facebookmetapixel
टूट गई बादशाहत: 14 साल बाद क्यों Infosys और HCLTech से पिछड़ी TCSमहाराष्ट्र में रबी फसलों की बोआई धीमी, अब तक सिर्फ 9.14 लाख हेक्टेयर में हुई खेती; किसान चिंतितकचरे से कमाई का नया दौर: रीसाइक्लिंग इंडस्ट्री को असंगठित से संगठित उद्योग बनाने की कवायद शुरूडिफेंस पेंशनर्स के लिए SPARSH पोर्टल: अब घर बैठे देखें अपना PPO और पेंशन डिटेल्स सिर्फ एक क्लिक मेंFlexi Cap Funds फिर बना इक्विटी का किंग, अक्टूबर में निवेश बढ़कर ₹8,929 करोड़, AUM रिकॉर्ड ₹5.34 लाख करोड़Tata Motors Q2 Results: Q2 में ₹867 करोड़ का नुकसान, पर आय बढ़कर ₹18,491 करोड़ पर पहुंचाफैमिली पेंशन नियमों में बड़ा बदलाव: कर्मचारियों के माता-पिता को 75% पेंशन लेने के लिए अब यह करना जरूरीछोटे लोन पर ‘उचित ब्याज दर’ रखें MFIs, 30-35 करोड़ युवा अब भी बैंकिंग सिस्टम से बाहर: सचिव नागराजूQ3 में तेजी से सुधरा वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक सेक्टर, मांग 64% बढ़ी; मुंबई और कोलकाता का प्रदर्शन शानदारIncome Tax: रिवाइज्ड IT रिटर्न क्या है, जिसे आप कैलेंडर ईयर के अंत तक फाइल कर सकते हैं

सरकार ने जीएम सरसो मूल्यांकन के दौरान नियमों के उल्लंघन के दावे का किया खंडन

Last Updated- January 07, 2023 | 5:08 PM IST
Mustard seeds

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने पर्यावरण कार्यकर्ताओं के इस दावे का शनिवार को खंडन किया कि भारत में जीएम सरसों के मूल्यांकन एवं अनुमोदन के दौरान वैधानिक नियमों का उल्लंघन किया गया। उसने कहा कि संबंधित पक्ष के साथ परामर्श के बाद ही इस उत्पाद को सशर्त मंजूरी दी गयी।

जैव संविर्धत फसलों का विरोध कर रहे गैर सरकारी संगठनों के गठबंधन ‘द कोअलिशन ऑफ जीएम-फ्री इंडिया’ ने शुक्रवार को एक रिपोर्ट जारी कर आरोप लगाया कि जीएम सरसों के मूल्यांकन में किसी (स्वतंत्र) स्वास्थ्य विशेषज्ञ ने हिस्सा नहीं लिया। शनिवार को जारी एक जवाब में मंत्रालय ने कहा, ‘‘ जीएम सरसों की जैवसुरक्षा डोजियर के संबंध में 2016 में उपसमिति द्वारा तैयार खाद्य एवं पर्यावरण सुरक्षा मूल्यांकन रिपोर्ट को मंत्रालय की वेबसाइट पर 30 दिनों (पांच सितंबर से पांच अक्टूबर, 2016) के अंदर लोगों की टिप्पणियों के लिए अपलोड किया गया था। ’’

उसने कहा, ‘‘ उसी दौरान उस पूरे डोजियर को लोगों द्वारा समीक्षा के वास्ते मंत्रालय के कार्यालय में भी उपलब्ध कराया गया।’’ उसने कहा, ‘‘ जीएम सरसों को सशर्त पर्यावरण मंजूरी दी गयी, उससे पहले संबंधित पक्षों के साथ परामर्श किया गया जिसकी रूपरेखा 2016 के आनुवांशिक अभियांत्रिकृत पादप विश्लेषण प्रारूप, पक्ष के पर्यावरण जोखिम आकलन मार्गदर्शन में बतायी गयी है। सशर्त पर्यावरण अनुमोदन की शर्त भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण की मंजूरी थी।’’

द कोलिशन ऑफ जीएम-फ्री इंडिया ने आरोप लगाया है कि पिछले साल 25 अक्टूबर को औपचारिक मंजूरी देने से बस पहले 22 अक्टूबर को ही सरसों अनुसंधान निदेशालय को बीज मिले थे । इस पर मंत्रालय ने कहा कि पिछले साल 18 अक्टूबर को जीईएसी की 147 वीं बैठक में जीएम सरसों को पर्यावरण मंजूरी देने की सिफारिश की गयी।

उसने कहा, ‘‘ जीएम सरसों का पर्यावरण संबंधी अनुमोदन पत्र केंद्र सरकार द्वारा मंजूरी मिलने के बाद 25 अक्टूबर को जारी किया गया तथा बीज आईसीएआर के सरसों अनुसंधान निदेशालय को 29 अक्टूबर को भेजे गये। ’’

एनजीओ ने यह भी दावा किया कि जीएम सरसों का इस बात को लेकर भी परीक्षण नहीं किया कि क्या वह खरपतवारनाशक बेअसर (एचटी) फसल है क्योंकि एचटी फसलों के लिए कोई ऐसा विनियामक दिशानिर्देश एवं विनियम नहीं हैं।

मंत्रालय ने कहा कि जीएम सरसो के लिए ‘खरपतवारनाशक बेअसर ’ शब्द का इस्तेमाल ही गलत है। इस दावे का कि जब जीएम सरसों को मंजूरी दी गयी तब इस तथ्य की अनदेखी की गयी कि कृषि राज्य का विषय है, मंत्रालय ने कहा कि जीएम सरसों के प्रथम स्तर के जैवसुरक्षा अनुसंधान परीक्षण एवं द्वितीय स्तर के जैव सुरक्षा अनुसंधान परीक्षण राज्य सरकारों से अनापत्ति प्रमाणपत्र लेने के बाद किये गये।

First Published - January 7, 2023 | 5:08 PM IST

संबंधित पोस्ट