साल 2016 में जब सी एस सुबैया ने अलायंस एयर के मुख्य कार्याधिकारी का पदभार संभाला था तब उसके पास एटीआर विमान व पुराने सीआरजे जेट विमानों का बेड़ा था। विमानन कंपनी के पास एटीआर के पायलटों की संख्या सीमित थी और बेड़े का रोजाना इस्तेमाल 4.5 घंटे प्रति विमान था। सुबैया के पास पुराने जेट की जगह नए विमान लाने, एक तरह के विमानों को बेड़ा बनाना और नए मार्ग पर उड़ान शुरू करने का काम था।
तीन साल में ये कोशिशें आखिर कारगर रहीं क्योंकि एयर इंडिया की सहायक अलायंस एयर ने वित्त वर्ष 2020 में 65 करोड़ रुपये का परिचालन लाभ दर्ज किया। साल 1996 में शुरू होने के बाद यह पहला परिचालन लाभ है और यह संभव हुआ कम खर्च, विमानों के इस्तेमाल में बढ़ोतरी और बेहतर प्रतिफल से। शुद्ध स्तर पर कंपनी ने 201 करोड़ रुपये का नुकसान दर्ज किया, जिसकी वजह लेखा मानकों में बदलाव है, जो विमानन कंपनी को लीज की लागत को पूंजीकृत करना अनिवार्य बनाता है।
चूंकि कोविड ने हवाई यात्रा में व्यवधान पैदा किया है, लिहाजा सुबैया और उनकी टीम की चुनौतियां बढ़ गई हैं। अब विमानन कंपनी लागत नियंत्रण और स्थानीय पायलटों से विदेशी पायलटों को बदलने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। बेड़े के विस्तार की योजना को भी अभी रोक दिया गया है। कंपनी के पास अब 18 एटीआर-72 विमान हैं और सीआरजे जेट को तीन साल पहले हटा दिया गया।
सबसे बड़ी क्षेत्रीय विमानन कंपनी अलायंस एयर अभी रोजाना 77 उड़ानों का परिचालन करती है, जो पिछले साल 126 थी। इसमें उड़ान और गैर-उड़ान मार्ग शामिल हैं।
सुबैया ने कहा, हमें देखना होगा कि हम सबसे कम लागत बनाए रखें और यथासंभव ज्यादा से ज्यादा नकदी अर्जित करें। उन्होंंने कहा, इसकी वजह यह है कि विमानन कंपनी इस क्षेत्र से संकट से निपटने पर विचार कर रही है।
पिछले साल अलायंस एयर का राजस्व 41 फीसदी बढ़कर 1,181 करोड़ रुपये पर पहुंच गया और सालाना आधार पर खर्च 22 फीसदी घटा, जिसने परिचालन लाभ में योगदान किया। पिछले साल रखरखाव खर्च घटकर आधा रह गया।
कंपनी पहले ही उड़ान में कैटरिंग सेवा बंद कर चुकी है और लागत बचाने के लिए वेंडरों से दोबारा बातचीत कर रही है। कंपनी की योजना में कमांडर पद के लिए ज्यादा भारतीय पायलटों की ट्रेनिंग शामिल है। उन्होंने कहा, जम मैंंने सीईओ का पद संभाला तब 8-10 कमांडर थे और आज उनकी संख्या 40 है। हम 12 महीने में इसमें 20 और भारतीय को जोड़ेंगे और धीरे-धीरे विदेशी पायलटों से इससे बाहर करेंगे। लेकिन कोविड ने चुनौतियां पैदा की है। हवाई यात्रा की मांग टियर-2 व टियर-3 शहरों में कमजोर है। विमानों के इस्तेमाल का स्तर रोजाना 10 घंटे के स्तर से कम हुआ है क्योंकि इसका परिचालन 60 फीसदी क्षमता पर हो रहा है। 60 फीसदी से कम सीटें ही भर पा रही हैं। सुबैया ने कहा कि स्टार्टिंग रूट को लेकर विमानन कंपनी काफी सतर्क है क्योंकि मांग जोर पकडऩे में समय लगेगा और प्रतिफल भी कम है। उन्होंंने कहा, पिछले साल विमानों का औसत इस्तेमाल 10 घंटे रोजाना था और इससे यात्री की संख्या बढ़ाने और राजस्व बढ़ोतरी में मदद मिली थी। अगर कोविड नहीं आता तो वित्त वर्ष 2021 हमारे लिए काफी बेहतर होता।
