गैर जरूरी आयात पर लगाम लगाने की सरकार की कवायदों के कारण दिसंबर में सोने के आयात में 75 प्रतिशत गिरावट आई है। इसकी वजह से पिछले 25 महीने में पहली बार भारत का कुल आयात घटा है। वहीं सोने आपूर्ति में व्यवधान के कारण रत्न एवं आभूषण का निर्यात 15 प्रतिशत गिर गया है।
दिसंबर में सोने का आयात गिरकर 1.2 अरब डॉलर रह गया है, जबकि रत्न एवं आभूषण का निर्यात इस माह के दौरान घटकर 2.5 अरब डॉलर हो गया है।
दिसंबर में भारत में वस्तुओं का आयात 3.5 प्रतिशत घटकर 58.34 अरब डॉलर रह गया है, जबकि वस्तुओं का निर्यात 12 प्रतिशत गिरकर 34.48 अरब डॉलर रह गया है।
इससे नवंबर की तुलना में दिसंबर में व्यापार घाटा बढ़कर 23.8 अरब डॉलर हो गया है। बाहरी मांग के बढ़ते जोखिमो के बीच सरकार बढ़ते व्यापार घाटे को लेकर चिंतित है। इसकी वजह से सरकार को गैर जरूरी सामान के आयात पर अंकुश लगाने का फैसला करना पड़ा।
सोमवार को कारोबार के आंकड़े जारी करते हुए वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने कहा, ‘हमने जानबूझकर सोने का आयात घटाने का विकल्प चुना है। अगर आयात का विकल्प मिल रहा है, तब भी आयात घटता है।’
जेम्स ऐंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (जीऐंडजेईपीसी) के चेयरमैन विपुल शाह ने कहा कि सोने की आपूर्ति बड़ी चुनौती है और वह एक अहम वजह है, जिसके कारण रत्न एवं आभूषण का निर्यात गिर रहा है।
उन्होंने कहा, ‘मैं कह नहीं सकता कि यह (सोने के आयात में गिरावट) जानबूझकर हुआ है या नहीं। यह सिर्फ सरकार बता सकती है। लेकिन कानून इतने सख्त हो गए हैं कि नामित एजेंसियों के लिए सोना आयात करना लुभावना नहीं रह गया है। अगर सरकार नियमों में ढील नहीं देती है तो निर्यातकों के लिए बहुत कठिन होगा।’
शाह ने कहा कि काउंसिल ने पहले ही सरकार के समक्ष यह मसला उठाया है। उन्होंने कहा, ‘आयात करने के लिए नामित एजेंसियां सोने के आयात को लेकर सहज नहीं हैं क्योंकि उनकी तरफ से तमाम देनदारी है और उसके हिसाब से मुनाफा नहीं हो रहा है। हम इस मसले का हल निकालने की कोशिश कर रहे हैं और सरकार से बात कर रहे हैं।’
शाह ने कहा कि सोने की कीमत में उतार चढ़ाव ने भी सोने की मांग में गिरावट में अहम भूमिका निभाई है। क्रमिक आधार पर दिसंबर में सोने की कीमत औसतन 3.9 प्रतिशत बढ़ी है।आईसीआईसीआई डायरेक्ट ने अनुमान लगाया है कि सोने की कीमत नई ऊंचाई पर पहुंचकर 62,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के आंकड़े को छुएगी।
उच्च ब्याज दर के दौर में 2022 में सोने की राह बहुत उतार चढ़ाव वाली रही है। रूस यूक्रेन के बीच युद्ध ने सोने की कीमत मार्च तिमाही में अब तक के सर्वोच्च स्तर के करीब पहुंचा दी। सितंबर तिमाही में डॉलर की मजबूती की वजह से इसकी कीमतें 2 साल के निचले स्तर पर पहुंच गईं। बहरहाल सोने की घरेलू कीमत ज्यादा तेज रही हैं क्योंकि रुपये की कीमत तेजी से गिरी है और यह एक साल के दौरान करीब 10 प्रतिशत गिरा है।
कोटक सिक्योरिटीज की एक रिपोर्ट में कहा गया है, ‘केंद्रीय बैंक की तीसरी तिमाही (सितंबर तिमाही) के दौरान सोने की मांग में तेज बढ़ोतरी के बाद 2023 में सोने की मांग में तेजी बनी रह सकती है।’
जेम्स ऐंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (जीऐंडजेईपीसी) के चेयरमैन विपुल शाह ने कहा कि उपभोक्ता सोने की कीमत में स्थिरता को लेकर देखो और इंतजार करो की रणनीति अपना रहे हैं। यही वजह है कि सोने के आयात में गिरावट आई है। चीन ने शून्य कोविड नीति अपना रखी है, इसकी वजह से चीन भी ज्यादा आयात नहीं कर रहा है। उम्मीद है कि अब चीन का बाजार खुलेगा उसके बाद रत्न एवं आभूषण उद्योग का कारोबार एक बार फिर से तेजी पकड़ेगा।