एजीआर का दोबारा हिसाब नहीं

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 15, 2022 | 4:36 AM IST

सकल समायोजित राजस्व (एजीआर) बकाये पर पुन: आकलन करने की दूरसंचार कंपनियों की मांग को उच्चतम न्यायालय ने आज सिरे से खारिज कर दिया। हालांकि भुगतान के लिए 20 साल की समयसीमा वाली दूरसंचार विभाग की याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया है।
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति एम आर शाह के पीठ ने दूरसंचार कंपनियों द्वारा समायोजित सकल राजस्व से संबंधित बकाये के भुगतान की समय सीमा के मसले पर सुनवाई पूरी कर ली। पीठ इस पर अपना फैसला बाद में सुनाएगा। मामले की अगली सुनवाई 10 अगस्त को होगी, जिसमें कंपनियों के परिसमापन में जाने की स्थिति पर विचार किया जाएगा। शीर्ष अदालत ने कहा कि रिलायंस कम्युनिकेशंस, एयरसेल, सिस्तेमा श्याम और वीडियोकॉन की नेकनीयती के पहलू पर विचार किया जाएगा। अदालत ने सुनवाई पीठ ने कहा, ‘हम पुन: आकलन पर एक सेकंड भी बहस नहीं सुनेंगे। अदालत ने टिप्पणी की कि दूरसंचार विभाग पुन: आकलन कर अनुमति देने की गुंजाइश दी है। सरकार में कौन ऐसा करने का दुस्साहस कर रहा है? किसी को भी हमारे आदेश की अवहेलना करने का अधिकार नहीं है।
सर्वोच्च न्यायालय ने भारती एयरटेल से कहा कि वह मामले को दोबारा खोलने का प्रयास न करे क्योंकि सभी बकाये एजीआर के आदेश में शामिल थे। अदालत ने कहा कि भारती एयरटेल द्वारा देय बकाये में समायोजन की कोई गुजाइश नहीं है। सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार ने एजीआर बकाये की पुनर्गणना के बारे में सुझाव का आवेदन नहीं दिया है।
दूरसंचार विभाग की गणना के अनुसार भारती एयरटेल पर एजीआर मद में 43,780 करोड़ रुपये का बकाया है, जिनमें से कंपनी ने 18,004 करोड़ रुपये का भुगतान किया है और 25,976 करोड़ रुपये अभी बाकी हैं। वोडाफोन आइडिया ने अब तक 7,854 करोड़ रुपये का भुगतान किया है जबकि उस पर कुल 50,399 करोड़ रुपये का बकाया है। टाटा टेलीसर्विसेज ने 4,197 करोड़ रुपये चुकाए हैं और करीब 12,601 करोड़ रुपये अभी बकाया हैं।
भारती एयरटेल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने उच्चतम न्यायालय के समक्ष अपनी दलील में कहा कि सरकार ने एजीआर मद में 43,000 करोड़ रुपये की मांग की है जो उचित नहीं है और इसमें स्पेक्ट्रम उपयोगिता शुल्क भी शामिल है। उन्होंने कहा कि स्पेक्ट्रम उपयोगिता शुल्क एजीआर बकाया का हिस्सा नहीं हैं और केवल लाइसेंस शुल्क पूरी गणना में शामिल है।
वोडाफोन आइडिया का पक्ष रखने वाले वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि कंपनी एजीआर मांग की पुनर्गणना करने का अनुरोध नहीं कर रही है और दूरसंचार विभाग द्वारा मांगी गई रकम को आधार मानते हुए तथ्य पेश करेगी। रोहतगी ने कहा कि वोडा आइडिया के प्रवर्तक वोडाफोन पीएलसी ने 1 लाख करोड़ रुपये मूल्य के शेयर खरीदे थे, लेकिन प्राप्त हुई रकम अब नहीं बची है। पिछले दस वर्षों के दौरान कंपनी का कुल राजस्व 6.27 लाख करोड़ रुपये रहा है, जिनमें 4.95 लाख करोड़ रुपये व्यय हुए हैं।

First Published : July 20, 2020 | 10:47 PM IST