ऑनलाइन विक्रेताओं के एक समूह ने देश में एमेजॉन के खिलाफ अविश्वास का एक मामला दर्ज कराया है। इस समूह में 2,000 से अधिक ऑनलाइन विक्रेता शामिल है। आरोप में कहा गया है कि यह अमेरिकी कंपनी कुछ चुनिंदा खुदरा विक्रेताओं के पक्ष में काम कर रही है जिसकी ऑनलाइन छूट स्वतंत्र विक्रेताओं को कारोबार से बाहर कर देगी। रॉयटर्स ने इस आरोप पत्र को देखा है।
इस मामले से एमेजॉन के लिए भारत में एक नई नियामक चुनौती उभरी है। एमेजॉन ने भारत में 6.5 अरब डॉलर के निवेश की प्रतिबद्धता जताई है लेकिन उसे जटिल नियामकीय परिस्थिति से जूझना पड़ रहा है।
जनवरी में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने एमेजॉन और उसकी प्रतिस्पर्धी वॉलमार्ट की स्वामित्व वाली फ्लिपकार्ट के खिलाफ जांच का आदेश दिया था। इनके खिलाफ जांच का यह आदेश प्रतिस्पर्धा नियमों के उल्लंघन और कुछ विशेष तरह की छूट देने के लिए दिया गया है।
ताजे मामले में ऑल इंडिया वेंडर्स एसोसिएशन जिसके सदस्य एमेजॉन और फ्लिपकार्ट पर सामान बेचते हैं, ने एमेजॉन पर अनुचित कारोबारी तरीका अपनाने का आरोप लगाया है।
समूह ने आरोप लगाया है कि एमेजॉन इंडिया की थोक बिक्री इकाई विनिर्माताओं से थोक में सामान खरीदती है और क्लाउडटेल जैसी विक्रेताओं को घाटे पर बेच देती है। उसके बाद ये विक्रेता एमेजॉनडॉटइन पर बड़ी छूट पर सामान बेचते हैं।
सीसीआई को 10 अगस्त को दिए शिकायत में समूह ने आरोप लगाया, ‘यह गैर-प्रतिस्पर्धी व्यवस्था स्वतंत्र विक्रेताओं को बाजार से बाहर कर प्रतिस्पर्धा पर प्रतिबंध लगा रही है।’ रॉयटर्स ने इस शिकायत को देखा है।
एमेजॉन ने टिप्पणी करने के अनुरोध पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। उसने पहले कहा था कि वह भारत के सभी कानूनों का पालन करती है और अपने प्लेटफॉर्म पर सभी विक्रेताओं से एकसमान व्यवहार करती है।
क्लाउडटेल की प्रवक्ता ने कहा, ‘कंपनी अपने परिचालनों में सभी लागू नियमों को पालन करती है।’ देश के अदालती मामलों के उलट सीसीआई में दर्ज मामलों और उसकी समीक्षा को सार्वजनिक नहीं किया जाता है। आगामी हफ्तों में सीसीआई मामलों की समीक्षा करेगा और एक व्यापक जांच करने का निर्णय ले सकता है या फिर इसे खारिज कर सकता है।
सीसीआई ने टिप्पणी के लिए अनुरोध करने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
