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AgniKul ने अग्निबाण रॉकेट से रचा इतिहास, दुनिया के पहले सिंगल पीस 3D प्रिंटेड इंजन का किया गया इस्तेमाल

इस प्रक्षेपण को ऐतिहासिक इसलिए भी माना जा रहा है क्योंकि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अब तक ऐसे सेमी-क्रायोजेनिक इंजन को सफलतापूर्वक नहीं उड़ाया नहीं है।

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शाइन जेकब   
Last Updated- May 30, 2024 | 11:18 PM IST

भारत ने अंतरिक्ष क्षेत्र में गुरुवार को इतिहास रच दिया। निजी तौर पर निर्मित देश के दूसरे रॉकेट का निजी लॉन्चपैड से पहला प्रक्षेपण किया गया। यह ऐसा पहला प्रक्षेपण था जिसमें गैस एवं तरल यानी दोनों प्रकार के ईंधन का इस्तेमाल किया गया। चेन्नई की अंतरिक्ष स्टार्टअप अग्निकुल कॉसमॉस ने श्रीहरिकोटा से सुबह 7.50 बजे सिंगल स्टेज टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर ​रॉकेट- अग्निबाण SOrTeD- का प्रक्षेपण किया।

एसओआरटीईडी (SOrTeD) में दुनिया के पहले सिंगल पीस 3डी प्रिंटेड इंजन का इस्तेमाल किया गया है। इसका डिजाइन स्वदेशी तौर पर तैयार किया गया और इसे देश में ही बनाया गया है। इससे पहले मंगलवार को कंपनी ने अपने पहले रॉकेट की परीक्षण उड़ान को प्रक्षेपण से महज कुछ सेकंड पहले रद्द कर दिया था। पिछले तीन महीनों के दौरान प्रक्षेपण को चौथी बार रद्द किया गया था।

इस प्रक्षेपण को ऐतिहासिक इसलिए भी माना जा रहा है क्योंकि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अब तक ऐसे सेमी-क्रायोजेनिक इंजन को सफलतापूर्वक नहीं उड़ाया नहीं है, जिसमें प्रोपेलर के तौर पर तरल एवं गैस दोनों प्रकार के ईंधन का उपयोग किया जाता है। अग्निबाण को अग्निकुल द्वारा स्थापित भारत के पहले निजी लॉन्च पैड धनुष से प्रक्षेपित किया गया है।

यह स्टार्टअप वित्त 2024-25 अंत तक एक ऑर्बिटल मिशन की तैयारी कर रही है। इसके अलावा वह कैलेंडर वर्ष 2025 से नियमित तौर पर शुरू होने वाली उड़ानों के लिए ग्राहकों के साथ काम कर रही है।

इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा, ‘अंतरिक्ष विभाग और इसरो अग्निकुल कॉसमॉस को अग्निबाण एसओआरटीईडी के सफल प्रक्षेपण पर बधाई देता है। इसमें 3डी प्रिंटेड सेमी-क्रायोजेनिक इंजन, फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम आदि कई चीजों का पहली बार सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया गया है जो स्वदेशी डिजाइन एवं नवाचार की ताकत को दर्शाती है। यह इसरो को देश में एक जीवंत अंतरिक्ष परिवेश तैयार के लिए नवाचार एवं आत्मनिर्भरता के लिए अंतरिक्ष स्टार्टअप और गैर-सरकारी संस्थाओं को मदद करने के लिए प्रेरित करता है।’

यह अ​ग्निकुल की पहली उड़ान है। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य एक परीक्षण उड़ान के रूप में काम करना, देसी तकनीकों का प्रदर्शन करना, महत्त्वपूर्ण उड़ान डेटा जुटाना और अग्निकुल के प्रक्षेपण यान अग्निबाण के लिए प्रणालियों का बेहतर कामकाज सुनिश्चित करना है।

इसरो की वाणिज्यिक शाखा इन-स्पेस के अध्यक्ष पवन गोयनका ने कहा, ‘आज उन युवा नवोन्मेषकों एवं उद्यमियों की ताकत दिखी है जो दुनिया के पहले 3डी प्रिंटेड सेमी-क्रायोजेनिक इंजन जैसी अत्याधुनिक तकनीक के साथ नवाचार करते हुए भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में बदलाव ला रहे हैं। इन-स्पेस में हम इन युवाओं की सराहना करते हैं क्योंकि वे भारत को वैश्विक अंतरिक्ष क्षेत्र में नेतृत्व की स्थिति में लाने में मदद कर रहे हैं।’

भारतीय अंतरिक्ष संघ (आईएसपीए) के महानिदेशक एके भट्ट ने कहा, ‘अग्निकुल की आज की सफलता 1963 में थुंबा प्रक्षेपण केंद्र से भारत के पहले रॉकेट के प्रक्षेपण के बाद एक ऐतिहासिक उपलब्धि से कम नहीं है। यह गर्व का क्षण है और इससे भारत के निजी अंतरिक्ष उद्योग को काफी बढ़ावा मिलेगा। यह महज एक झलक है तो बताती है कि भविष्य में हमारे लिए क्या होने वाला है। इसमें शामिल हमारी पूरी टीम को हार्दिक बधाई और उनके भविष्य के प्रयासों के लिए शुभकामनाएं।’

भट्ट ने कहा, ‘हाल में भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 को लागू करने के लिए इन-स्पेस द्वारा जारी दिशानिर्देश और नए एफडीआई कानून से नि​श्चित तौर पर भारत के निजी अंतरिक्ष उद्योग में दुनिया का भरोसा बढ़ेगा और उसकी बढ़ती क्षमता को दम मिलेगा।’

कंपनी ने कहा कि अग्निबाण रॉकेट एक कस्टमाइज्ड, दो चरण वाला प्रक्षेपण यान है जो करीब 300 किलोग्राम तक पेलोड को 700 किलोमीटर की ऊंचाई पर कक्षाओं में ले जा सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इसकी तुलना स्पेसएक्स के फाल्कन हैवी से की जा सकती है जो 63,500 किलोग्राम के वजन को पृथ्वी की निचली कक्षा में ले जा सकता है।

नवंबर 2022 में निजी क्षेत्र की कंपनी स्काईरूट एयरोस्पेस ने एसडीएससी एसएचएआर से उप-कक्षीय उड़ान पर प्रक्षेपण यान विक्रम-एस का सफलतापूर्वक विकास और परिचालन किया था। वह ऐसा करने वाली पहली कंपनी बन गई थी।

श्रीनाथ रविचंद्रन, मोइन एसपीएम और आईआईटी मद्रास के प्रोफेसर एसआर चक्रवर्ती द्वारा 2017 में स्थापित अग्निकुल दिसंबर 2020 में इसरो के साथ समझौता करने वाली पहली भारतीय कंपनी थी। वह समझौता इन-स्पेस पहल के तहत किया गया था और उससे अग्निकुल को इसरो की विशेषज्ञता एवं अत्याधुनिक सुविधाओं तक पहुंच हासिल हुई थी। यह कंपनी भारत की एक सबसे अधिक वित्तपोषित अंतरिक्ष स्टार्टअप है और इसने अब तक 4.2 करोड़ डॉलर जुटाए हैं।

अ​ग्निकुल की टीम में 200 से अ​धिक इंजीनियर शामिल हैं। वह आईआईटी मद्रास में एनसीसीआरडी से भी संबद्ध है। इसके अलावा टीम को इसरो के उन 45 पूर्व वैज्ञानिकों का भी निर्देशन मिलता है जिन्हें अंतरिक्ष क्षेत्र में विशेषज्ञता प्राप्त है।

First Published : May 30, 2024 | 11:18 PM IST