अपोलो टायर्स चालू और अगले वित्त वर्ष के दौरान करीब 2,600 करोड़ रुपये के पूंजीगत खर्च की योजना बना रही है। कंपनी ने यह भी कहा है कि मांग परिदृश्य काफी सकारात्मक बना हुआ है। कंपनी की फैक्टरियों का परिचालन 85 से 90 फीसदी उपयोगिता के साथ हो रहा है। कंपनी ने उम्मीद जताई है कि तीसरी और चौथी तिमाही में तेजी बरकरार रहेगी।
कंपनी के प्रबंधन ने निवेशकों से बातचीत के दौरान कहा, कंपनी ने वित्त वर्ष 2020-21 की पहली छमाही के दौरान लगभग 600 करोड़ रुपये का निवेश किया। उन्होंने कहा कि एक साल के दौरान यूरोपीय पूंजीगत खर्च 2.5 से 3 लाख यूरो होना चाहिए।
कंपनी के वाइस चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक नीरज कंवर ने कहा, ‘हम अपने पूंजीगत खर्च के मौजूदा चक्र के अंतिम चरण में हैं। आगे चलकर हम परिसंपत्तियों के दोहन और बहीखाते को सुदृढ़ करने पर ध्यान केंद्रित करेंगे। हम उम्मीद करते हैं कि अगले कुछ वर्षों के दौरान पूंजीगत खर्च की रफ्तार सुस्त पड़ेगी। इसके अलावा मांग में सुधार होने से हमें सकारात्मक मुक्त नकदी प्रवाह सृजित करने और बहीखाते को मजबूती देने में मदद मिलेगी। हमें पता है कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान हमारा पूंजीगत खर्च काफी अधिक रहा और मौजूदा नरमी के कारण रिटर्न अनुपात प्रभावित हुआ है। हम रिटर्न अनुपात को उचित स्तर पर लाने के लिए ध्यान केंद्रित कर रहे हैं और अगले कुछ वर्षों में ऐसा होने की उम्मीद करते है।’
मांग में सुधार के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि वह काफी सकारात्मक है। ओईएम और रिप्लेसमेंट दोनों श्रेणियों में वृद्धि दर्ज की गई है। कच्चे माल की लागत में कमी, निर्धारित लागत के कम होने (लगभग 15 फीसदी) और समग्र विनिर्माण लागत में नरमी से कंपनी को मदद मिली है।
कंवर ने कहा कि चौथी तिमाही में भी उन्हें तेजी दिखने की उम्मीद है। उन्होंने कहा, ‘हमने सितंबर 2020 में ट्रक बस रिप्लेसमेंट और पैसेंजर कार रेडियल सेगमेंट में अब तक की सबसे अच्छी मात्रात्मक वृद्धि दर्ज की है। अक्टूबर में हमने मांग में उल्लेखनीय तेजी दर्ज की और हम उम्मीद करते हैं कि निकट से मध्यावधि के दौरान राजस्व में वृद्ध जारी रहेगी।’
अपोलो टायर्स के मुख्य वित्तीय अधिकारी गौरव कुमार ने कहा कि तिमाही के दौरान कुल बिक्री 2,900 करोड़ रुपये की रही जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 5 फीसदी और क्रमिक आधार पर 66 फीसदी अधिक है।
तिमाही के दौरान रिप्लेसमेंट श्रेणी में राजस्व को मुख्य तौर पर मात्रात्मक बिक्री से रफ्तार मिली लेकिन हमने तिमाही के अंत तक ओईएम की मांग में भी सुधार देखा। सितंबर में इस साल की बिक्री पिछले साल के सितंबर महीने के मुकाबले अधिक रही। रिप्लेसमेंट श्रेणी में लगभग सभी उपश्रेणियों में दो अंकों में वृद्धि दर्ज की गई। यहां तक कि ओईएम श्रेणी में भी सितंबर 2020 में वृद्धि दर्ज की गई।
