सितंबर 2007 से मोजर बेयर फोटो वोल्टिक के मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) रहे राजीव आर्य ने हाल ही में कंपनी के मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) का दायित्व संभाला है। आर्य कैलिफोर्निया की कंपनी ऑप्टिसोलर में मुख्य तकनीकी अधिकारी भी रह चुके हैं। उनसे लेस्ली डिमोंटी और कीर्तिका सुनेजा की बातचीत:
कंपनी की तात्कालिक योजनाएं क्या हैं?
सबसे पहला लक्ष्य तो यही कि हम मोजर बेयर फोटो वोल्टिक को 1 अरब डॉलर की कंपनी बनाना चाहते हैं। इसके लिए हमने 2010 का लक्ष्य रखा है। हमारा लक्ष्य तब तक कंपनी की उत्पादन क्षमता बढ़ाकर 1 गीगावॉट करने की है।
2009 के आखिर तक हमें उम्मीद है कि कंपनी की उत्पादन क्षमता बढ़कर 120 मेगावाट हो जाएगी। 2010 तक हमारी योजना 3.2 अरब डॉलर निवेश करने की है। ग्रेटर नोएडा प्लांट में हमारा निवेश 70 से 75 करोड़ डॉलर का रहेगा जबकि चेन्नई में 1.5 अरब डॉलर का निवेश होगा।
हम पहले ही 815 करोड़ रुपये जुटा चुके हैं, जबकि कर्ज और इक्विटी के जरिए शेष राशि का इंतजाम किया जाएगा। इसके लिए हमारी कंपनी बैंकों के संपर्क में है।
मनोरंजन की तरह क्या कंपनी का फोटो वोल्टिक कारोबार भी स्वतंत्र हो जाएगा?
अभी इस बारे में कुछ भी कहना मुश्किल है। वैसे भी यह तभी संभव है जब इसका कारोबार 2010 तक 1 अरब डॉलर का हो जाए।
आपकी कंपनी ग्रिड से जुड़े सौर संयंत्र स्थापित कर रही है। क्या यह उपभोक्ताओं के लिए लाभदायक होगा?
उपभोक्ताओं का हित तो इस बात में है कि ग्रिड से बिजली और सक्षम तरीके से मिले, जबकि इसके लिए कोई अतिरिक्त शुल्क अदा न करना पड़े। हमारे पास इस तरह के दो सौर संयंत्र हैं। एक राजस्थान में और दूसरा पंजाब में।
इन दोनों की उत्पादन क्षमता 5 मेगावाट है। हालांकि अभी इनके लिए जमीन मिलने और परियोजना शुरू होने में 3 से 6 महीने की देर है। हमारी कंपनी प्रति वाट 250 रुपये का निवेश कर रही है। इसकी उत्पादन लागत और राज्य विद्युत बोर्ड के क्रय मूल्य के बीच जितना अंतर होगा, सरकार उतनी ही सब्सिडी देगी।
फिलहाल मौजूदा फर्क 15 रुपये प्रति किलोवाट घंटा है। सब्सिडी की अवधि 10 साल की है, लेकिन हमें उम्मीद है कि हम 7 साल में उत्पादन लागत को पूरा कर लेंगे। एक सौर संयंत्र की अवधि 25 साल होती है। हमें उम्मीद है कि पंजाब और राजस्थान दोनों राज्यों में इस साल के अंत तक उत्पादन शुरू हो जाएगा।
