीद है। यह पिछले साल यानी 2023 जितना ही है, मगर यह साल 2022 के 10.4 फीसदी से कम रहेगी।
फ्यूचर ऑफ पे 2024 रिपोर्ट के अनुसार, सबसे ज्यादा वेतन वृद्धि ई-कॉमर्स कंपनियों के कर्मचारियों की होने की उम्मीद है। ई-कॉमर्स कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों का वेतन 10.9 फीसदी तक बढ़ सकता है।
वित्तीय सेवाओं में कार्यरत कर्मचारियों का वेतन 10.1 फीसदी और पेशेवर सेवाओं तथा रियल एस्टेट में काम करने वाले लोगों की तनख्वाह 10-10 फीसदी बढ़ सकती है। साल 2023 में भी ई-कॉमर्स कंपनियों में सबसे ज्यादा (10.5 फीसदी) वेतन वृद्धि हुई थी। वाहन, विनिर्माण और वित्तीय सेवाओं में कार्यरत कर्मचारियों का वेतन 10.4 फीसदी बढ़ा था।
रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख है कि साल 2022 की तुलना में वेतन वृद्धि कम होने का मुख्य कारण ई-कॉमर्स क्षेत्र और प्रौद्योगिकी उप क्षेत्रों में अनुमानित गिरावट है। उसमें कहा गया है, ‘साल 2022 में क्लाउड प्लेटफॉर्म और उपभोक्ता प्रौद्योगिकी जैसे कुछ प्रौद्योगिकी उप क्षेत्रों ने उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की थी। मगर साल 2024 तक सभी में गिरावट का अनुमान है।’ ई-कॉमर्स क्षेत्र में आई गिरावट के लिए रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक महामारी से जुड़े बदलाव और ऑनलाइन प्रतिस्पर्धा बढ़ने को भी इसका जिम्मेदार माना जा सकता है।
वेरिएबल पे फीसदी में गिरावट की आशंका
साल 2023 में भारत में कुल निश्चित वेतन के हिस्से के रूप में औसत वेरिएबल पे 15.05 फीसदी था। मगर रिपोर्ट में दर्शाया गया है कि किसी भी संगठन में जब व्यक्ति की जिम्मेदारियां बढ़ती हैं तो उसके वेरिएबल पे का अनुपात भी बढ़ता है। पिछले साल व्यक्तिगत योगदानकर्ताओं के वेतन का 9.2 फीसदी और प्रबंधन स्तरीय अधिकारियों के वेतन का 10.7 फीसदी वेरिएबल पे के रूप में दिया गया था। विभाग प्रमुख और वरिष्ठ अधिकारियों (सीएक्सओ) के लिए यह क्रमशः 14.1 फीसदी और 26.2 फीसदी से अधिक था।
साल 2024 में छोटे स्तर के कर्मचारियों को छोड़कर सभी स्तरों पर वेरिएबल पे फीसदी कम होने की उम्मीद है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘अधिकारियों को आम तौर पर अधिक वेरिएबल पे मिलता है, लेकिन साल 2024 में उनकी अनुमानित वेतन वृद्धि साल 2023 से कम है।’
नौकरी छोड़ने की दर वैश्विक महामारी पूर्व स्तर पर आई
ईवाई की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में नौकरी छोड़ने की दर साल 2022 के 21.2 फीसदी से घटकर साल 2023 में 18.3 फीसदी हो गई। यह वैश्विक महामारी से पहले वाले स्तर पर आ गया है। अलग-अलग सर्वेक्षण में बताया गया है कि वैश्विक महामारी से पहले के साल में नौकरी छोड़ने की दर का स्तर 16 से 18 फीसदी के बीच था।
इन 18.3 फीसदी में से 15.2 फीसदी लोग खुद से नौकरी छोड़ने वालों में थे और 4.2 फीसदी ने अनिच्छा से नौकरी छोड़ी थी। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘आंकड़े दर्शाते हैं कि पिछले साल की तुलना में कर्मचारियों की नौकरी छोड़ने की प्रवृत्ति कम हुई है। यह 43 फीसदी से घटकर 34 फीसदी हो गया है।’
साथ ही यह भी कहा गया है कि यह ऐतिहासिक मानदंडों से अधिक है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सबसे ज्यादा 13.2 फीसदी प्रबंधक स्तर के लोगों ने नौकरी छोड़ी। उसके बाद 10.5 फीसदी व्यक्तिगत योगदानकर्ताओं और 9.9 फीसदी कार्य प्रमुखों ने अपनी नौकरी छोड़ी। अधिकारियों के बीच नौकरी छोड़ने की दर सबसे कम नौ फीसदी रही।
भारत में खुद से नौकरी छोड़ने वालों के तीन सबसे बड़े कारण वेतन असमानता, सीखने और बढ़ने के सीमित अवसर और प्रदर्शन मूल्यांकन थे। क्षेत्र के लिहाज से देखें तो सबसे ज्यादा (24.2 फीसदी) पेशेवर सेवाओं में कार्यरत लोगों ने नौकरी छोड़ी। उसके बाद सूचना प्रौद्योगिकी (23.3 फीसदी) कंपनियों के कर्मचारियों ने नौकरी छोड़ी। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘प्रतिभा की बेहतर उपलब्धता के कारण नौकरी छोड़ने की दर में कमी आने के संकेत मिले हैं।’