औद्योगिक जिंसों में आएगी गिरावट

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 10, 2022 | 12:16 AM IST

अमेरिका में लीमन ब्रदर्स के धराशायी होने के बाद वर्ष 2008 की दूसरी छमाही में औद्योगिक जिंसों में गिरावट का दौर शुरू हुआ।
यह दौर 2009 में भी जारी है और इकनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट (ईआईयू) के हालिया अनुमान के मुताबिक कच्चे माल के मूल्य सूचकांक में इस साल 41 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है। लंदन की इस रिसर्च एजेंसी का अनुमान है कि 2010 तक कीमतें एक बार फिर पटरी पर आ सकती हैं। 
हालांकि वैश्विक अर्थव्यवस्था अभी भी बहुत कमजोर है, लेकिन निवेशक लंबे समय को ध्यान में रखते हुए आशावादिता दिखा सकते हैं। जिंस स्टॉक नीचे ही रहेगा, क्योंकि 2009 में भी उत्पादन में कटौती होगी।
2008 के अंतिम महीनों और 2009 में वित्त के अभाव के चलते कच्चे माल का उद्योग भी कमजोर रहेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर भविष्य में मांग में ज्यादा बढ़ोतरी हुई तो संभव है कि आपूर्ति का संकट उत्पन्न हो जाए।
औद्योगिक जिंस, खासकर मूल धातुओं की कीमतें 2008 की दूसरी छमाही में गिरनी शुरू हो गईं। ऐसा वित्तीय संकट और वैश्विक मांग नकारात्मक होने  की वजह से हुआ । लेकिन असल गिरावट तो साल की अंतिम तिमाही में देखी गई।
ईआईयू की रिपोर्ट में भविष्यवाणी की गई है कि मूल धातुओं के सूचकांक में इस साल 47 प्रतिशत की गिरावट आएगी। इसके साथ ही फाइबर और रबर सूचकांक में भी क्रमश: 10 प्रतिशत और 44 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है।
आर्थिक सहयोग और विकास (ओईसीडी) संगठन के प्रॉपर्टी बाजार और ग्राहकों की मांग के ध्वस्त होने की वजह से मूल धातुओं की कीमतों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा। बहरहाल बाजार से वित्तीय निवेशकों के चले जाने का भी असर पड़ा, उन्होंने नुकसान की भरपाई के लिए बिकवाली शुरू कर दी।  मूल धातुओं की कीमतों में 2010 तक 12 प्रतिशत की रिकवरी का अनुमान लगाया जा रहा है।
ईआईयू की रिपोर्ट का कहना है कि कच्चे तेल की कीमतें इस साल 64 प्रतिशत तक गिर चुकी हैं। इससे कीमतों के लिहाज से थोडा समर्थन मिलेगा। इसके परिणाम स्वरूप ओईसीडी देशों में मंदी आएगी और उभरते हुए बाजारों का विकास भी धीमा होगा। कच्चे तेल की कीमतें 2009 में औसत रूप से 35 डॉलर प्रति बैरल रहने का अनुमान है।
हमारा कच्चे तेल का सूचकांक कुल मिलाकर 2009 में 64 प्रतिशत गिरेगा, क्योंकि मांग में बहुत ज्यादा कमी आई है। सॉफ्ट कमोडिटीज की कीमतें भी कमजोर रहने का अनुमान लगाया जा रहा है।
आटोमोबाइल क्षेत्र में मंदी का असर प्राकृतिक रबर की मांग पर भी पड़ेगा और इसे सिंथेटिक रबर से कड़ी प्रतिस्पर्धा मिलेगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि प्राकृतिक रबर की कीमतों में भी 2009 में 44 प्रतिशत की गिरावट आएगी। कपास की रोपाई में आई वैश्विक कमी की वजह से फाइबर का बाजार चढ़ेगा।

First Published : February 6, 2009 | 10:21 PM IST