बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्स (बीपीओ) कंपनियों की भागीदारी बाजार में वर्ष 2010 तक दोगुना होने की संभावना है, यह कहना है शोध संस्था गार्टनर का।
गार्टनर के मुताबिक, भारतीय बीपीओ प्रदाता कंपनियां पश्चिमी बीपीओ कंपनियों को कड़ी टक्कर दे रही हैं। साल 2008 में प्रमुख 150 कंपनियों के राजस्व के मुकाबले भारतीय बीपीओ कंपनियों ने 5 फीसदी की कमाई की।
साल 2008 के अंत तक भारत केंद्रीत प्रमुख 20 बीपीओ कंपनियों ने करीब 4 अरब डॉलर की कमाई की, जो प्रमुख 150 बीपीओ प्रदाताओं के 80 अरब डॉलर कमाई का 5 फीसदी है। गार्टनर को उम्मीद है कि इस प्रवृत्ति में और तेजी आएगी, क्योंकि मंदी के चलते सस्ती बीपीओ सेवा उपलब्ध कराने वाली कंपनियों की मांग बढ़ रही है।
गार्टनर के वरिष्ठ शोध विश्लेषक अरुप राय का कहना है कि भारतीय बीपीओ कंपनियां ऑनशोरनियरशोर, दोनों जगहों पर सेवाएं उपलब्ध कराने में सक्षम हैं। इसके साथ ही भारतीय बीपीओ कंपनियां नए विकल्पों के तलाश में भी हैं, जिनमें नॉलेज प्रॉसेसिंग शामिल हैं। यानी भारतीय बीपीओ उद्योग, वित्तीय और केपीओ, हर जगह काम कर रही हैं।
हालांकि वैश्विक स्तर पर प्रमुख 20 बीपीओ में काई भारतीय बीपीओ कंपनी शुमार नहीं हैं। प्रमुख 20 बीपीपओ कंपनियों में से करीब 10 कंपनियों का परिचालन अमेरिका और यूरोपीय देशों की ओर से किया जा रहा है और उनका मुख्यालय भी अमेरिका और यूरोप में ही है।
कुल मिलाकर देखा जाए, तो भारतीय बीपीओ कंपनियां 12 फीसदी की दर से विकास कर रही हैं, वहीं कुछ छोटी बीपीओ कंपनियों की विकास दर 200 फीसदी तक है। भारतीय बीपीओ कंपनियां उत्तरी अमेरिका और ब्रिटेन में अपनी सेवाओं का विस्तार इसलिए करने में सक्षम रहीं, क्योंकि इन कंपनियों केपास अंग्रेजी बोलने वाले कर्मचारियों की काफी तादाद है।
उत्तरी अमेरिका और ब्रिटेन से ही इन कंपनियों को सबसे ज्यादा काम मिलता है और 20 प्रमुख भारतीय बीपीओ कंपनियां यहां से करीब 2.2 अरब डॉलर की कमाई करती हैं। पश्चिमी यूरोप में ये कंपनियां अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं।
वर्ष 2008 में 20 बीपीओ कंपनियों ने ब्रिटेन के बाजार से करीब 1.4 डॉलर की कमाई की। गार्टनर के विश्लेषकों का कहना है कि भारतीय बीपीओ कंपनियां आगे भी विकास दर को बनाए रखने में सक्षम हैं।
