भारतीय रिफाइनरियों की ओर से आयात किया जाने वाला कच्चा तेल, यानी भारतीय बास्केट की कीमत मंगलवार को 100 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई।
कच्चे तेल की कीमतों में यह गिरावट पांच महीनों की बदस्तूर तेजी के बाद आई है। इससे तेल विपणन कंपनियों को 13 माह में पहली बार ऐसा मौका मिलेगा, जब वे पेट्रोल की बिक्री से मुनाफा कमा सकेंगी। पेट्रोलियम मंत्रालय के दो वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक, मंत्रालय डीजल की कीमतों में कटौती के प्रस्ताव पर विचार कर सकती है।
हालांकि ऐसा तब होगा, जब कच्चे तेल का भारतीय बास्केट 85 डॉलर प्रति बैरल के नीचे पहुंच जाएगा। उन्होंने बताया कि सरकार आगामी चुनावों को ध्यान में रखकर डीजल की कीमतों में कटौती पर विचार तो कर रही है, लेकिन पेट्रोल की कीमतों में कमी किए जाने की फिलहाल कोई संभावना नहीं है।
विश्लेषकों का कहना है कि मंदी की वजह से विकसित देशों में ईंधन की मांग घटी है, जिससे कच्चे तेल की कीमतों में नरमी आई है। उनके मुताबिक, अगर आगे भी ऐसी स्थिति बनी रही, तो कच्चे तेल की कीमतों में और गिरावट आ सकती है। मुंबई स्थित खांडवाला सिक्युरिटीज के विनय नायर के मुताबिक, कच्चे तेल की कीमतें 65-70 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंचने का अनुमान है।
उधर, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन, तीनों तेल विपणन कंपनियां पिछले साल अगस्त के बाद पहली बार प्रीमियम पेट्रोल की बिक्री से मुनाफा कमाने की स्थिति में आ गई हैं। इन कंपनियों की ओर से बेचे जाने वाले कुल तेल का 30 फीसदी हिस्सा ब्रांडेड पेट्रोल का होता है।
आईओसी के एक अधिकारी ने बताया कि अगर कच्चे तेल की कीमत 90 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच जाती है, तो कंपनी को सामान्य पेट्रोल की बिक्री से भी मुनाफा होने लगेगा। हालांकि इस स्थिति में भी डीजल की बिक्री पर प्रति लीटर 10 रुपये का घाटा उठाना होगा।
ब्रांडेड पेट्रोल सामान्य के मुकाबले करीब 4 रुपये प्रति लीटर महंगा है। 100 डॉलर प्रति बैरल कच्चा तेल खरीदने से कंपनियों को सामान्य पेट्रोल की बिक्री पर 3 रुपये से भी कम प्रति लीटर का नुकसान हो रहा है। ऐसे में कंपनी को ब्रांडेड पेट्रोल की बिक्री से एक रुपया प्रति लीटर फायदा हो रहा है।
हालांकि कच्चे तेल की कीमतों में आई इस गिरावट से तेल कंपनियां ज्यादा खुश नजर नहीं आ रही हैं। उनके मुताबिक, रुपये के मुकाबले डॉलर के मजबूत होने से उन्हें खास लाभ होने की उम्मीद नहीं है।
भारतीय बास्केट 100 डॉलर के नीचे
भारत के कच्चे तेल का आयात मूल्य अप्रैल के बाद पहली बार 100 डॉलर प्रति बैरल के स्तर से नीचे आ गया है। 2 अप्रैल, 2008 के बाद मंगलवार को भारतीय बास्केट औसतन 99 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर आ गया।