उत्तर प्रदेश में दो दिनों के साप्ताहिक लॉकडाउन और 8 बजे से रात का कफ्र्यू सब्जी किसानों के साथ ही उपभोक्ताओं पर भारी पड़ रहा है। जहां किसानों की उपज औने पौने दामों पर बिक रही है वहीं फुटकर बाजार में उपभोक्ताओं को इसके कई गुना दाम चुकाने पड़ रहे हैं। सब्जी के साथ ही कोरोना की दूसरी लहर में फलों के दामों में भी आग लग चुकी है। विटामिन सी की अधिकायत वाले खट्टे फलों के दाम सबसे ज्यादा तेजी से बढ़े हैं।
बीते एक सप्ताह में ही संतरा, कीवी, अंगूर, मालटा जैसे फल आम आदमी की पहुंच से बाहर निकल चुके हैं। नींबू के दामों में भी जबरदस्त तेजी देखी जा रही है और यह फुटकर बाजारों में 200 रुपये किलो के भाव से बिक रहा है। रात के कफ्र्यू और शनिवार-रविवार के लाकडाउन के चलते फुटकर बाजारों में थोक मंडी में कम दाम होने के बाद भी दो से तीन गुनी कीमत पर फल और सब्जी बिक रही है। फुटकर दुकानदारों का कहना है कि अब उनका माल दो दिनों की बंदी में खराब हो रहा है साथ ही रात में बिक्री बंद करनी पड़ती है।
हालांकि उनका मानना है कि थोक मंडी और फुटकर बाजारों में रेट में भारी अंतर है पर इसकी वजह बिक्री के लिए मिलने वाला कम समय और कम खरीदारों का आना है। फुटकर सब्जी फल विक्रेताओं की ही मानें तो इस समय 50 रुपये किलो में खरीद कर 200 रुपये में संतरा बेंचा जा रहा है जबकि 50-70 रुपये किलो में नींबू खरीद कर फुटकर बाजार में 200 रुपये किलो बेंचा जा रहा है।
राजधानी में दुबग्गा सब्जी मंडी के बड़े आढ़ती हकीम अजय बताते हैं कि थोक मंडियों के खुलने और कारोबार करने का समय बदलने और घंटे कम कर देने की वजह से किसानों का माल आ नहीं पा रहा है। किसान अपना माल करीब के बाजारों में बेंचने या खेत से ही सौदा करने को मजबूर हैं जिसके चलते उन्हें औने पौने दाम ही मिल रहे हैं। उनका कहना है कि थोक बाजार में 5 से 7 रुपये किलो मिलने वाली लौकी फुटकर बाजारों में 20 रुपये किलो जबकि 20 रुपये किलो वाली तरोई 50 रुपये किलो तक ग्राहकों को मिल रही है। सब्जी कारोबारी फौजान अल्वी का कहना है कि इस समय बाहर से सब्जी न के बराबर मंगाई जा रही है क्योंकि उठान बहुत कम हो रही है। थोक मंडी को सुबह 10 बजे के बाद बंद करने का आदेश है लिहाजा कारोबार कम ही हो रहा है। काम न मिलने की वजह से बहुत से लोगों ने एक बार फिर से ठेले पर सब्जी बेंचनी शुरू की है जो कि मंहगे दाम वसूल रहे हैं।