केंद्रीय बजट में बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं में निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ाने के लिए कई सारे प्रावधान किए जा सकते हैं। बिजनेस स्टैंडर्ड को पता चला है कि इसमें सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) विवाद समाधान तंत्र को मजबूत करना, एकसमान पीपीपी संस्थागत रूपरेखा, बॉन्ड बाजार तक पहुंच बनाने वाली बुनियादी ढांचे की कंपनियों के लिए आसान शर्तें और कर छूट शामिल हैं।
उच्च गुणात्मक प्रभाव के साथ बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं में निवेश ही अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने, रोजगार सृजन और खपत को बढ़ाने का केंद्र का मुख्य सहारा रहा है। यही युक्ति 2022-23 में भी लगाई जाएगी।
जैसे कि पहले खबर आई थी कि आगामी वर्ष में केंद्र का पूंजीगत व्यय 6.5 लाख करोड़ रुपये के पार जा सकता है जबकि 2021-22 के बजट में यह अनुमान 5.54 लाख करोड़ रुपये का था।
एक ओर जहां केंद्र बढ़ी हुई सार्वजनिक निवेश के जरिये अगुआई करेगा वहीं वह यह भी चाहेगा कि निजी क्षेत्र अपने पूंजी व्यय और क्षमता को बढ़ाए।
बजट निर्माताओं के बीच हो रही चर्चा से अवगत एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, ‘निजी क्षेत्र की भागीदारी जोर पकड़ रही है लेकिन और अधिक किए जाने की जरूरत है। कंपनियों के निवेश करने के लिए सरकार अपने स्तर पर निरंतर उत्पादक माहौल तैयार करेगी।’ वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को बजट पेश करेंगी।
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि सरकार निजी क्षेत्र के पक्ष में पीपीपी शर्तों में संशोधन करने पर विचार कर रही है ताकि रेलवे और नागरिक उड्डयन में निवेश में तेजी लाई जाए।
दूसरे अधिकारी ने कहा, ‘यदि निजी कंपनियां किसी समझौते से बाहर निकलना चाहती हैं या फिर समझौता समाप्त करना चाहती हैं तो उन्हें उचित सुरक्षा देने को लेकर चर्चा की गई है। हालांकि, इसके साथ ही जब निजी भागीदार केंद्रीय या राज्य एजेंसियों के साथ समझौता करते हैं तो उन्हें अपनी बाध्यताओं को सम्मान देने के लिए समझौते कानूनी तौर पर लागू किया जाने योग्य होने चाहिए।’ अधिकारी ने कहा कि नीति आयोग ने भी इसे वित्त मंत्रालय के साथ अपनी बजट पूर्व चर्चा में रखा है।
सरकारी की ओर से 6 लाख करोड़ रुपये के राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी) की घोषणा के बाद विशेषज्ञों ने केंद्रीय और राज्य स्तरों पर निवेशकों के साथ चर्चा करने के लिए मानक दिशानिर्देशों की मांग की थी। एक बार राज्य जब मुद्रीकरण के लिए अपनी संपत्तियों का ब्यौरा दे देंगे तब विभिन्न राज्यों में अलग अलग नियमों की वजह से वैश्विक निवेशक संपत्तियों की बोली लगाने से पूर्व सचेत रहेंगे।
एनएमपी के तहत सरकार हवाईअड्डों, सड़कों और बंदरगाहों से लेकर वाणिज्यिक भवनों, फैक्टरियों और आवासीय परिसर तक की संपत्तियों को निजी कंपनियों को पट्टे पर देगी। यह मॉडल पीपीपी का होगा।
केंद्रीय स्तर पर सरकारी विभाग और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) ने क्षेत्र विशिष्ट मॉडल रियायत समझौतों को अपनाया है जिससे कि प्रक्रिया को सरल किया जा सके। राज्य स्तर पर केवल कुछ ही राज्यों ने पीपीपी को सहायता देने के लिए संस्थागत तंत्र बनाए हैं। केवल आंध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और ओडिशा के पास सार्वजनिक बुनियादी ढांचे में निजी निवेश के लिए कानूनी तंत्र है। बजट में एकसमान मॉडल तंत्र की घोषणा की जा सकती है जिसे राज्यों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
इसमें आसान शर्तों संबंधी घोषणाएं भी हो सकती हैं क्योंकि कंपनियां बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं की खातिर रकम जुटाने के लिए बढ़ चढ़ कर बॉन्ड बाजार का लाभ उठाती हैं। इनमें कर छूटी संबंधी रियायत दी जा सकती है।