पंजाब में शहद उत्पादन में भारी कमी आने का अंदेशा

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 10, 2022 | 12:16 AM IST

पंजाब के शहद उत्पादन में आने वाले दिनों में भारी कमी आ सकती है।
पंजाब में ज्यादा न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलने की वजह से गेहूं और धान की फसल से निश्चित मुनाफा मिल जाता है लेकिन तिलहन फसलों मसलन सरसों और सूरजमुखी के उत्पादन में लगातार गिरावट आ रही है। इसका असर शहद के उत्पादन पर भी पड़ रहा है।
विश्लेषकों का भी मानना है कि मधुमक्खी  पालने वाले छोटे किसानों की पहुंच नई तकनीकों तक नहीं होती। उत्पादन में कमी आने की यह भी एक खास वजह है। हालांकि पंजाब में शहद की प्रसंस्करण इकाइयां भी हैं लेकिन शहद प्रसंस्करण की मशीनों को दूसरे राज्य से मंगाना पड़ता है।
इस उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों का ऐसा मानना है कि पंजाब के मुकाबले राजस्थान और हिमाचल प्रदेश जैसे उत्तरी क्षेत्र के राज्यों में शहद उत्पादन का प्रदर्शन बहुत बेहतर है। एक अनुमान के मुताबिक पंजाब सलाना 6,000  टन शहद का उत्पादन करता है।
लगभग 40,000 किसान मधुमक्खी पालन के काम से जुड़े हुए हैं जिसमें बेहद उन्नतिशील किसान भी शामिल हैं। आमतौर पर मधुमक्खी पालन का काम छोटे किसानों के द्वारा ही किया जाता है जो शहद बेचकर अपनी आय बढ़ाते हैं।
ये छोटे किसान उन बड़े शहद निर्माताओं को शहद बेचते हैं जो घरेलू बिक्री और निर्यात के उद्देश्य से शहद का प्रसंस्करण करते हैं। कश्मीर एपेयरिज एक्सपोर्ट के उपाध्यक्ष (निर्यात) ए. के. सिंह का कहना है, ‘पंजाब के किसान गेहूं और धान की फसल में ज्यादा दिलचस्पी लेते हैं। नतीजतन तिलहन फसल के उत्पादन में भारी गिरावट आ रही है।
इसकी वजह से राजस्थान और हिमाचल प्रदेश की तुलना में मधुमक्खी पालन का काम बड़े पैमाने पर नहीं किया जाता है। हिमाचल प्रदेश में जो जंगली इलाका है वह काफी बड़ा है। इसी वजह से यहां के मधुमक्खी पालने वालों को बहुत बेहतर मौका मिल जाता है। इसी तरह राजस्थान में तिलहन फसलों मसलन सूर्यमुखी और सरसों की फसलों में भी काफी बढ़ोतरी हो रही है।’
पंजाब में कश्मीर एपेयरिज एक्सपोर्ट यूनिट की प्रतिदिन 140 मीट्रिक टन प्रसंस्करण की क्षमता है। कच्चे माल की कमी की वजह से कंपनी दूसरे राज्यों से शहद लेती है और उसे पंजाब में प्रसंस्कृत करती है।
वैश्विक मंदी पर टिप्पणी करते हुए उनका कहना था, ‘प्राकृ तिक शहद की मांग में थोड़ी कमी आएगी लेकिन साधारण शहद की मांग में कमी नहीं आएगी।’ यह कंपनी 42 देशों में निर्यात करती है जिसमें से अमेरिका और यूरोपीय संघ के देश भी शामिल है।
इस वित्तीय वर्ष में कंपनी की योजना 16,000 मीट्रिक टन शहद निर्यात करने की है। कुछ ऐसा ही मानना है केजरीवाल गु्रप ऑफ कंपनीज के अध्यक्ष एन. एम. केजरीवाल का। उनका कहना है, ‘पंजाब में कच्चे माल की बहुत कमी है। इसलिए हम इसे दूसरे राज्यों से लेते हैं।
कंपनी के पास अत्याधुनिक सुविधाएं भी हैं और रोज 100 मीट्रिक टन प्रसंस्करण की क्षमता भी है। हालांकि फिलहाल कुछ क्षमता का महज 60 फीसदी ही इस्तेमाल किया जा रहा है। कंपनी पंजाब में लगभग 15,000 किसानों और देश भर के लगभग 200,000 किसान से जुड़ी हुई है।’
उनका कहना है कि वैश्विक मंदी की वजह से निर्यात में थोड़ी कमी आने की पूरी संभावना है। एक संयुक्त उपक्रम के तहत पंजाब एग्रो इंडस्ट्रीज कॉरपोरेशन (पीएआईसी) और केजरीवाल इंटरप्राइजेज ने 2002 में प्रोसेसिंग यूनिट लगाया था।
कुछ लोगों का ऐसा मानना है कि उत्पादन में कमी की कुछ और भी वजहें हैं। बीआरबी प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड का कहना है, ‘निश्चित तौर पर पंजाब में शहद के उत्पादन में कमी आएगी। मधुमक्खीपालक बेहतर तरह से काम नहीं कर रहे हैं।
उन्हें नई तकनीकों की भी जानकारी नहीं है इसकी वजह से उत्पादन में कमी आ रही है।’ उनका कहना है कि मधुमक्खी पालकों को सफाई का भी खास ध्यान देना चाहिए। जिससे न केवल गुणवत्ता बढ़ती है, बल्कि उसके बेहतर दाम भी मिलते हैं।
किसानों की बेरुखी का होगा असर

तिलहन फसलों मसलन सरसों और सूर्यमुखी के उत्पादन में लगातार गिरावट का होगा असर
मधुमक्खी पालने वाले छोटे किसानों की पहुंच नई तकनीकों तक नहीं
पंजाब के मुकाबले राजस्थान और हिमाचल प्रदेश जैसे उत्तरी क्षेत्र के राज्यों में शहद उत्पादन का प्रदर्शन बहुत बेहतर
पंजाब स्थित कश्मीर एपेयरिज एक्सपोर्ट यूनिट को प्रसंस्करण के लिए लेनी पड़ती है दूसरे राज्यों से शहद

First Published : February 6, 2009 | 10:15 PM IST