स्टील उत्पादकों को कर दायरे में लाने की मांग

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 05, 2022 | 5:27 PM IST

स्टील उद्योग के अभियानों से करारी चोट के बाद खादान नियंत्रकों ने कहा है कि देश में फिलहाल 1120 लाख टन अयस्क का सरप्लस उत्पादन हो रहा है।


साथ ही उन्होंने सरकार से स्टील की वास्तविक उपभोग के मुताबिक स्टील के उत्पादन को तय करने करने के लिए कहा है। ताकि स्टील उत्पादकों को कर के दायरे में लाकर राजस्व उगाही में बढ़ोतरी की जा सके। उनका कहना है कि इस कदम से राज्य और केंद्र दोनों के राजस्व में बढ़ोतरी होगी।


भारतीय खनन उद्योग संघ (फिमी) के महासचिव आर. के. शर्मा ने कहा कि वित्त मंत्रालय को इस संदर्भ में वास्तविक स्थिति और सही पैमाना तलाशना होगा। शर्मा ने लौह अयस्क के सरप्लस उत्पादन के बावजूद स्टील निर्माताओं द्वारा लौह अयस्क की कमी की शिकायत पर चिंता जताई। लिहाजा यह देखना जरूरी हो जाता है कि क्या इस तरह की गुणवत्ता वाले अयस्क 15 मीट्रिक टन कच्चे स्टील के उत्पादन में सक्षम हो सकते हैं।


इस संदर्भ में फिमी के महासचिव ने दो संभावनाएं जताईं। या तो स्पंज आयरन का उत्पादन कम करके बताया जा रहा है या फिर अत्यधिक मात्रा में धातु का अवैध उत्पादन हो रहा है। अगर इनमें से कोई या दोनों परिस्थितियां सही है तो इससे उत्पाद कर, बिक्री कर मूल्यवर्धित कर और निगम कर वसूली की निश्चित तौर पर अवहेलना हो रही है। शर्मा ने कहा है कि खनन उद्योग के लिए यह जरूरी है कि वह जितना उत्पादन करता है उसका खुलासा भारतीय खनन ब्यूरो के सामने करे।


फिमी अब तक स्टील या स्पंज आयरन के संबंध में किसी वैधानिक चेतावनी से अनजान थी। शर्मा ने पूछा कि अगर ऐसा नहीं है तो सरकार के लिए क्या यह जरूरी नहीं है कि वह इस उद्योग में पारदर्शिता लाने के लिए कुछ वैधानिक प्रावधान बनाए। दूसरी ओर स्टील उत्पादकों का मानना है कि वैश्विक तेजड़िया दबाव के  चलते स्टील की कीमतें उफान पर हैं। भारत में अकेले स्टील की कीमतों के चलते महंगाई नहीं बढ़ी है।

First Published : April 1, 2008 | 1:02 AM IST