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नए एयरपोर्ट को कैबिनेट की मंजूरी की जरूरत नहीं

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 05, 2022 | 7:07 PM IST

केंद्रीय कैबिनेट ने पुराने ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट के 150 किलोमीटर की परिधि में नए ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाए जाने का अनुमोदन नहीं किया है।


नई ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट नीति, जिसमें यह नियम लाया गया था, हाल ही में उड्डयन मंत्रालय ने कैबिनेट के पास विचार के लिए भेजा था।इसका सबसे गंभीर प्रभाव बेंगलुरु, कोलकाता, हैदराबाद, चेन्नई जैसे मेट्रो शहरों पर पड़ेगा, जहां अतिरिक्त एयरपोर्ट बनाना मजबूरी बन गई है। इस तरह के कानून की जरूरत ग्रेटर नोएडा में प्रस्तावित ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट के लिए जरूरी है। यहां पर नई परियोजना को कार्यरूप देने के लिए कैबिनेट की मंजूरी जरूरी है।


बहरहाल इस प्रस्ताव के बारे में कहा गया है कि अगर कोई दूसरा प्रशासनिक मंत्रालय इसमें रोड़ा अटकाता है, तो उसके लिए कैबिनेट की मंजूरी की जरूरत होती है। अन्यथा नागरिक उड्डयन मंत्रायल की संस्तुति ही इसके लिए पर्याप्त है। इस तरह के प्रस्तावों को अनुमति देने के लिए उड्डयन सचिव की अध्यक्षता में बनी उच्चाधिकार प्राप्त समिति को पूरी तरह से अधिकृत किया गया है।


बेंगलुरु में देवनहल्ली के निकट बने नए एयरपोर्ट के अस्तित्व में आने पर बेंगलुरु-मैसूर के बीच नए एयरपोर्ट बनाए जाने के लिए शक्तिशाली लाबी तैयार हो गई है। महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्रप्रदेश जैसे कुछ राज्यों ने निजी भागीदारी के साथ छोटे एयरपोर्टों के निर्माण का प्रस्ताव भी रखा है।


पुडुचेरी के कराईकल एयरपोर्ट, महाराष्ट्र में चाकन एयरपोर्ट, के रल में कन्नूर एयरपोर्ट बनने के  नए प्रस्तावों के विचारार्थ रखे जाने के साथ ही कर्नाटक और महाराष्ट्र में कम से कम 15 स्थानों पर एयरपोर्ट विकसित किए जाने के  जगहों की पहचान की गई है।


आंध्र प्रदेश सरकार सरकार ने नेल्लौर, रामागुंडम, कुर्नूल, ओंगोल, बोब्बिली, कोठगुडम और निजामाबाद में एयरपोर्ट विकसित किए जाने के लिए सरकार के पास अनुरोध प्रस्ताव भेजा है। अगर नई नीति को अनुमति मिल जाती है, तो इनमें से ज्यादातर प्रस्तावों को नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) से हरी झंडी मिल गई है।


अन्य ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट- जो वर्तमान में बने एयरपोर्टों के करीब हैं, उन्हें भी महानिदेशालय से आसानी से अनुमति मिल जाएगी। इस तरह के एयरपोर्टों को अनुमति दिए जाने के पीछे यह विचार है कि घरेलू उड़ानों के लिए एयपोर्टों का विकास निजी क्षेत्र के लिए आसान किया जाए।


एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘यह फैसला किया गया था कि 150 किलोमीटर के  परिधि की शर्त का कोई खास फर्क नहीं होगा, लेकिन इस पर स्पष्टीकरण हो जाने से चीजें आसान हो जाएंगी। ऐसी स्थिति में अगर रक्षा मंत्रालय, गृह मंत्रालय सहित दूसरे मंत्रालयों के दिशानिर्देश की अवहेलना नहीं होती है तो मंत्रालय खुद ही एयरपोर्टों को अनुमति देने में सक्षम होगा।’


उड्डयन मंत्रालय की योजना है कि 2020 तक देश भर में 500 एयरपोर्टों का विकास किया जाए। इससे उड्डयन उद्योग के विकास में सहायता मिलेगी। इससे  दूर-दराज इलाकों से संपर्कभी संभव होगा।

First Published : April 6, 2008 | 11:19 PM IST