शेयर बाजार में वायदा कारोबार करना अब और मुश्किल हो जाएगा। सेबी के नए नियमों के मुताबिक केवल वही निवेशक फ्यूचर्स और ऑप्शंस में कारोबार कर पाएंगे जिनकी कि कोई नेटवर्थ है।
हालांकि व्यक्तिगत निवेशकों के लिए ये नेटवर्थ कितनी होनी चाहिए इस पर कुछ नहीं कहा गया है लेकिन इतना तो तय है ही कि आयकर रिटर्न भरने वाले ही अब वायदा कारोबार कर सकेंगे। सेबी ने अपनी नई नीति में इस आशय का प्रस्ताव रखा है।
ये नेटवर्थ सर्टिफिकेट प्रैक्टिस करने वाले किसी चार्टर्ड एकाउंटेंट का मान्य होगा या फिर आयकर रिटर्न को नेटवर्थ का सबूत माना जाएगा। कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग के प्राइवेट क्लायंट ग्रुप के वाइस प्रेसिडेंट अंबरीश बालिगा के मुताबिक ये प्रस्ताव अच्छे हैं, इससे वही लोग वायदा कारोबार कर सकेंगे जिनकी उतनी हैसियत होगी। पहले होता क्या था कि निवेशक अपनी हैसियत से ज्यादा का कारोबार वायदा में कर लेते थे और इसे हेजिंग के लिए नहीं बल्कि सट्टेबाजी के लिए इस्तेमाल कर रहे थे।
हालांकि अरिहंत कैपिटल मार्केट्स के इंस्टिटयूशनल हेड अनीता गांधी का कहना है कि इन प्रस्तावों से वायदा कारोबार के वॉल्यूम पर जरूर कुछ असर पडेग़ा लेकिन ये थोड़े समय के लिए ही होगा, लंबे समय के लिए तो ये प्रस्ताव अच्छे हैं। फिलहाल बाजार के क्लियरिंग सदस्यों और ट्रेडिंग सदस्यों यानी ब्रोकरों जिन्हे दूसरे गैर क्लियरिंग सदस्यों के सौदे निपटाने की मंजूरी हो, के लिए जरूरी है कि उनकी नेटवर्थ तीन करोड़ रुपए हो।
इसके अलावा उन्हे हर छह महीनों में अपनी नेटवर्थ का ऑडिटर का सर्टिफिकेट भी देना जरूरी होता है। जो सेल्फ क्लियरिंग मेंबर होते हैं यानी जो अपने सौदे खुद ही सेटल करते हैं उनके लिए एक करोड़ की नेटवर्थ होना जरूरी है।
प्रस्तावों में यह भी कहा गया है कि ट्रेडिंग मेंबर अपने क्लायंट की वित्तीय हालत यानी उसने जो अपनी नेटवर्थ के कागजात दे रखे हैं उन्ही के आधार ही बाजार में एक्सपोजर देगा। इसके अलावा प्रस्तावों में ट्रेडिंग मेंबर के डिस्क्लोजर नियमों को भी सख्त बनाने की बात भी कही गई है। उन्हें अपने ग्राहकों को सौदे के समय अपने बारे में भी सारी जानकारियां देनी होंगीं। इसके अलावा ब्रोकर अपने ग्राहकों को किसी खास सेक्योरिटी के सौदों की सिफारिश लगातार नहीं करेगा जिससे कि बाजार में गलत संदेश जाए।