लगता है कि बाजार की खस्ता हालत और बड़ी कंपनियों के पहले सार्वजनिक निर्गम आईपीओ की दुर्गति देखकर कंपनियां अब इस रास्ते पर चलने से कतराने लगी हैं।
शायद इसी वजह से सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया ने भी आईपीओ लाने का अपना इरादा ठंडे बस्ते में डाल दिया है।इसी साल एयर इंडिया का आईपीओ भी बाजार में आने की सुगबुगाहट थी। लेकिन कंपनी ने इस साल तो इस रास्ते से रकम जुटाने की किसी भी संभावना से सीधा इनकार कर दिया। अब कंपनी अपने इक्विटी पूंजी आधार को मजबूत बनाने और धन जुटाने के लिए सीधे सरकार से बात करने की योजना बना रही है।
एयर इंडिया के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक रघु मेनन ने यहां बताया, ‘हम इस वर्ष आईपीओ नहीं लाएंगे।’ उन्होंने कहा कि कंपनी सरकार से इक्विटी की उम्मीद कर रही है। सरकार पहले भी कुछ खास कंपनियां की मदद कर चुकी है। लेकिन सरकार से मदद मिलना या न मिलना कंपनी के कारोबार और कर्माई पर भी निर्भर करता है।
उन्होंने कहा कि एयर इंडिया इस मुद्दे पर सरकार से बातचीत करेगी। नए एयरक्राफ्ट की खरीदारी के लिए कंपनी ने काफी कर्ज लिया था। इसलिए एयर इंडिया में इक्विटी के लिए सरकार से संपर्क हर हाल में करना पड़ेगा।
आईपीओ से इनकार करते हुए मेनन ने कहा कि कंपनी इम्पलॉई स्टॉक ऑप्शन के बारे में विचार कर रही है। इस बारे में योजना छह महीने में तैयार हो जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि हम इस मुद्दे पर बहुत तेजी से कार्य करेंगे और शायद इसमें छह महीने का वक्त लग सकता है। हम पहले ही कई लोगों को इस काम पर लगा चुके हैं। मेनन ने कहा कि अपने राजस्व में इजाफा करने के लिए विमानन कंपनी को अपने लोड फैक्टर में सुधार लाने की जरूरत है जो बेहद निम्न है।
उन्होंने ने कहा कि इंडियन एयरलाइंस के साथ विलय के बाद खर्च कम करने की भी गुंजाइश बढ़ी है जिसमें कई इलाकों में एक ही मार्ग पर उड़ानें संचालित की जाएंगी। मेनन ने कहा कि भारत और विदेश दोनों में विमानों के मार्ग और खर्च में कमी मुख्य मुद्दे हैं जिन पर हमें बातचीत करनी होगी।