पाम ऑयल पर सोयाबीन का कहर!

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 05, 2022 | 5:27 PM IST

इस खबर के बाद कि अमेरिका में इस साल सोयाबीन की खेती बड़े स्तर पर होगी,पिछले सात दिनों से पामऑयल का वायदा कारोबार अपने निम्नतम स्तर पर है।


इसके साथ ही अन्य गर्म देशों से भी तेलों की मांग में गिरावट आई है। गौरतलब है कि अमेरिका का कृषि विभाग इस साल की जाने वाली खेती के संबंध में रिपोर्ट जारी करेगा जिसमें गेहूं व मक्का समेत सोयाबीन की खेती कितनी जमीन पर की जानी है, का उल्लेख किया जाएगा। इस संबंध में इस विभाग के गोल्डमैन सैक्स के मुताबिक सोयाबीन की खेती में इजाफा होने से वनस्पति तेलों और जानवरों के खाद्य पदार्र्थों पर असर पड़ेगा।


सिंगापुर के पामऑयल कारोबारी के मुताबिक सोयाबीन की खेती इसके लिए खासा घातक साबित हो सकती है। साथ ही सबकी नजरें सोमवार की रात जारी होने वाले डाटा पर है जिसमें इस बात की उम्मीद है कि पिछले साल के उलट मक्के के मुकाबले बींस की खेती ज्यादी की जाने की उम्मीद है। उल्लेखनीय है कि इस तिमाही में पामऑयल के वायदा  कारोबार में 13 फीसदी का इजाफा हुआ है जिससे अबतक सोयाबीन की कम खेती होने का फायदा मिल रहा था।


यहां तक कि अमेरिका जो इसका सबसे बड़ा उत्पादक देश हैं, में भी पिछले साल गत 12 सालों के दौरान सबसे कम जोत पर खेती हुई थी। लेकिन सोयाबीन की ज्यादा जोत पर खेती होने की खबर के बाद से मामला बिल्कुल उलट गया है।


इस खबर के तुरंत बाद जून डिलिवरी के लिए आपूर्ति की जाने वाली पामऑयलों की कीमत में 4.5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। और मलेशिया डेरिवेटिव एक्सचेंज में 160रिंगिट की कमी दर्ज करते हुए कीमत 3390 रिंगिट 3402 रिंगिट हो गई है। खाद्य तेलों की कीमत ज्यादा होने के पीछे प्रमुख उत्पादक देशों ब्राजील, अर्जेंटीना व चीन में फसल बर्बाद होना भी है।


साप्ताहिक उछाल


पिछले 16 महीनों में पामतेलों की कीमतें सबसे अधिक रहने और इंडोनेशिया द्वारा निर्यात कर दोगुना करने के चलते इनमें पिछले पहला सप्ताहिक उछाल दर्ज किया गया था। दूसरी तरफ अर्जेंटीना के किसानों द्वारा निर्यात प्रभार 35 से 44 फीसदी करने की मांग को लेकर प्रदर्शन की धमकी दी गई थी। लिहाजा सोयाबीन व सोयाबीन तेलों की कीमतों में भी उछाल दर्ज किया गया है। उधर शिकागो बाजार में भी मई आपूर्ति के लिए इसका कारोबार 2.6 फीसदी बढ़ा है।


जबकि सोयाबीन तेलों के कारोबार में 3.1 फीसदी का इजाफा दर्ज करते हुए कीमत अंत में 54.92 सेंट्स प्रति पाउंड पर पहुंच गई। इधर भारत में पिछले 13 महीनों से जारी महंगाई के मद्देनजर निर्यात प्रभार में और कटौती करने की संभावना है। जबकि राई, सूरजमुखी और पामऑयलों के आयात कर पहले से ही कम है। दुनिया भर में इन चीजों की मांग अधिक है लिहाजा इसका फायदा मलेशिया को मिल रहा है।


और आलम यह है कि मलेशिया से इनके निर्यात में 11 फीसदी का उछाल दर्ज किया गया है और कुल निर्यात 12.2 लाख टन हो गया है। हालांकि 15 मार्च के बाद से भारत ने मलेशिया से इनका आयात नहीं किया है। इस संबंध में एक डाटा जारी किया गया है जिसमें चीन से भी आयात में कमी का जिक्र किया गया है। चीन से कुल आयात 54,670 टन का रह गया है जो 21 से 25 मार्च के बीच  81079 टन था। 


आयात कर


क्वालालंपुर में सिटीग्रुप इंडस्ट्री के विश्लेषक के मुताबिक भारत के द्वारा आयात कर में हालिया कमी होने के बावजूद सोयाबीन तेल की कीमतें 3000 रुपये प्रतिटन पर टिकी हुई है। और ऐसी उम्मीद है कि आने वाले समय में सब्जियों की मौलिकता में सकारात्मक रुख बना रहेगा। उधर ब्लूमबर्ग के मुताबिक पामऑयल के मुकाबले सोयाबीन तेल ने 14 फीसदी का कारोबार किया है।

First Published : April 1, 2008 | 12:41 AM IST