चिप उद्योग का है आने वाला समय

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 4:20 PM IST

अमेरिका ने 9 अगस्त को घरेलू चिप कंपनियों को 52.7 अरब डॉलर का सरकारी मदद पहुंचाने के लिए चिप ऐंड साइंस ऐक्ट पर हस्ताक्षर किए हैं। यूरोपियन संघ भी समान कानून पर कार्य कर रहा है। भारत सरकार ने दिसंबर 2021 में चिप उद्योग के लिए 10 अरब डॉलर (70,000 करोड़ रुपये) के पैकेज को मंजूरी दी है।  सरकारी प्रोत्साहन बड़े पैमाने पर चिप उद्योग को विकसित करने के लिए दूसरे प्रयास को चिह्नित कर सकता है। 1989 में सरकार के स्वामित्व वाले सेमीकंडक्टर कॉम्प्लेक्स लिमिटेड (एससीएल) में आग लगने से पहले, 80 के दशक के अंत में एशियाई देशों के खिलाफ खुद के बल पर आयोजित किया गया था। 

तब से भारत को आयात में वृद्धि हुई है क्योंकि इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए चिप बहुत जरूरी हो गए। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि 2019-20 की तुलना में 2021-22 में आयात में 65.2 फीसदी की वृद्धि हुई। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय का अनुमान है कि 2026 तक भारत का चिप बाजार 63 अरब डॉलर का हो जाएगा, जो 2020 में 20 अरब डॉलर से भी कम था। 

आंकड़े बताते हैं कि वायरसलेस कम्यूनिकेशन ने भारत में चिप की मांग बढ़ाएगा। यह 2030 तक उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोटिव इलेक्ट्रॉनिक्स के साथ मिलकर भारत का चिप बाजार का दो तिहाई से अधिक का हो जाएगा। 

यह आंकड़े व्यापक व्यापार श्रेणियों से मिलते हैं, पर इसे समग्र प्रवृत्ति का प्रतिनिधि माना जा सकता है। देशव्यापी आंकड़े दर्शाते हैं कि 2021-22 में भारत में अधिकांश चिप चीन से आया था। जबकि सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, ताइवान, अमेरिका और जापान अन्य आपूर्तिकर्ता थे, चीन के हिस्से कुल आयात का 50 फीसदी से अधिक था। ईवाई इंडिया के पार्टनर (ऑटोमेटिव) सोम कपूर के अनुसार भारत में बने चिप का उपयोग करने में भारतीय उद्योगों को कुछ साल का वक्त लग सकता है, क्योंकि इस तरह के संयंत्रों की स्थापना में लंबी अवधि लगती है। ऑटोमोबाइल जैसे उद्योगों के लिए स्थानीयकरण महत्वपूर्ण, जहां इलेक्ट्रॉनिक्स एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा, ‘यह मूल्य शृंखला में एक महत्वपूर्ण दल है।’

First Published : August 24, 2022 | 9:36 PM IST