कमोडिटी

चाय का निर्यात बढ़ाने पर टी बोर्ड व उत्पादकों की अलग-अलग राय

भारत के चाय निर्यातकों के एसोसिएशन (आईटीईए) के चेयरमैन अंशुमन कनोडिया ने कहा कि भारत इस साल 20 करोड़ किलोग्राम चाय निर्यात का लक्ष्य हासिल करने पर भाग्यशाली होगा।

Published by
ईशिता आयान दत्त   
Last Updated- October 02, 2023 | 10:14 PM IST

चाय के निर्यात के लिए जिम्मेदार कारणों को लेकर चर्चा गरमाने लगी है। केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय के तहत स्वायत्त निकाय टी बोर्ड का मानना है कि उत्पादकों को निर्यात के बारे में नए सिरे से सोचने की जरूरत है। इस क्रम में थोक में निर्यात करने की जगह ब्रांड वाली पैक चाय को बढ़ावा देना पड़ेगा। लेकिन उत्पादकों को यह राय रास नहीं आ रही है।

यह चर्चा उस दौर में बढ़ रही है, जब भूराजनीतिक मुद्दों के कारण चाय का निर्यात प्रभावित हुआ है और बीते साल की तुलना में घरेलू मूल्य भी कम है। भारत के चाय निर्यातकों के एसोसिएशन (आईटीईए) के चेयरमैन अंशुमन कनोडिया ने कहा कि भारत इस साल 20 करोड़ किलोग्राम चाय निर्यात का लक्ष्य हासिल करने पर भाग्यशाली होगा। उन्होंने कहा, ‘लेकिन हम बीते साल के निर्यात के आंकड़े के करीब नहीं पहुंच पा रहे हैं।’

बीते साल (जनवरी – दिसंबर) के दौरान निर्यात 22.698 करोड़ किलोग्राम था। बीते कुछ दशकों से चाय निर्यात में ठहराव आ गया है और चाय का निर्यात 20- 25 करोड़ किलोग्राम के इर्द गिर्द हो रहा है। बीडीओ इंडिया – बंगाल चैम्बर ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री की रिपोर्ट के मुताबिक 1960 में देश में कुल चाय उत्पादन का करीब 60 फीसदी निर्यात हुआ था।

लेकिन उत्पादन की तुलना में निर्यात में 2021 तक तेज गिरावट आ गई। हाल यह हो गया कि 2021 में उत्पादन का 15 प्रतिशत ही निर्यात हुआ था। हालांकि इस अवधि के दौरान उत्पादन 32.1 करोड़ किलोग्राम से बढ़कर 134.3 किलोग्राम हो गया था।

टी बोर्ड के डिप्टी चेयरमैन सौरभ पहाड़ी ने कहा कि भारत के चाय उत्पादकों को निर्यात बढ़ाने के लिए ब्रांडेड पैकेज को अपनाने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया, ‘हम ब्रांडेड चाय की जगह अलग-अलग करके चाय नहीं भेज रहे हैं। हमारी चाय को अन्य देशों की चाय के साथ मिलाया जा रहा है। फिर इस मिश्रित चाय के ‘ब्लेंड’ को ब्रांड बनाकर प्रीमियम चाय के रूप में बेच जाता है। ऐसे में भारत के उत्पादकों को नुकसान झेलना पड़ रहा है।’

उन्होंने कहा, ‘यदि उत्पादक जो बीते 50 वर्षों से कर रहे हैं, उसे करना जारी रखेंगे तो उनका बाजार खत्म हो जाएगा। लिहाजा उद्योग को सजग होकर काम करने का समय आ गया है और उद्योग को भी कम समय में कार्य को अंजाम देना होगा। उद्योग को निर्यात के लिए नए सिर से सोचना होगा।’

अभी भारत से निर्यात होने वाली चाय में थोक निर्यात की हिस्सेदारी करीब 87 फीसदी है। इस क्रम में उत्पादकों ने ब्रांडेड चाय का निर्यात में आने वाली दिक्कतों को उजागर किया और इसमें प्रमुख समस्या ब्रांड को लोकप्रिय बनाने का खर्चा है। धनसेरी टी ऐंड इडस्ट्रीज के चेयरमैन सीके धानुका ने कहा कि ब्रांडेड चाय और थोक चाय का कारोबार पूरी तरह अलग है।

उन्होंने कहा, ‘ब्रांड को स्थापित करने में कम से कम 25 करोड़ रुपये का खर्च आता है। मैंने अपने ब्रांड ‘लालघोड़ा’ और ‘कालाघोड़ा’ टाटा ग्लोबल बेवरिजेस को बेच दिए हैं क्योंकि मैं उन्हें आगे बढ़ा ही नहीं पाया।’

अमलगमेटेड प्लांटेशन प्राइवेट लिमिटेड (एपीपीएल) के प्रंबध निदेशक विक्रम सिंह गुलिया ने कहा कि भारत के निर्यात को बढ़ाने के लिए मूल्य वर्धित चाय या पैकेज्ड चाय को अनिवार्य रूप से बढ़ाना होगा। लेकिन इसके लिए अत्यधिक धन की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘सरकार को ब्रांड लॉन्च करने वालों को प्रोत्साहन देने के लिए प्रोत्साहन देना होगा।’

First Published : October 2, 2023 | 10:14 PM IST