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गेहूं की फसल पर मंडराया खतरा

Last Updated- December 05, 2022 | 4:28 PM IST

संयुक्त राष्ट्र ने नई खतरनाक फफूंदी के प्रति भारत को आगाह करते हुए कहा है कि यह फंफूदी उसकी पूरी फसल बर्बाद कर सकती है। एशिया और अफ्रीका की लगभग 80 प्रतिशत किस्मों में इस फफूंदी के लगने की आशंका है।
इस फफूंदी का पता ईरान में लगा था। संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) ने खबर दी है कि यह फफूंदी पहले पहल पूर्वी अफ्रीका और यमन में पाई गई लेकिन बाद में यह ईरान के गेहूं तक पहुंच गई।
प्रयोगशाला जांच से इसकी मौजूदगी की पुष्टि हुई है। ईरान से लगे प्रमुख गेहूं उत्पादक देशों में अफगानिस्तान, भारत, पाकिस्तान, तुर्कमानिस्तान, उज्बेकिस्तान और कजाखस्तान शामिल हैं। एफएओ ने कहा कि इन सभी देशों को हाई अलर्ट पर रहना चाहिए।
इस रिपोर्ट की वजह से विश्व बाजार में गेहूं की कीमत में 10 से 15 फीसदी की वृद्धि हो सकती है। उधर, गेहूं की किल्लत की वजह से खुदरा बाजार में पिछले एक साल के दौरान गेहूं की कीमत में 40 फीसदी का उछाल दर्ज किया जा चुका है।
एफएओ के मुताबिक, प्रमुख गेहूं उत्पादक देशों भारत, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, कजाकिस्तान के किसानों को गेहूं के फसल को नुकसान पहुंचने का खतरा बना हुआ है।
अगर यह फफूंद इन गेहूं उत्पादक देशों तक पहुंच जाता है, तो उत्पाद पर व्यापक असर पड़ सकता है। दरअसल, ये बीजाणु हवा के साथ लंबी दूरी तय कर सकते हैं और इन प्रदेशों में भी पहुंच सकते हैं।
एफएओ के पौधारोपण और संरक्षण विभाग के निदेशक शिवाजी पांडेय ने बताया कि ईरान में जो फफूंद देखा गया है, वह बेहद ही खतरनाक है और उससे गेहूं की फसल को व्यापक नुकसान पहुंच सकता है।
ईरान सरकार के मुताबिक, गेहूं के फसल को नुकसान पहुंचाने वाले फफूंद का प्रभाव ईरान के पश्चिमी भाग में स्थित हम्मीदन और ब्राउजर्ड इलाके में देखा गया है। सरकार की ओर से यह भी बताया गया कि प्रयोगशाला जांच में भी फफूंद की मौजूदगी का पता चला है।
गौरतलब है कि फफूंद को 1999 में युगांडा में देखा गया था, इसलिए इसे यूजी 99 के नाम से जाना जाता है। उसके बाद ये फफूंद हवा के साथ उड़कर कीनिया और इथोपिया तक पहुंच गया।
वर्ष 2007 में एफएओ ने इस बात की पुष्टि की किक इस फफूंद की वजह से यमन में गेहूं के फसल को नुकसान पहुंचा है। यमन में जो यूजी 99 नामक फफूंद पाया गया था, वह पूर्वी अफ्रीका में पाए गए फफूंद से कहीं ज्यादा खतरनाक था।
कीनिया और इथोपिया में वर्ष 2007 के दौरान इस फफूंद की वजह से गेहूं की फसल को व्यापक नुकसान पहुंचा था और उस दौरान वहां के उत्पादन में काफी कमी देखी गई।
गौरतलब है कि वर्ष 2007 में 6030 लाख टन गेहूं के पैदावार का अनुमान लगया गया, जो 2006 से 1.2 फीसदी ज्यादा है। एशिया में इस दौरान 9280 लाख टन गेहूं के उत्पादन का अनुमान रखा गया, जबकि 2006 के दौरान 9120 लाख टन गेहूं का उत्पादन हुआ था।
उधर, दिसंबर माह से ही गेहूं की कीमतों में तेजी बनी हुई है। इसकी वजह अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं की आपूर्ति में कमी है, जबकि मांग में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है।

First Published - March 6, 2008 | 9:50 AM IST

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