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प्याज की सड़न से भर आईं किसानों की आखें

Last Updated- December 07, 2022 | 8:05 AM IST

इस बार देश में प्याज का उत्पादन मांग की तुलना में ज्यादा रहने से प्याज किसानों का दर्द समय से पहले आए मानसून में प्याज सड़ने के कारण और बढ़ गया है।


ये किसान पहले से ही मंदी की मार झेल रहे हैं। लेकिन खास बात यह है कि प्याज के सड़ने और अच्छे प्याज की आपूर्ति कम होने से प्याज के दामों में बढ़ोतरी भी हो गई है। आजादपुर सब्जी मंडी के आलू और प्याज असोसिएशन के पदाधिकारी राजेन्द्र शर्मा ने बताया कि इस समय मंडी में रोजाना 120 से 150 ट्रक (लगभग 450 टन) प्याज राजस्थान से आ रहा है।

पानी बरसने और किसानों के पास भंडारण की उचित व्यवस्था न होने से कारण किसान जल्द से जल्द अपनी उपज बेचना चाहते हैं। लेकिन प्याज सड़ने और अच्छी फसल की आपूर्ति कम होने के कारण प्याज के दामों में पिछले महीने की तुलना में 80 से 100 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी हो गई है। इस समय बाजार में प्याज के दाम 160 से 240 रुपये प्रति मन(40 किलो) है।

बाजार विश्लेषकों का मानना है कि सिर्फ दिल्ली में नहीं बल्कि देश के सभी प्रमुख शहरों में प्याज के दामों में 50 से 150 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी हुई है।  आने वाला समय शादी ब्याह का है। इसलिए निश्चित तौर पर प्याज की मांग बढ़नी है। अगर प्याज सड़ने की वजह से आपूर्ति बाधित होती है तो प्याज के दामों में और बढ़ोतरी हो सकती है।

जमाखोरी का लोचा!

प्याज के सड़ने और आपूर्ति में बाधा होने और आने वाले समय में प्याज की जमाखोरी की अटकलें शुरु हो गई है। शर्मा कहते है कि पहली बात तो प्याज सड़ने के साथ ही किसान अपनी उपज को जल्द से जल्द बेचना चाहता है। इसके अलावा थोक व्रिकेता प्याज को अपने पास नहीं रख सकता है। वरना यह और सड़ जाएगा इसलिए जमाखोरी की बात तो उठती ही नहीं है। साथ ही इस बार प्याज की पैदावार बहुत अच्छी रही है।

प्याज सड़ने के बावजूद मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में प्याज का अच्छा खासा स्टॉक है। इसलिए मांग बढ़ने पर आपूर्ति में किसी तरह से बाधा उत्पन्न होने वाली नहीं है। लेकिन बाजार सूत्रों का कहना है कि अच्छे प्याज की आपूर्ति में बाधा आने से इसकी जमाखोरी की जा सकती है।

प्याज की कीमत (रुपये प्रति क्विंटल)

                     जून 2008       मई 2008       जून 2007
एनसीआर       422                 411                  525
गुजरात           347                 250                  628
कर्नाटक          521                 464                  649
आंध्र प्रदेश     569                 431                  860
हरियाणा        302                  270                 524
उत्तर प्रदेश     464                 431                    –
स्त्रोत: एपीएमसी

First Published - June 30, 2008 | 1:06 AM IST

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