बिल्डर कंपनियों की परियोजनाओं के ठप होने से भवन निर्माण से जुड़े लोहे कारोबारियों की हालत पतली होती जा रही है।
लोहे के मूल्य में लगातार गिरावट हो रही है और इसका कारोबार भी सिमटता जा रहा है। पिछले साल दिसंबर-जनवरी के मुकाबले लोहे के कारोबार में 40 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गयी है। वहीं पिछले नवंबर के मुकाबले इस माह कारोबार में 15 फीसदी की कमी आयी है।
लोहे के कारोबारियों ने बताया कि 10 दिन पहले तक लोहे की कीमत 32 रुपये प्रति किलोग्राम था जो मांग के अभाव में घटकर 30 रुपये प्रति किलोग्राम हो गयी है। छह माह पहले लोहे की कीमत 48-50 रुपये प्रति किलोग्राम थी।
कारोबारी कहते हैं कि डीएलएफ, यूनीटेक, टीडीआई जैसी बड़ी बिल्डर कंपनियों की परियोजना ठप होने के कारण लोहे की मांग अधिक प्रभावित हुई है। निजी बैंकों की ब्याज दरों में कटौती नहीं होने के कारण लोग घर नहीं खरीद पा रहे हैं। लिहाजा नए भवनों का निर्माण पिछले साल के मुकाबले 50 फीसदी कम हो रहा है।
दिल्ली में भवन निर्माण से जुड़े करीब लोहे के 600-700 कारोबारी है और ये मुख्य रूप से बड़े बिल्डरों को लोहे की आपूर्ति करते हैं। कारोबारी सतीश गर्ग कहते हैं कि कारोबारी एक सीमा तक ही गिरावट को बर्दाश्त कर सकता है। अब गिरावट सीमा से बाहर होती जा रही है। खर्च पूरा नहीं होने के कारण कारोबारी अपने कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा रहे हैं।
दुकानों पर नौकरी मांगने वालों की संख्या में एकाएक काफी बढ़ोतरी हो गयी है। कारोबार में गिरावट के कारण कारोबारियों के बीच प्रतिस्पर्धा भी बढ़ गयी है। अपने माल को बेचने के लिए वे काफी कम मार्जिन पर सौदा कर रहे हैं।
बाजार में छायी मंदी को देखते हुए कारोबारियों ने उधार बेचना भी बिल्कुल ही बंद कर दिया है। उन्हें इस बात का डर होता है कि माल लेने वाला पैसे लौटाने की स्थिति में होगा या नहीं, इसकी कोई गारंटी नहीं है। इस कारण भी उनकी बिक्री कम हुई है।