बीएस बातचीत
स्टरलाइट पावर के प्रबंध निदेशक प्रतीक अग्रवाल का कहना है कि उनकी कंपनी बिजली पारेषण परियोजनाओं के तहत ग्रिड को पर्यावरण के अनुकूल बनाने की दिशा में सक्रिय तौर पर काम कर रही है। कंपनी अब अंतरराष्ट्रीय बिजली ग्रिड के महत्त्वाकांक्षी विचार पर काम कर रही है जिसके लिए जलवायु पर अमेरिकी राष्ट्रपति के विशेष दूत जॉन केरी सहयोग की बात की है। अग्रवाल ने श्रेया जय से बातचीत में विभिन्न मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की। पेश हैं मुख्य अंश:
आपने जॉन केरी की हालिया यात्रा के दौरान उनसे बातचीत की थी। वह बिजली पारेषण क्षेत्र से किस योगदान की अपेक्षा कर रहे थे?
केरी, उनकी टीम और अमेरिकी दूतावास इंटरकनेक्टर संबंधी हमारे काम पर नजर रख रहे थे। हालांकि विचार के बारे में अधिक जानकारी नहीं दी जाती है लेकिन दुनिया भर में अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए यह एक सबसे दमदार उपकरण है। अमेरिका और ब्रिटेन पहले से ही ऐसा कर रहे हैं और अब समय आ गया है कि भारत इस ओर पहल करे। बैठक भारत के 450 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा के लक्ष्य पर केंद्रित थी। इसके लिए वित्त पोषण, बेहतर पारेषण योजना, बड़े ग्रिड को आपस में जोडऩे और ऊर्जा भंडार आदि पर चर्चा हुई।
स्टरलाइट पावर किस प्रकार की इंटरकनेक्टर परियोजना पर काम कर रही है?
इंटरकनेक्टर परियोजना फिलहाल वैचारिक चरण में है। अगले 10 वर्षों में हमारे पास 750 गीगावॉट बिजली (थर्मल के साथ) होगी जिसका उपयोग दोपहर के दौरान (कम मांग के समय) नहीं किया जा सकता है। इसका समाधान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित ‘वन सन, वन वल्र्ड, वन ग्रिड’ परियोजना का विचार है। इसके तहत कोई देश अपनी अतिरिक्त बिजली उन देशों को हस्तांतरित कर सकता है जहां पर्याप्त धूप नहीं है। इस प्रकार वे हमारे अक्षय ऊर्जा का उपयोग कर सकते हैं और इसी प्रकार वे शाम या रात (उच्च मांग के समय) के दौरान हमें अपनी अक्षय ऊर्जा की आपूर्ति कर सकते हैं। फिलहाल यह बिल्कुल आरंभिक चरण में है लेकिन हम भारतीय ग्रिड को पश्चिम एशिया और अफ्रीका में बड़े ग्रिड से जोडऩे की बात कर रहे हैं। इसके लिए हम व्यवहार्यता अध्ययन कर रहे हैं। यह एक बड़ी परियोजना है और इसके लिए कई देशों एवं निवेशकों को एक साथ आने की आवश्यकता होगी। हम जिस प्रति यूनिट जिस लागत पर विचार कर रहे हैं वह काफी व्यावहारिक है और अगले 3 से 5 वर्षों में एक वास्तविकता हो सकती है।
स्टरलाइट पावर ग्रिड को पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिए किन अन्य परियोजनाओं पर काम कर रही है?
भारत और ब्राजील में हमारी 80 से 90 फीसदी परियोजनाएं पहले से ही ग्रिड को पर्यावरण के अनुकूल बनाने पर काम कर रही हैं। भारत में अब तक की सबसे बड़ी ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर परियोजना (गुजरात के लकडिय़ा में) के तहत कच्छ क्षेत्र में 30 गीगावॉट सौर बिजली परियोजनाओं को जोडऩे की योजना है। मुंबई में हम गुजरात से पवन ऊर्जा और सौर ऊर्जा को लाने के लिए एक महत्त्वपूर्ण लाइन का निर्माण कर रहे हैं। यह शहर में 1,000 से 2,000 मेगावॉट बिजली की आपूर्ति करने वाली लाइन के अतिरिक्त होगी। ब्राजील में हमने एक पवन ऊर्जा परियोजना चालू की है। इसके अलावा एक अन्य परियोजना ब्राजील में सौर ऊर्जा वाले सबसे बड़े क्षेत्र साओ पाउलो को जोड़ती है। हमारी लगभग 70 फीसदी परियोजनाएं 100 फीसदी पर्यावरण के अनुकूल हैं क्योंकि वे सीधे तौर पर पवन अथवा सौर फार्म से जुड़ी हैं।
फिलहाल आपकी कितनी परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं और आपका पूंजीगत व्यय कितना है?
फिलहाल हमारे पास पांच परियोजनाएं हैं जिनमें लकडिय़ा (गुजरात) परियोजना भी शामिल है। इसे भुज से वडोदरा तक बनाया जा रहा है जो कच्छ समुद्री क्रीक को पार करते हुए 350 किमी को कवर करती है। इसके अलावा एक वीएनएलटीएल परियोजना है जो पश्चिमी और पूर्वोत्तर भारत के चार राज्यों को जोड़ेगी। गोवा तमनार परियोजना से गोवा में बिजली की उपलब्धता बढ़ेगी और पश्चिमी एवं दक्षिणी ग्रिड तक इसकी पहुंच होगी।
