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यूपी में महिलाएं बनेंगी ‘कृषि सखी’, मिलेगी ट्रेनिंग, मानदेय होगा 5,000 रुपये

बुंदेलखंड और गंगा के तटवर्ती इलाकों में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने पर योगी सरकार 250 करोड़ रूपये खर्च करेगी।

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बीएस संवाददाता   
Last Updated- April 23, 2025 | 4:28 PM IST

उत्तर प्रदेश सरकार बुंदेलखंड और गंगा तट के इलाकों में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने जा रही है। साथ ही इस काम के लिए सरकार ने 250 करोड़ रुपये का बजट भी निर्धारित किया है। इतना ही नहीं बुंदेलखंड और गंगा के तटवर्ती इलाकों के बाद गंगा की सहयोगी नदियों के दोनों किनारों पर भी ऐसी खेती को बढ़ावा दिया जा रहा। इस खेती के प्रति किसानों को जागरूक करने के लिए प्रति माह 5000 रूपये के मानदेय पर कृषि सखियों की नियुक्ति की जाएगी। इनको संबंधित जिले के कृषि विज्ञान केंद्र के एक्सपर्ट प्रशिक्षण देंगे। प्राकृतिक खेती के लिए हर जिले में दो बायो इनपुट रिसर्च सेंटर (बीआरसी) भी खोले जाएंगे।  सरकार की मंशा 282 ब्लाकों, 2144 ग्राम पंचायतों की करीब 2.5 लाख किसानों को इससे जोड़ने की है। योजना के मुताबिक खेती क्लस्टर में होगी और हर क्लस्टर 50 हेक्टेयर का होगा। सरकार इस योजना पर अगले दो वर्ष में करीब 250 करोड़ रुपए खर्च करेगी।

गौरतलब है कि इसी तरह योगी सरकार बुंदेलखंड के जिलों झांसी, ललितपुर, जालौन, हमीरपुर, महोबा, बांदा और चित्रकूट में गो आधारित प्राकृतिक खेती मिशन चला रही है। किसान गोबर व गोमूत्र से ही खाद और कीटनाशक (जीवामृत, बीजामृत और घन जीवामृत) जैसे मिश्रण बनाने के तरीके सिखा रहे हैं। किसान इसे बनाकर उनका खेत और फसल में प्रयोग करें, इसके लिए उनको प्रशिक्षित किया गया है। प्राकृतिक खेती मिशन के पहले और दूसरे चरण के लिए सरकार ने 13.16 करोड़ रुपए जारी भी किए हैं। अब तक 470 क्लस्टर गठित कर 21934 किसानों को इससे जोड़ा गया है। हर ग्राम पंचायत में 50 हेक्टेयर का एक क्लस्टर बनाया जा रहा है। किसानों को दो हेक्टेयर तक के लिए वित्तीय सहायता भी दी जा रही है। फार्मर्स फील्ड स्कूल के 2535 सत्र आयोजित किए गए हैं।

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इसी पहल के तहत अब तक प्रदेश में योगी सरकार 7700 से अधिक गो आश्रय केंद्र बना चुकी है। इनमें करीब 12.5 लाख निराश्रित गोवंश रखे गए हैं। इसके अलावा मुख्यमंत्री सहभागिता योजना के तहत करीब 1 लाख लाभार्थियों को 1.62 लाख निराश्रित गोवंश दिए गए हैं। योजना के तहत हर लाभार्थी को प्रति माह 1500 रुपये भी दिए जाते हैं। प्रवक्ता ने बताया कि  गो आश्रय केंद्रों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए संबंधित विभाग कृषि विभाग से मिलकर सभी जगहों पर वहां की क्षमता के अनुसार वर्मी कंपोस्ट इकाई लगाएगा। गोबर और गोमूत्र को प्रसंस्कृत करने के लिए उचित तकनीक की जानकारी देने के बाबत इन केंद्रों और अन्य लोगों को प्रशिक्षित किया जाएगा। इसमें चारे की उन्नत प्रजातियों के बेहतर उत्पादन उनको फोर्टीफाइड कर लंबे समय तक संरक्षित करने के बाबत भी प्रशिक्षित किया जाएगा। इसमें राष्ट्रीय चारा अनुसंधान केंद्र झांसी की मदद ली जाएगी। 

 

First Published : April 23, 2025 | 3:47 PM IST